मध्याह्न भोजन की समीक्षा में लापरवाही बरतनेवाले राज्य के 1111 प्रखंड साधनसेवी (बीआरसी) का वेतन अगले आदेश तक के लिए रोक दिया गया है। मध्याह्न भोजन योजना निदेशालय ने शुक्रवार यह कार्रवाई की। साथ ही इनके तीन दिन के वेतन की भी कटौती हो सकती है। एक से दस अप्रैल तक निरीक्षण के क्रम में इन प्रखंड साधनसेवी के कामकाज में खामी पाए जाने के बाद यह कार्रवाई हुई है। इन प्रखंड साधनसेवी से स्पष्टीकरण मांगा गया है। तीन दिनों के अंदर इन्हें जवाब देना है। सबसे अधिक सीवान जिले के 148 प्रखंड साधन सेवी पर कार्रवाई हुई है। वहीं मधुबनी के 69, लखीसराय के 64 और पटना जिला के 40 प्रखंड साधनसेवी पर गाज गिरी है।

महिलाओं की लगातार बढ़ती हिस्सेदारी और उसके सहारे में परिवारों के आर्थिक हालात सुधारने की तमाम कहानियां हैं जो अलग-अलग संस्थानों में लिखी गई हैं, अब समय की मांग है कि महिलाओं को इस योजना से जोड़ने के लिए इसमें नए कामों को शामिल किया जाए जिससे की ज्यादातर महिलाएं इसका लाभ ले सकें। दोस्तों आपको क्या लगता है कि मनरेगा के जरिए महिलाओँ के जीवन में क्या बदलाव आए हैं। क्या आपको भी लगता है कि और अधिक महिलाओं को इस योजना से जोड़ा जाना चाहिए ?

मनरेगा में भ्रष्टाचार किसी से छुपा हुआ नहीं है, जिसका खामियाजा सबसे ज्यादा दलित आदिवासी समुदाय के सरपंचों और प्रधानों को उठाना पड़ता है, क्योंकि पहले तो उन्हें गांव के दबंगो और ऊंची जाती के लोगों से लड़ना पड़ता है, किसी तरह उनसे पार पा भी जाएं तो फिर उन्हें प्रशासनिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इस मसले पर आप क्या सोचते हैं? क्या मनरेगा नागरिकों की इच्छाओं को पूरा करने में सक्षम हो पाएगी?

भारत का आम समाज अक्सर सरकारी सेवाओं की शिकायत करता रहता है, सरकारी सेवाओं की इन आलोचनाओं के पक्ष में आम लोगों सहित तमाम बड़े बड़े अर्थशास्त्रियों तक का मानना है कि खुले बाजार से किसी भी क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों में कंपटीशन बढ़ेगा जो आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देगा। इस एक तर्क के सहारे सरकार ने सभी सेवाओं को बाजार के हवाले पर छोड़ दिया, इसमें जिन सेवाओं पर इसका सबसे ज्यादा असर हुआ वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर पड़ा है। इसका खामियाजा गरीब, मजदूर और आम लोगों को भुगतना पड़ता है।

गुरुवार को बिहार ग्रामीण बैंक शाखा में ग्राहकों की एक बैठक आयोजित की गई ।शाखा प्रबंधक संजीत कुमार राय ने अध्यक्षता की।ग्राहकों को संबोधित करते हुए शाखा प्रबंधक श्री राय ने कहा कि भारत सरकार के नए दिशानिर्देशों के अनुसार सभी ऋण धारक जिन्होंने अभी तक अपनी बुनियादी जानकारी और अपनी भूमि का विवरण जमा नहीं किया है। वह बैंक द्वारा प्राप्त ब्याज सहायता से वंचित रह जायेंगे। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

नमस्कार दोस्तों, मोबाइल वाणी पर आपका स्वागत है। तेज़ रफ्तार वक्त और इस मशीनी युग में जब हर वस्तु और सेवा ऑनलाइन जा रही हो उस समय हमारे समाज के पारंपरिक सदस्य जैसे पिछड़ और कई बार बिछड़ जाते हैं। ये सदस्य हैं हमारे बढ़ई, मिस्त्री, शिल्पकार और कारीगर। जिन्हें आजकल जीवन यापन करने में बहुत परेशानी हो रही है। ऐसे में भारत सरकार इन नागरिकों के लिए एक अहम योजना लेकर आई है ताकि ये अपने हुनर को और तराश सकें, अपने काम के लिए इस्तेमाल होने वाले ज़रूरी सामान और औजार ले सकें। आज हम आपको भारत सरकार की विश्वकर्मा योजना के बारे में बताने जा रहे हैं। तो हमें बताइए कि आपको कैसी लगी ये योजना और क्या आप इसका लाभ उठाना चाहते हैं। मोबाइल वाणी पर आकर कहिए अगर आप इस बारे में कोई और जानकारी भी चाहते हैं। हम आपका मार्गदर्शन जरूर करेंगे। ऐसी ही और जानकारियों के लिए सुनते रहिए मोबाइल वाणी,

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निवार को लगभग 500 करोड़ रुपये की लागत से इस योजना की आधारशिला रखी । नाली का निर्माण किया जाना है । परिषद के पूर्व उपाध्यक्ष श्याम शर्मा ने कहा कि पंडित दीनदयाल चौक से लेकर भोला प्रसाद रोनियार के घर और डॉ . टुन्नू के सामने तक की योजना दो हजार इकतीस में तैयार हो गई है । शनिवार को आधारशिला रखी गई थी , जिससे इस नाले का निर्माण होगा । विधायक सिंह ने आगे कहा कि शहरी विकास विभाग द्वारा दी गई राशि या नाले का निर्माण शहर को स्वस्थ और सुंदर बनाएगा

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दस दिनों में जिले के विभिन्न प्रखंडों में 5,60,290 आयुष्मान कार्ड बनाये गये। जिले में सबसे अधिक कल्याणपुर प्रखंड क्षेत्र में 26,194 आयुष्मान कार्ड अबतक बनाये गये है। वहीं सबसे कम सुगौली प्रखंड क्षेत्र में 7366 कार्ड बनाये गये। जिला आपूर्ति पदाधिकारी प्रीति सिंह का कहना है कि पीडीएस दुकानों पर आयुष्मान कार्ड बनाने का मंगलवार को समाप्त हो गया है। हेल्थ विभाग आगे कार्ड बनायेगी। आयुष्मान के जिला संयोजक जयंत कुमार का कहना है कि साढ़े पांच लाख से अधिक आयुष्मान कार्ड बनाये जा चुके हैं।