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जिला पूर्वीसिंघभुम, पोटका प्रखंड के हाथीबिंदा पंचायत,गाँव कोगदा से चक्रधर भगत जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि हाथीबिंदा पंचायत के किसान कठोर परिश्रमिक हैं वे सदियों से खेती में अपनी जी जान लगाते आ रहें हैं।फलस्वरूप उन्हें अनाज प्राप्त होता है।लेकिन आज खेती के कई रूप बदलते जा रहें हैं, जहाँ पहले केवल गोबरखाद से खेती लहलहाती थी वहीँ आज भौतिक युग के चका-चौंध में गाय बैलों को रखना मुश्किल सा हो गया है।इसकी मुख्य वजह आज ट्रैक्टर हल का अविष्कार होना है।क्योंकि अब किसान आसानी से और बहुत ही कम समय में खेतों की काफी जुताई कर लेते हैं। गाय एवं बैलों की घटती संख्या के कारण गोबर खाद की कमी हो रही है ,जिसकी भरपाई करने के लिए बाजार में यूरिया खाद उपलब्ध है। और इसी खाद के उपयोग से किसान गोबर खाद की कमी को पूरा कर, अच्छी फसल उगा रहें हैं।चक्रधर जी कहते हैं कि रासायनिक खाद के प्रयोग से खेतों में तेजी से फसल तो उग जाते हैं ,लेकिन कई बार अधिक खाद के प्रयोग से खेती पूरी तरह मुरझा सी जाती है।साथ ही सरकार द्वारा दी जाने वाली योजनाओं का लाभ किसानों को ना के बराबर ही मिलता है।जिसके कारण वर्षा के पानी से किसान साल में सिर्फ एक बार ही धान की खेती कर पातें हैं।
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जिला पूर्वी सिंघभूम के पोटका प्रखंड से चक्रधर भगत जी मोबाईल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीब परिवारों को मिलने वाली सुविधा सही ढंग से नहीं मिल पा रही है। इसके पीछे एक वजह यह है कि गाँव में ग्राम सभा का आयोजन सही ढंग से नहीं होता है और न ही किसी तरह की जानकारी ग्रामीणों को दी जाती है।वे कहते हैं कि खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत गरीब परिवारों को 35 किलो अनाज देने का प्रावधान है।लेकिन गरीबों को पूरा राशन नहीं दिया जाता है।कहीं कहीं प्रति व्यक्ति 5 किलो के हिसाब से राशन का वितरण किया जाता है लेकिन वह भी बायोमैट्रिक्स सिस्टम से राशन वितरण होने के वजह से कई बार कुछ लोगो का फिंगरप्रिंट मशीन में नहीं लेता है जिससे लोग वंचित रह जाते हैं। साथ ही वे कहते हैं कि जहाँ किरोसिन तेल ढाई लीटर देने की बात है वहां लाभुकों को दो ही लीटर मिल रहा है। चीनी नमक के बारे में कार्डधारी को कोई जानकारी नहीं है और डीलर भी लाभुक को सही जानकारी नहीं देते हैं। एक बात गौर करने वाली यह भी है कि राशन कार्ड में किस दर से राशन दिया जाता है उसका मूल्य अंकित नहीं किया जाता है। क्योकि मूल्य अंकित करने का राशन कार्ड में जगह ही नहीं है। इसपर सरकार को ध्यान देना चाहिए और लोक कर्मचारी को गाँव में आकर कार्डधारी को सही हक़ पहुंचाने की सुविधा करनी चाहिए
जिला पूर्वी सिंघभूम के पोटका प्रखंड से चक्रधर भगत जी बताते हैं कि मोबाईल वाणी में मलेरिया को लेकर जो कार्यकर्म चलाये जा रहे हैं वो बहुत ही लाभदायक है। देखा जा रहा है कि पोटका प्रखंड के बहुत से गांव में मलेरिया के कारण बहुत ही खर्चीला इलाज करवा रहे हैं। पोटका प्रखंड में न ही डॉक्टरों की सुविधा है न ही दवा की सुविधा है। उनके गांव में पिछले कई साल से सरकार द्वारा सफाई नहीं कराई गई है पर जिसके कारण मलेरिया फैलता जा रहा है। सरकारी हॉस्पिटल में भी किसी तरह की सुविधा नहीं दी गई है। जनता को कोई लाभ नहीं मिल रहा है
जिला पूर्वी सिंघभूम के पोटका प्रखंड से सुबोध कुमार भगत जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि भारत सरकार द्वारा गरीबों को सस्ते दरों में अनाज मुहैया उद्देश्य से खाद्य सुरक्षा योजना लागू की गई।और इसके तहत सभी लाभुकों तक सही तरीके से राशन का लाभ पहुंचे यहोइ इसका मुख्य उद्देश्य है। वे कहते हैं कि उनके यहाँ इस योजना का 60 से 70 प्रतिशत लाभ सम्पूर्ण एवं समृद्ध परिवार को ही मिल रहा है जबकि बाकि गरीब व्यक्ति इससे वंचित हैं। वे कहते हैं कि भारत में अंत्योदय योजना के अंतर्गत नौ लाख की आबादी लाभन्वित हो रही है। लेकिन सही माइने में इसकी चर्चा की जाए तो एक लाख है। जन वितरण प्रणाली के दुकानदारों के द्वारा राशन का वितरण तो किया जाता है पर उसमे भी थोड़ी बहुत कटौती की जाती है। इस योजना के तहत लाभुकों को किरोसिन तेल पहले चार लीटर दिया जाता था पर अभी चार लीटर से घटाकर ढाई लीटर ही दिया गया है। इस प्रक्रिया पर जांच पड़ताल होने की जरुरत है।
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