झारखण्ड राज्य के नवाडी जिला बोकारो से मुश्कान कुमारी ने मोबाइल वाणी में चल रहे धारावाहिक अब मेरी बरी के माध्यम से दीपिकी दी के द्वारा दी गयी जानकारी से माहवारी एवं एनीमिया से बचने के उपाय और माहवारी के वक्त साफ सफाई तथा समय समय पर आयरन की गोली खाने की विधि की जानकारी प्राप्त की
महावारी के वक्त पेट में दर्द मुख्य 6 कारणों के कारण की वजह से होती है जैसे कम नींद आना शराब सेवन करना धूम्रपान करना पीरियड के वक्त साफ-सफाई न रखना आदि गलत आदत के कारणों से झेलनी पड़ती है।
झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के नावाडीह प्रखंड से सुमित्रा देवी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उन्हें राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी नहीं हैं।
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झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से खुशबू अब मेरी बारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही है कि महावरी सम्बन्धित चलाया गया कार्यक्रम बहुत अच्छा लगता है साथ ही कहती है कि इसका दुबारा लाभ आंगनबाडी से नहीं मिलता हैं।
झारखण्ड राज्य के जिला बोकारो बेरमो ग्राम गोटियाटांड़ से नेहा कुमारी अब मेरी बारी कार्यक्रम के माध्यम से बतातीं हैं कि अब मेरी बारी मे चल रहे माहवारी की जानकारी बहेद अच्छी लगी। वे बताती हैं कि उन्हें आंगनबाड़ी केंद्रों में दी जाने वाली सुविधाओं से भी वंचित रखा जाता है।
जनशक्ति अभियान पर अधिवक्ता बसंत कुमार से बातचीत
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से जेएम रंगीला झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से विज्ञान स्नातक पूर्व मुखिया सह प्रख्यात समाज सेवी दिलीप कुमार से राज्य की लचर होती शिक्षा व्यवस्था पर बातचीत कर रहे हैं।बातचीत के दौरान दिलीप कुमार ने बताया कि वर्तमान शिक्षा व्यवस्था बिलकुल ही चौपट हो गयी है यह संतोष जनक लायक नहीं रह गया है। वे बताते हैं कि सरकारी विद्यालयों में सिर्फ गरीब ,किसान एवं गांव के बच्चे पढ़ाई करने जाते हैं। विद्यालय में जहाँ पांच सौ बच्चे उपस्थित है वहां केवल चार शिक्षक ही उपस्थित रहते हैं। उनका कहना है कि सरकार के व्यवसाईकरण और निजीकरण के कारण शिक्षा बहुत महंगा हो गया जिससे गरीबों के बच्चे नहीं पढ़ सकते हैं। दिलीप कुमार बताते कि राज्य में शिक्षा की ऐसी स्थिति होने स्थानीय जनप्रतिनिधि पूरी तरह से जिम्मेवार हैं , जो चुनकर जाते हैं और इस तरह की समस्याओं की व्याख्या सरकार के समक्ष नहीं कर पाते हैं।सरकार तक इन कार्यों की स्थिति के नहीं पहुँचने के कारण जनता अव्यवस्था का शिकार हो जाती हैं । वे कहते हैं कि झारखण्ड एक खनिज सम्पदा से परिपूर्ण राज्य है और देश के विभिन्न क्षेत्रों में यहां के कोयले की आपूर्ति की जाती है।इसके बदले झारखण्ड सरकार को रॉयल्टी के रूप में लाभ प्राप्त भी हो रही है।बावजूद इसके राज्य में अच्छे विद्यालयों की कमी है।
