उत्तर प्रदेश राज्य के जिला उन्नाओ से रामकरण मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि हमें हमें वर्षा जल का संरक्षण करना चाहिए। वर्षा के पानी का उपयोग हम कपड़ो की धुलाई कर सकते है। अगर अधिक मात्रा में हमें जल संरक्षण कारण हो तो हमें बड़ा सा हौदा बना सकते है और इसका इस्तेमाल भविष्य के लिए कर सकते है

दोस्तों, हमारे आपके बीच ऐसी महिलाओं के बहुत से उदाहरण हैं, पर उन पर गौर नहीं किया जाता. अगर आपने गौर किया है तो हमें जरूर बताएं. साथ ही वे महिलाएं आगे आएं जो घंटों पानी भरने और ढोने का काम करती हैं. उनका अपना अनुभव कैसा है? वे अपने जीवन के बारे में क्या सोचती हैं? क्या इस काम के कारण उनका जीवन नरक बन रहा है? क्या वे परिवार में पानी की आपूर्ति के चक्कर में अपना आत्मसम्मान खो रही हैं? क्या कभी ऐसा कोई वाक्या हुआ जहां पानी के बदले उनसे बदसलूकी की गई हो, रास्ते में किसी तरह की दुर्घटना हुई हो या फिर किसी तरह के अपशब्द अपमान सहना पडा?

दोस्तों, राष्ट्रीय महिला आयोग की रिपोर्ट के अनुसार एक महिला अभी भी 2.5 किमी तक पैदल चलकर जाती हैं ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं अपने परिवार के लिए पीने का पानी लाने में औसतन दिन में 3-4 घंटे खर्च करती हैं, यानि अपने पूरे जीवन काल में 20 लाख घंटों से भी ज्यादा. क्या आपको ये बातें पता है ?और ज्यादा जानने के लिए इस ऑडियो को क्लिक करें.

दोस्तों, मोबाइलवाणी के अभियान क्योंकि जिंदगी जरूरी है में इस बार हम इसी मसले पर बात कर रहे हैं, जहां आपका अनुभव और राय दोनों बहुत जरूरी हैं. इसलिए हमें बताएं कि आपके क्षेत्र में बच्चों को साफ पानी किस तरह से उपलब्ध हो रहा है? क्या इसमें पंचायत, आंगनबाडी केन्द्र आदि मदद कर रहे हैं?आप अपने परिवार में बच्चों को साफ पानी कैसे उपलब्ध करवाते हैं? अगर गर्मियों में बच्चों को दूषित पानी के कारण पेचिस, दस्त, उल्टी और पेट संबंधी बीमारियां होती हैं, तो ऐसे में आप क्या करते हैं? क्या सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से बच्चों का इलाज संभव है या फिर इलाज के लिए दूसरे शहर जाना पड रहा है? जो बच्चे स्कूल जा रहे हैं, क्या उन्हें वहां पीने का साफ पानी मिल रहा है? अगर नहीं तो वे कैसे पानी का इंतजाम करते हैं?

पानी में आर्सेनिक, लोह तत्व और दूसरे घातक पदार्थों की मात्रा महिलाओं के स्वास्थ्य पर सबसे बुरा असर कर रही है और फिर यही असर गर्भपात, समय से पहले बच्चे का जन्म या फिर कुपोषण के रूप में सामने आ रहा है. साथियों, हमें बताएं कि आपके परिवार में अगर कोई गर्भवति महिला या नवजात शिशु या फिर छोटे बच्चे हैं तो उन्हें पीने का पानी देने से पहले किस प्रकार साफ करते हैं? अगर डॉक्टर कहते हैं कि बच्चों और महिलाओं को पीने का साफ पानी दें, तो आप उसकी व्यवस्था कैसे कर रहे हैं? क्या आंगनबाडी केन्द्र, एएनएम और आशा कार्यकर्ता आपको साफ पानी का महत्व बताती हैं? और ये भी बताएं कि आप अपने घर में किस माध्यम से पानी लाते हैं यानि बोरवेल, चापाकल या कुएं और तालाबों से?

कसान से साकेत कुमार ने हमारे श्रोता जो की एक श्रमिक है उनसे बात किया उन्होंने बताया की उनके फैक्ट्री जहा पर वो काम करते है और उनके घर पर पानी की बहुत समस्या है।

बिहार राज्य के वैशाली जिला के सिंघारा ग्राम से सोनू कुमार श्रमिक वाणी के मध्यमा से बताना चाहते है की, सिंघारा ग्राम में नल जल योजना में घोटाला किया जा रहा है। ख़राब क्वालिटी का पाइप लगाने के वजह से पाइप बहुत जल्द फट गया जिससे पानी सड़क पर बह रहा है, मुखियाँ के द्वारा भी इस मामले पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

उत्तरप्रदेश राज्य से सीतापुर ब्लॉक से शमशेर श्रमिक वाणी के माध्यम से बताना चाहते है की, पानी की बर्बादी नहीं करनी चाहिए। जितना इस्तेमाल हो सके हमे उतना ही पानी लेना चाहिए, क्यों की ज्यादा पानी इस्तेमाल करने से आधा पानी बर्बाद हो जाता है। कुछ जगह ऐसे है जहा बिलकुल भी पानी की सुविधा नहीं है।

उत्तरप्रदेश राज्य के सीतापुर जिला से शमशेर राजा क़ादिर ने श्रमिक वाणी के माध्यम से बताया कि पानी का इस्तेमाल सही से करना चाहिए और पानी को बर्बाद होने से बचाना चाहिए। यदि आज पानी को बचाया नहीं गया तो भविष्य में हमें पानी के लिए तरसना होगा

उत्तरप्रदेश राज्य के चित्रकूट के रायपुरा से अरुण ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि पानी की समस्या के लिए सबसे पहले मानव समाज ही जिम्मेदार है। जहाँ पहले कुआँ खोदा जाता था वहीं अब लोग सुविधा के लिए हर घर में 400-500 फिट बोरिंग करवा रहे हैं। ऐसे में पानी जल का स्तर तो घटेगा ही। वही पहले लोग जितना वृक्ष लगाते थे आज लोग उतना ही वृक्ष काट रहे हैं। अतः अब भी यदि पानी का दुरूपयोग होता रहा तो भविष्य में हम सब को पानी के लिए तरसना होगा। इसलिए आवश्यकता से ज़्यादा पानी का इस्तेमाल न करें। पानी की बचत करें और हमेशा पानी पीने के लिए स्वच्छता का पालन करना चाहिए