मध्याह्न भोजन की समीक्षा में लापरवाही बरतनेवाले राज्य के 1111 प्रखंड साधनसेवी (बीआरसी) का वेतन अगले आदेश तक के लिए रोक दिया गया है। मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय ने शुक्रवार यह कार्रवाई की। साथ ही इनके तीन दिन के वेतन की भी कटौती हो सकती है। एक से दस अप्रैल तक निरीक्षण के क्रम में इन प्रखंड साधनसेवी के कामकाज में खामी पाए जाने के बाद यह कार्रवाई हुई है। इन प्रखंड साधनसेवी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। तीन दिनों के अंदर इन्हें जवाब देना है। सबसे अधिक सीवान जिले के 148 प्रखंड साधन सेवी पर कार्रवाई हुई है। वहीं मधुबनी के 69, लखीसराय के 64 और पटना जिला के 40 प्रखंड साधनसेवी पर गाज गिरी है।

आपका पैसा आपकी ताकत की आज की कड़ी में हम सुनेंगे अपने श्रोताओं की राय

हाल ही में एक रिपोर्ट के अनुसार बीस तीन सालों में दुनिया के पांच बड़े व्यापारियों की संपत्ति में दोगुने से ज्यादा का इजाफा हुआ है, जिस समय इन अमीरों की दौलत में इजाफा हो रहा था, ठीक उसी समय पांच मिलियन लोग गरीब से और ज्यादा गरीब हो रहे थे। इससे ज्यादा मजे की बात यह है कि हाल ही में दावोस में हुई वर्ल्ड इकोनोमिक फोरम की बैठक में शीर्ष पांच उद्योगपतियों ने एक नई रणनीति पर चर्चा और गठबंधन किया।

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दोस्तों, दुनिया भर में काम के घंटे घटाए जाने की मांग बढ़ जा रही है, दूसरी तरफ भारत काम के घंटों को बढ़ाए जाने की सलाह दी जा रही है। भारत में ज्यादातर संस्थान छ दिन काम के आधार पर चलते हैं, जिनमें औसतन 8-9 घंटे काम होता है, उस हिसाब से यहां औसतन पैंतालिस घंटे काम किया जाता है। जबकि दुनिया की बाकी देशों में काम के घंटे कम हैं, युरोपीय देशों में फ्रांस में औसतन 35 घंटे काम किया जाता है, ऑस्ट्रेलिया में 38 घंटे औसतन साढ़े सात घंटे काम किया जाता है, अमेरिका में 40 घंटे, ब्रिटेन में 48 घंटे और सबसे कम नीदरलैंड में 29 घंटे काम किया जाता है। दोस्तों, बढ़े हुए काम घंटों की सलाह देना आखिर किस सोच को बताता है, जबकि कर्मचारियों के काम से बढ़े कंपनी के मुनाफे में उसका हक न के बराबर या फिर बिल्कुल नहीं है? ऐसे में हर बात पर देशहित को लाना और उसके नाम पर ज्यादा काम की सलाह देना कितना वाजिब है? इस मसले पर अपना राय को मोबाईल वाणी पर रिकॉर्ड करें और बताएं कि आप इस मसले पर क्या सोचते हैं, आप भले ही मुद्दे के पक्ष में हों या विपक्ष में, इसे रिकॉर्ड करने के लिए दबाएं अपने फोन से तीन नंबर का बटन

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दोस्तो, आज अंतरराष्ट्रीय समान वेतन दिवस है... यह दिन खासतौर पर उन महिलाओं को समर्पित है... जो काम तो पुरुषों के बराबर करती हैं पर जब वेतन की बात आती है तो उन्हें कम आंका जाता है... क्या आप भी ऐसी परिस्थितियों से गुजरे हैं? इस खास दिन पर आपके क्या विचार है.. फोन में नम्बर 3 दबाकर रिकॉर्ड करें.

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राज्य के अनुदानित डिग्री कॉलेजों में वर्ष 2008 के बाद नियुक्त शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को भी अनुदान की राशि से वेतन का भुगतान होगा। राज्यभर से इस संबंध में आ रही शिकायतों के बाद शिक्षा विभाग ने इसे स्पष्ट किया है। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. रेखा कुमारी ने बताया कि कई कॉलेज प्रबंधन द्वारा 2008 के बाद नियुक्त होने वालों को अनुदान की राशि नहीं दिये जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। इसको लेकर जल्द ही विश्वविद्यालयों के संबंधित पदाधिकारियों की बैठक बुलाई जाएगी, ताकि भ्रम की स्थिति नहीं रहे और नियमानुसार नियुक्त सभी को अनुदान राशि का भुगतान हो। इस संबंध में विभाग ने कहा कि स्वीकृत पदों पर विधिवत रूप से नियुक्त सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को अनुदान की राशि से वेतन भुगतान कॉलेज प्रबंधन को अनिवार्य रूप से करना है। बशर्ते जिस शैक्षणिक सत्र के लिए अनुदान की राशि सरकार द्वारा दी जा रही है, उस दौरान वह शिक्षक-कर्मी कार्यरत थे। विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि 2008 में वित्त रहित शिक्षा नीति को समाप्त कर कॉलेजों को विद्यार्थियों के प्रदर्शन के आधार पर अनुदान देने की व्यवस्था शुरू हुई। शैक्षणिक सत्र वर्ष 2005-08 के लिए पहली बार अनुदान जारी हुआ। इसके पहले कॉलेज सेवा आयोग के माध्यम से इन कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति होती थी। अप्रैल, 2007 में कॉलेज सेवा आयोग भंग कर इसकी जगह विश्वविद्यालय चयन समिति को यह जिम्मेदारी दी गई। अगस्त, 2013 को इसमें फिर संशोधन हुआ और कॉलेज स्तर पर गठित समिति के माध्यम से चयन का नियम बना। पर, सरकार ने कभी यह नहीं कहा कि नवनियुक्त को अनुदान नहीं मिलेगा। पर, कई कॉलेज प्रबंधन मनमानी कर रहे हैं और वेतन भुगतान नहीं कर रहे। मालूम हो कि राज्य में 225 अनुदानित डिग्री कॉलेज हैं, जिनमें दस हजार से अधिक शिक्षक-कर्मचारी कार्यरत हैं।