भारतीय संसद के इतिहास में न विपक्ष का हंगामा नया है और न उनका सदन से निष्कासन, हाल के सालों में इस तरह के निलंबन की घटनाएं लगातार बढ़ी हैं, इसमें भी निलंबन उनका होता है जो सदन में अपनी बात पुरजोर तरीके से रखकर सरकार का विरोध करते हैं। लोकतंत्र और संसद जो सहमति और असहमति का मिला जुला रूप हैं, उसमें इस तरह की कार्रवाईयों का क्या औचित्य है?

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झारखण्ड राज्य से हमारी श्रोता मोबाइल वाणी के माध्यम से पूछना चाह रही है कि क्या बूस्टर डोज लगवाने से कोरोना से बचा जा सकता है ?

साथियों,कोरोना महामारी से बचने के लिए लोगों ने कई उपायों को अपनाया। जैसे- मास्क लगाना,सेनेटाइजर और साबुन से बार-बार अपने हाथों को साफ़ करना और सामाजिक दूरी का पालन करना। लेकिन इसके बावजूद भी संक्रमण अभी भी जारी है। इसलिए सरकार द्वारा स्वास्थ्य केंद्रों पर बूस्टर डोज़ लगाने का काम तेज गति से चलाया जा रहा है...

कोरोना ने हमें एक बहुत गंभीर सबक सिखाया और वो ये है कि हमें अपने स्वास्थ्य के प्रति पूरी ईमानदारी रखनी होगी। कोरोना से बचने के लिए सरकार ने हर कदम पर सुरक्षा के नए इंतेज़ाम सुनिश्चित किये और हर आयु वर्ग के लोगों के लिए कोरोना के संक्रमण से बचने के लिए टीकाकरण की व्यवस्था की और टीकाकरण का यह अभियान सफल भी रहा। पिछले साल 16 मार्च 2022 को सरकार ने 12 से 14 साल तक के बच्चों को भी कोरोना का टीका लगवाने का फैसला किया।

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वर्ष 2022के बिदाई पर तर्कशील संस्था सचिव एवं वरिष्ठ पत्रकार पीकेएस गुर्वे ने कहां की मोबाइल वाणी पर संचालित अभियानों का सकारात्मक असर देखने को मिला है। साथ ही वर्ष 2022 में क्या खोया और क्या पाया विषय पर सारगर्भित बातें कही