उत्तराखंड के उधमसिंघ नगर से सत्यम सिंह ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि उन्होंने कोरोना का टीका लगवा किया है। उनके ज़िला के अलग अलग गाँव में कैंप लगा कर कोरोना का टीका लगाया जा रहा है। बात हो कोरोना की तो कोरोना की तीसरी लहर के दस्तक देने की संभावना है ,इसलिए जनता को सावधानी बरतने की आवश्यकता है

उत्तराखंड से रोहित राणा ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि उन्होंने 25 जून 2021 को शाम 4:30 बजे आसपास कोरोना की वैक्सीन ली थी जिसके बाद उन्हें रात को ठण्ड के साथ बुखार व शरीर दर्द की समस्या हुई। पर अब वो स्वस्थ है। सभी लोग टीका अवश्य लें ,इससे कोई ख़तरा नहीं है

उत्तराखंड से रोहित राणा ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि उत्तराखंड में 15 दिनों का लॉक डाउन लगा दिया गया है। सामान भी महँगे मिल रहे है, ऐसे में सरकार को गरीबों के लिए कुछ व्यवस्था करनी चाहिए।

उत्तराखंड राज्य से सत्यं सिंह साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बता करोनकाल में लोगों को ऑक्सीजन की काफी कमी हो रही है जिससे लोग बहुत परेशां हो रहे है। साथ ही कह रहे है कि हमें अपने पर्यावरण को साफ़ सुथरा रखना चाहिए और वृक्षा रोपण को बढ़ावा देना चाहिए

उत्तराखंड से रोहित राणा, साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि लॉक डाउन में आम जनता परेशान है। अगर काम करने भी जाते है तो उनसे पूछताछ की जाती है। चिकित्सकों के पास जाने पर भी पुलिस वाले रोकते है। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरी ख़बर..

उत्तराखंड के उधमसिंह नगर से सत्यम सिंह ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि लॉक डाउन के बाद अब जब नाईट कर्फ्यू लगा है मानेसर में इस कारण उनके जीजा ड्यूटी नहीं कर पा रहे है

उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर से सत्यम सिंह ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि कोरोना को देखते हुए अभी चुनाव को लेकर होने वाले प्रचार प्रसार को रोका जाना चाहिए। ऑडियो पर क्लिक कर सुनें पूरी ख़बर..

उत्तराखंड से रोहित राणा ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि ऐसा अक्सर देखा जाता है कि हर जगह संपन्न व्यक्तियों को ज़्यादा महत्व दिया जाता है और गरीब व्यक्ति पीछे छूट जाते है। उन्हें कई तकलीफों से गुज़रना पड़ता है

उत्तराखंड से रोहित राणा ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि वो दृष्टिहीन व्यक्ति है ,गुजरात में कंपनी काम करते थे जिसमे उन्हें महीने के 5000 रूपए मिलते थे । लॉक डाउन में तीन महीना रहे फिर मुश्किल से वापस घर आए। वहाँ बहुत समस्या होती थी ,खाने की बहुत समस्या होती थी। गाँव आने के बाद उन्हें कोई क्वारंटाइन में भी नहीं रख रहे थे। लॉक डाउन की यादों से उनका मन उदास हो जाता है।

उत्तराखंड से हमारे श्रोता साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि सरकार की ओर से मनरेगा के तहत मिलने वाले पैसे का ठेकेदार गबन करते हैं ठेकेदार