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से निर्मल महतो ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मनरेगा योजना केंद्र सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना है और इससे लोगों को ग्रामीण स्तर पर रोजगार मिला हुआ है। लेकिन गौर करने वली बात है कि मनरेगा कार्य में जेसीबी मशीन का उपयोग से जुड़ा मामला नवाडीह प्रखंड के बेरमो अनुमंडल में सामने आया है। यहाँ नक्सली प्रभावित क्षेत्र में मनरेगा कार्य में जेसीबी का उपयोग किया गया। पंचायत में मनरेगा कार्य के अंतर्गत बन रहे डोभा निर्माण में जेसीबी का उपयोग किये जाने की शिकायत सामने आयी है। इतना ही नहीं बेखौफ होकर इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। मनरेगा के कार्यों में हर हाल में मजदूरों को काम दिया जाना है परन्तु अधिकारी, कर्मचारी से लेकर लाभुक तक के बीच में एक ऐसी व्यवस्था बनायीं गयी है ,जिसमे जेसीबी का सहारा लेकर काम पूरा किया जाता है। इससे मजदूरों को काम नहीं मिलता। कुछ मजदूरों का जॉब कार्ड बनवा कर उनके खातों में राशि भेजी जाती है,फिर उस मजदूर को कुछ पैसे देकर शेष रकम को आपस में बंदरबांट किया जाता है। बीडीओ सुभाष चंद्र दास ने कहा कि उन्हें मनरेगा कार्य में जेसीबी के उपयोग किये जाने की जानकारी नहीं थी ,अगर ऐसी बात है तो इससे सम्बंधित अधिकारियों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जायेगा।
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिले के नावाडीह से निर्मल महतो बता रहे है कि बेरमो कोयलांचल के चंद्रपुरा प्रखंड की तारानारी पंचायत के 38 वर्षीय हीरालाल महतो ,वैज्ञानिक विधि से खेती कर हरित क्रांति को नया आयाम दे रहे हैं । वे अपने गांव आमटोला स्थित तीन एकड़ भूमि में मलचिंग विधि से करेला, कद्दू, गोभी व नेनुवा की उपज कर प्रतिमाह 50 से 60 हजार रुपये आमदनी कमा रहे हैं। ऐसा कर वे क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी प्रेरणा के स्नोत बन गए हैं। उनको देख, इस क्षेत्र के अन्य कई किसान भी खेती में मलचिंग विधि को अपना रहे हैं। उनमें राजेश कुमार, दिनेश महतो, राजेश मंडल आदि शामिल हैं।हीरालाल महतो ने दो वर्ष से मलचिंग विधि को अपनाया है। पिछले साल उन्होंने इस विधि से अपने खेत में बैंगन, टमाटर व मिर्च उपजाई थी। इससे पहले ड्रीप एरिगेशन विधि अपनाकर काफी कम पानी से सिंचाई कर अपने खेत को हरी मिर्च की हरियाली बख्शी थी। वे मलचिंग विधि से शीघ्र ही मूली, भिंडी आदि सब्जियां भी उपजाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए उद्यान मित्र आर महतो के दिशा-निर्देश पर वे अपने अन्य खेत को तैयार करने में जुटे हुए हैं। इसके तहत खेत को क्यारीदार बनाकर ड्रीप एरिगेशन के लिए पाइपलाइन लगाकर क्यारियों को प्लास्टिक से ढंककर पौधे रोपने की तैयारी कर हैं। उन्होंने बताया कि इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई करने के बाद शुरुआती दौर में ट्रैक्टर खरीदकर चलाया, लेकिन अधिक लाभ नहीं होने पर खेती करने की ओर अपना रुख मोड़ लिए। हीरालाल सहित तारानारी के अन्य कई किसानों को कृषि विभाग की ओर से वित्तीय वर्ष 2013-14 में 90 प्रतिशत अनुदान पर खेत की सिंचाई के लिए ड्रीप पाइपलाइन की सुविधा उपलब्ध कराई गई। साथ ही मनरेगा की योजना से कूप भी बनवाया गया। इस सरकारी मदद से उक्त किसानों के खेतों में हरियाली आने के साथ-साथ उनके जीवन में खुशहाली भी आ गई। हीरालाल बताते हैं कि मलचिंग विधि से हर तरह की साग-सब्जियों की खेती आसानी से की जा सकती है। अलग-अलग फसलों के लिए बार-बार खेत की जुताई कर तैयारी करने की इस विधि में जरूरत नहीं पड़ती। इस विधि को वैसे किसान अपना सकते हैं, जिनके खेत में ड्रीप एरिगेशन की सुविधा उपलब्ध है।