राज्य के अनुदानित डिग्री कॉलेजों में वर्ष 2008 के बाद नियुक्त शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों को भी अनुदान की राशि से वेतन का भुगतान होगा। राज्यभर से इस संबंध में आ रही शिकायतों के बाद शिक्षा विभाग ने इसे स्पष्ट किया है। उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. रेखा कुमारी ने बताया कि कई कॉलेज प्रबंधन द्वारा 2008 के बाद नियुक्त होने वालों को अनुदान की राशि नहीं दिये जाने की शिकायतें प्राप्त हो रही हैं। इसको लेकर जल्द ही विश्वविद्यालयों के संबंधित पदाधिकारियों की बैठक बुलाई जाएगी, ताकि भ्रम की स्थिति नहीं रहे और नियमानुसार नियुक्त सभी को अनुदान राशि का भुगतान हो। इस संबंध में विभाग ने कहा कि स्वीकृत पदों पर विधिवत रूप से नियुक्त सभी शिक्षकों और कर्मचारियों को अनुदान की राशि से वेतन भुगतान कॉलेज प्रबंधन को अनिवार्य रूप से करना है। बशर्ते जिस शैक्षणिक सत्र के लिए अनुदान की राशि सरकार द्वारा दी जा रही है, उस दौरान वह शिक्षक-कर्मी कार्यरत थे। विभागीय पदाधिकारी बताते हैं कि 2008 में वित्त रहित शिक्षा नीति को समाप्त कर कॉलेजों को विद्यार्थियों के प्रदर्शन के आधार पर अनुदान देने की व्यवस्था शुरू हुई। शैक्षणिक सत्र वर्ष 2005-08 के लिए पहली बार अनुदान जारी हुआ। इसके पहले कॉलेज सेवा आयोग के माध्यम से इन कॉलेजों में शिक्षकों की नियुक्ति होती थी। अप्रैल, 2007 में कॉलेज सेवा आयोग भंग कर इसकी जगह विश्वविद्यालय चयन समिति को यह जिम्मेदारी दी गई। अगस्त, 2013 को इसमें फिर संशोधन हुआ और कॉलेज स्तर पर गठित समिति के माध्यम से चयन का नियम बना। पर, सरकार ने कभी यह नहीं कहा कि नवनियुक्त को अनुदान नहीं मिलेगा। पर, कई कॉलेज प्रबंधन मनमानी कर रहे हैं और वेतन भुगतान नहीं कर रहे। मालूम हो कि राज्य में 225 अनुदानित डिग्री कॉलेज हैं, जिनमें दस हजार से अधिक शिक्षक-कर्मचारी कार्यरत हैं।