दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से अंगद मौर्य ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकार द्वारा सभी जगहों पर बिजली व पानी की निशुल्क सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जा रही हैं परन्तु उनके क्षेत्र में अब तक ये सुविधा पहुँच नहीं पाई
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नन्द किशोर की बातचीत साजा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से जय राम से हुई। जय राम ने बताया कि पलायित मज़दूरों के साथ बहुत शोषण होता है। मकान का किराया जिस स्तर पर होना चाहिए उतना होता नहीं है। मकान मालिक जबरदस्ती राशन उसी क्षेत्र से लेने के लिए विवश करते है। जबकि बाज़ार के भाव के मुकाबले उनके क्षेत्र में राशन बहुत ही महँगा मिलता है। अगर श्रमिक उनके कहे अनुसार कार्य करने से इंकार करते हैं तो उन्हें मकान खली करवाने की धमकी दी जाती है। इस कारण श्रमिकों को महीनें के बीच में बहुत समस्या आ जाती है। कंपनियों में वेतन का उतर चढ़ाओ तो रहता ही है परन्तु कंपनी प्रबंधन द्वारा मज़दूरों का शोषण भी रुका नहीं है। एक तरफ़ कंपनी द्वारा मज़दूर शोषण झेल रहे है तो दूसरी तरफ़ शोषण मकान मालिक द्वारा भी सहा जा रहा है। यहाँ तक की देखा जाता है निवास स्थान में सफ़ाई की भी उच्तम व्यवस्था नहीं रहती है। गंदगी के बीच श्रमिकों को जीवन बसर करना पड़ता है।
दिल्ली एनसीआर के कापसहेड़ा से नन्द किशोर प्रसाद की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से संजय पांडेय से हुई। संजय पांडेय ने बताया कि दिल्ली में न्यूनतम मज़दूरी में बढ़ोतरी हो गयी है परन्तु उद्योग विहार स्थित कंपनियों में श्रमिकों की सैलरी नहीं बढ़ रही है। यहाँ तक कि इनिशियल और फाइनल चेकर का वेतन 9,475 रूपए ही है। साथ ही अगर एक दिन से ज़्यादा छुट्टी ले ली जाए तो कंपनी से निकाल दिया जाता है। जिस तरह दिल्ली में आठ घंटे के हिसाब से मज़दूरों की सैलरी 16,000 है उसी हिसाब से उद्योग विहार के श्रमिकों को भी उतनी ही सैलरी मिलनी चाहिए। महंगाई बढ़ने व सैलरी कम रहने के कारण मज़दूरों को बहुत समस्याएँ हो रही हैं।
दीवान सिंह साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि सरकार बुनियादी सुविधा मुहैया करानी चाहिए। क्षेत्रों में नालियों और गढ़ों में पानी भरे रहने के कारण राहगीरों को बहुत समस्या होती है
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