उत्तराखंड से रोहित राणा ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि वो दृष्टिहीन व्यक्ति है ,गुजरात में कंपनी काम करते थे जिसमे उन्हें महीने के 5000 रूपए मिलते थे । लॉक डाउन में तीन महीना रहे फिर मुश्किल से वापस घर आए। वहाँ बहुत समस्या होती थी ,खाने की बहुत समस्या होती थी। गाँव आने के बाद उन्हें कोई क्वारंटाइन में भी नहीं रख रहे थे। लॉक डाउन की यादों से उनका मन उदास हो जाता है।