बिहार राज्य के मधुबनी ज़िला के खुटौना प्रखंड से शिवनाथ सहदेव बता रहे है कि खुटौना प्रखंड के लगभग बारह लड़के गुजरात के अहमदाबाद स्थित एक पत्थर की फैक्ट्री में काम करने गए थे। जहाँ उन्हें अब बंदी बना क्र बंधुवा मज़दूरों की तरह काम करवाया जा रहा है। गाँवो के कुछ लड़के जो वहां से किसी तरह वापस आ गए थे, उनसे पूछे जाने पर पता चला है की फसे हुवे लड़कों को दिन रात काम कराया जाता है। तथा खाना भी सिर्फ दो टाइम ही दिया जाता है साथ ही पता चला है कि उन्हें फैक्ट्री से बाहर भी नहीं जाने दिया जाता हैं। उन्होंने ये भी आग्रह किया की कम से कम मोबाइल वाणी की टीम से इस मुद्दे पर जांच पड़ताल किया जाये।
Transcript Unavailable.
बिहार राज्य के जिला मधुबनी प्रखंड खुटौना से शिवराज साझा मंच के माध्यम से बताते है कि 2016 से सरकार के जीविका कार्यक्रम के तहत वे काम कर रहे है। उन्होंने बताया कि मजदूरी का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है जिसके कारण उन्होंने और उनके साथी मजदूरों ने काम बंद कर दिया है। जब भी वे मजदूरी नहीं मिलने पर शिकायत करने की बात करते है तो इनसे कहा जाता है जो करना है कर लो।
बिहार राज्य के मधुबनी जिला के खुटौना प्रखंड से शिवनाथ सदय साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि सरकार के द्वारा मनरेगा के तहत जॉब कार्ड तो उपलब्ध कराया गया है। लेकिन मजदूरी नहीं कराया जा रहा है। पंचायत स्तर पर जो काम हो रहे है इसमें मजदूरों को काम ना देकर मशीनो से काम करवाया जा रहा है। साथ ही वे कहते है कि सरकार ने अगर मजदूरों को जॉब कार्ड दिया है तो इसके लिए काम की उपलब्धि भी कराई जानी चाहिए।
मधुबनी जिला के खुटौना प्रखंड से संतोष कुमार जी कहते हैं रेनू कुमारी जी के साक्षात्कार पता चलता कि मुंबई में भी आज बड़ी उम्मीदें के साथ लोग पहुंचते हैं लेकिन जब वहां पहुंचने के बाद इसकी सपने चकनाचूर हो जाता है या तो वह अच्छी नौकरी नहीं कर पाते हैं अगर अच्छी नौकरी मिलती है तो काम ज्यादा करवाते हैं जिसके कारण उत्तर भारतीय अपनी मेहनत के बल पर मोटी रकम को कर पाते हैं लेकिन उन्हें तरह-तरह की भाषा के दूसरों पर भी किया जाता है दूसरी तरफ उत्तर भारतीय को लगता है कि अगर शहर हम पहुंच गए तो कुछ अच्छी कमाई करके जाए जिसके लिए अनाप-शनाप रेट पर वहां पर काम करने लगते हैं जिसका यहां जो वहां के लोग मुकदमे को लगता है भाषा के साथ साथ दूसरी यात्रा भी देते हैं इसका नतीजा होता है उसे शहर छोड़ कर गांव की तरफ आ जाना अगर सरकार दिन में सपने सजी हुई रह जाती है और फिर अपने वतन को वापस आ जाते हैं तो मैं सरकार से गुजारिश करता हूं कि कल कारखाना एवं गांव में उचित रोजगार मुहैया कराए जाएं तो रेनू कहती है कि उनसे अच्छा दूसरा वेतन नहीं होता है धन्यवाद
बिहार राज्य के जिला मधुबनी प्रखंड राजनगर से साधु पासवान ने साझा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि साझा मंच बहुत अच्छा कार्यक्रम है ,समय की कमी के कारण लोग अख़बार नहीं पढ़ पाते मगर साझा मंच कार्यक्रम में सभी तरह की जानकारियाँ कम समय में मिल जाती है
बिहार राज्य के मधुबनी जिला के खुटौना प्रखंड से शिवनाथ सदय साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि साझा मंच के माध्यम से नई-नई जानकारियां प्राप्त होती है। सरकार द्वारा बनाए गए नियमों की जानकारी मिलती है इससे मजदुर लोग काफी लाभांविन्त होते हैं।
Transcript Unavailable.
Comments
ये लोन कोई भी भारतीय नागरिक ले सकता है, लेकिन ये कर्ज छोटे व्यवसायों को प्रोतसाहन देने के लिए दिया जाता है, इसलिए इसके नियम और शर्तें भी अलग हैं। अक्सर माईक्रोफाइनेंस कंपनियां कर्ज किसी एक व्यक्त को देने के बजाए पांच, दस या इससे अधिक लोगों के के समूह को देती हैं। सदस्यों को यह बता दिया जाता है कि अगर कोई एक व्यक्ति कर्ज नहीं चुकाता तो बाकी लोगों को उसका पैसा देना होगा। इसके अलावा कई माईक्रोफांनेंस कंनियां मुद्रा योजना के साथ जुड़ कर काम कर रही हैं। कोई भी भारतीय नागरिक या फर्म जो किसी भी क्षेत्र (खेती के आलावा) में अपना व्यवसाय शुरू करना चाहता हैं या फिर अपने वर्तमान व्यवसाय को आगे बढ़ाना चाहता हैं और उसकी वित्तीय आवश्यकता 10 लाख रूपये तक हैं वह मुद्रा योजना के तहत लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं| मुद्रा योजना के तहत लोन को विभिन्न व्यवसायों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए तीन भागों में विभाजित किया है। शिशु ऋण के तहत 50,000/ – रुपये तक के ऋण दिए जाते है| किशोर ऋण के तहत 50,000 / – रुपये के ऊपर और 5 लाख रूपए तक के ऋण दिए जाते है| तरुण ऋण के तहत 5 लाख रूपये से ऊपर और 10 लाख रुपये तक के ऋण दिए जाते है| सामान्यत: इस लोन की ब्याज दर 12% प्रति वर्ष के आस-पास होती है| माईक्रोफाइनेंस कंपनियां देश भर में फैली अपनी शाखाओं और फील्ड ऑफिसर्स के जरिए लोगों को कर्ज देती हैं।
Jan. 24, 2019, 10:59 a.m. | Tags: int-PAJ non-profit org
Transcript Unavailable.
Transcript Unavailable.
Comments
Transcript Unavailable.
July 11, 2019, 9:12 p.m. | Tags: int-PAJ labour government entitlements migration workplace entitlements