समाज कि लड़ाई लड़ने वाले लोगों के आदर्श कितने खोखले और सतही हैं, कि जिसे बनाने में उनकी सालों की मेहनत लगी होती है, उसे यह लोग छोटे से फाएदे के लिए कैसे खत्म करते हैं। हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कोई प्रभावशाली व्यक्ति ने इस तरह काम किया हो, नेताओं द्वारा तो अक्सर ही यह किया जाता रहा है। हरियाणा के ऐसे ही एक नेता के लिए ‘आया राम गया राम का’ जुमला तक बन चुका है। दोस्तों आप इस मसले पर क्या सोचते हैं? आपको क्या लगता है कि हमें अपने हक की लड़ाई कैसे लड़नी चाहिए, क्या इसके लिए किसी की जरूरत है जो रास्ता दिखाने का काम करे? आप इस तरह की घटनाओं को किस तरह से देखते हैं, इस मसले पर आप क्या सोचते हैं?

भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने

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झारखण्ड राज्य के पलामू से शंकर पाल श्रमिक वाणी के माध्यम से जानकारी दे रहें हैं, झारखण्ड के डाल्टेनगंज में दिनांक 6-06-2022 को श्री लालू यादो आये और आज यानि दिनांक सात को गरीब असहाय दलित लोगों से बात किया और कहा की लालू आप के साथ है आप लोग घबराएं नहीं।

मोबाइल वाणी के श्रोता अम्बेडकर जयंती के अवसर पर डॉक्टर भीम राव आंबेडकर जी की जीवनी की जानकारी दे रहें हैं.

छत्तीसगढ़ राज्य के जसपुर ज़िला से धन्नजय राम ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि वो आदिवासी जाति के है व दिव्यांग है । उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ प्राप्त करने में बहुत समस्या होती है। पेंशन ,राशन का लाभ भी सही से नहीं मिल पाता है। इस सब के लिए दिव्यांगजन को घर तक ही सुविधा पहुँचाई जाए। यूपी में दिव्यांगजनों को 1500 रूपए पेंशन मिल रहा है लेकिन छत्तीसगढ़ में 250 रूपए पेंशन मिल रहा है। दिव्यांगों को घर में बैठे हुए पेंशन व राशन कार्ड बनना चाहिए

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