साझा मंच पर अब हम ओड़िया भाषी श्रमिकों के लिए लेकर आये हैं एक विशेष अभियान। यानि साझा मंच , सूरत पावरलूम इकाइयों में काम करने वाले ओड़िया गंजाम श्रमिकों के इस अभियान का समर्थन करता हैं .

मंगलवार को तमिलनाडु सरकार ने प्रवासी कामगारों को राज्य में वापस लाने की मांग करने वाली कंपनियों के लिए कुछ दिशा-निर्देश जारी किए। प्रत्येक फर्म को अपने जिला कलेक्टर-कार्यालय में उन प्रवासी कामगारों के नाम, पते, आधार संख्या, मोबाईल नम्बर, कार्यस्थल का पता, वाहन का विवरण, प्रस्तावित क्वारंटीन सुविधा सहित श्रमिकों के सम्पूर्ण विवरण के साथ तमिलनाडु ई-पास के लिए आवेदन करना होगा। कंपनी द्वारा निर्धारित और जिला प्रशासन द्वारा अनुमोदित उपयुक्त स्थान पर सभी प्रवासी कामगारों को चौदह दिनों के लिए क्वारंटीन रखने और उनके परिवहन का खर्च सम्बन्धित फ़र्म को वहन करना होगा। कामगारों के रहने की जगह स्वास्थ्यप्रद और हवादार होने के साथ ही कामगारों को स्वास्थ्य और स्वच्छता के नियमों का पालन करने से होने वाले फ़ायदों के बारे में बताना होगा। तो साथियों "तमिलनाडु वापस जाने से पहले, उन शर्तों के बारे में ज़रूर सोचें, जो आप चाहते हैं। लॉकडाउन से पहले क्या आपके पास रोजगार का कोई प्रमाण था? इसके बिना दोबारा काम शुरू न करें! क्या आपके पास अपने पीएफ खाते का यूएएन नंबर है? इसके बिना भी काम शुरू ना करें! साथ ही आपके रहने की क्या व्यवस्था होनी चाहिए? तमिलनाडु सरकार ने कहा है कि यह सभी चीज़ें स्तरीय होनीं चाहिए। इससे कम, कुछ भी स्वीकार न करें। क्योंकि, अभी नहीं तो कभी नहीं!!"

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बुराड़ी, दिल्ली से महेश कुमार स्वामी साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से कहना चाहते हैं कि लॉक डाउन के बाद कम्पनियों द्वारा मज़दूरों को तमाम सहूलियतें देकर काम पर बुलाने की स्थिति में मज़दूरों को चाहिए कि वे पहले कम्पनी-प्रबंधन से अप्रैल-मई के वेतन भुगतान की बात करें, वेतन भुगतान हो जाने के बाद उनके द्वारा दी जाने वाली सुविधाओं के संदर्भ में उनके लेटर हेड पर लिखित में लें, ताकि भविष्य में उन्हें किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।

बुराड़ी, दिल्ली से महेश कुमार स्वामी साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि लॉक डाउन की अवधि में प्रवासी कामगारों ने बहुत परेशानियाँ उठायीं, अब समय आ गया है कि सभी कामगार संगठित होकर अपनी समस्याओं के समाधान हेतु आवाज़ उठाएँ, तभी कुछ सम्भव हो पाएगा, अन्यथा इसी तरह परेशानियाँ झेलनी पड़ेंगीं।

सिद्धार्थ नगर, उत्तर प्रदेश से राधेश्याम साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से कहना चाहते हैं कि जब तक सरकार कोई नियम नहीं बनाती, तबतक दिव्यांगों को निजी क्षेत्र की कम्पनियों में जगह नहीं मिलेगी, इसके साथ ही दिव्यांगों को आओना एक संगठन भी बनाना चाहिए।

मुकुंद यादव साझा मंच मोबाईल वाणी के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कह रहे हैं कि यह मज़दूरों के सम्मान की लड़ायी लड़ रहा है और इसका अभी नहीं तो कभी नहीं कार्यक्रम ज़रूर सफल होगा, सभी मज़दूर भाईयों को इससे अवश्य जुड़ना चाहिए।

सिद्धार्थ नगर, उत्तर प्रदेश से राधेश्याम साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से साझा मंच मोबाईल वाणी के द्वारा चलाए जा रहे अभियान "अभी नहीं तो कभी नहीं" पर राय व्यक्त करते हुए कह रहे हैं कि संगठन में ही शक्ति है। यही अवसर है कि अपनी संगठन की शक्ति से सर्वजन हिताय की संकल्पना को चरितार्थ करें।

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