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गायत्री परिवार के 24 कुंडीय नवचेतना जागरण गायत्री महायज्ञ की शुरुआत सोमवार को गिद्धौर बाजार में निकले भव्य कलश यात्रा के साथ शुभारंभ हुआ विस्तार पूर्वक खबर सुनने के लिए ऑडियो क्लिक करें

बिहार राज्य के गिद्धौर से भीम राज मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि गिद्धौर थाना क्षेत्र के रतनपुर चौक पर स्थित एक दुकान का ताला तोड़कर अज्ञात चोरों ने चोरी की खबर सुनने के लिए ऑडियो क्लिक करें

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हिदू सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति का प्राचीनतम त्योहार सतुआनी किसानों के लिए वैशाख महीने में नए रबी फसलों की सौगात वाला त्योहार है। रबी फसल की कटाई एवं नई फसल आने की खुशी में किसान यह पर्व मनाते हैं। चैत्र मास की संक्रांति तिथि को मनाया जाने वाला पर्व सतुआनी आज शुक्रवार को जमुई जिले में श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है। इस मौके पर शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में घर की बुजुर्ग महिलाओं ने चना एवं जौ से तैयार सत्तू, आम की चटनी व आम का टिकोला, गुड़ भगवान को भोग लगाकर सपरिवार उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया। सतुआनी पर्व को लोग विसुआ के नाम से भी जानते हैं। हिदू सनातन धर्म का पर्व सतुआनी पर स्नान एवं दान का महत्व है। वही मंदिर के पुजारी के अनुसार मेष संक्रांति में स्नान-दान का काफी महत्व है। इससे धन, सुख, ऐश्वर्य, शांति, निरोगता, बल, बुद्धि एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर सत्तू, आम, गुड़, घी, पंखा, मिट्टी के बर्तन, ठंडा जल, छाता, अन्न दान एवं पंचांग दान करने का विधान है। पौराणिक मान्यताओं के अनुरूप संक्रांति तिथि को ही शिवलिग पर मिट्टी के घट (घड़ा) के माध्यम से निरंतर बूंद-बूंद जलाभिषेक की व्यवस्था की जाती है। जो एक माह तक चलता है। कथा पुराण के अनुसार वैशाख महीने की तपती धूप में शिव को तृप्त करने के लिए यह व्यवस्था की जाती है।

सिमुलतला थाना क्षेत्र के अंतर्गत करौली पंचायत का जारी डी गांव आज भी सरकार की योजनाओं से काफी दूर है इस गांव में आदिवासी समाज के लोग निवास करते हैं और इन आदिवासी समाज के लिए पानी की व्यवस्था तक नहीं है पूरा गांव एक सूखे कुएं के सहारे अपनी प्यास को गुजारे हैं वहां जब रुक जाता है तो लोग पानी के इंतजार में 2 से 4 घंटे बैठते हैं और जब थोड़ा बहुत पानी उस कुएं में होता है तो उसी पानी से अपनी प्यास को बुझा रहे हैं

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से रंजन मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि किसानों द्वारा इन दिनों घर के अगल-बगल गेहूं की मलाई की जा रही है और उसका दस्त श्वास नली के द्वारा लोगों के फेफड़े में जा रहा है लोग खांसी का शिकार हो रहे हैं लोग परेशान हो रहे हैं घर कीचड़ में हो रहा है घर में डस्ट उड़कर पड़ता है भोजन में भी मिल जाता है लेकिन किसानों को इसकी जानकारी लगता है कि है ही नहीं जो स्थिति किसान द्वारा पैदा किया जा रहा है इससे निश्चित रूप से बच्चे बूढ़े एवं बुजुर्ग बीमार पड़ ही जाएंगे

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