झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला से राजकुमार मेहता ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि विेधवाओं को अक्सर लांछित जीवन जीने और सामाजिक रूप से बहिष्कृत किए जाने का डर होता है। दृष्टि आई एस की एक रिपोर्ट बताती है कि विधवाओं को गरिमा पूूर्ण जीवन जीनेऐ रोका जाता है। और ससुराल वाले क्रूर व्यवहार करते हैं। जमीन के मालिकाना हट के अभाव में विधवाएं पूरी तरह आर्थिक रूप से कमजोर हो जाती है।एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार जमीन ना होने पर उन्हें कम मजदूरी वाले काम करने पड़ते हैं। ऐसे में बच्चों की शिक्षा एवं देखभाल मुश्किल हो जाती है
मध्य प्रदेश राज्य के नगर इटारसी से राकेश कुमार यादव मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते हैं कि महिलाओं को ससुराल के प्रॉपर्टी में हक़ लेना चाहिए।मायके में माता पिता अपने बेटी को पढ़ाते लिखाते हैं और दहेज़ देकर शादी करते हैं और उसके बाद जमीन में भी हिस्सा देना पड़ेगा तो लोग बेटी को जन्म नहीं देने के बारे में सोचने लगेंगे।इसलिए बेटी को ससुराल में ही हक़ मिलना चाहिए।
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से संस्कृति श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती हैं कि भूमि अधिकार महिलाओं को मिलने का मतलब उन्हें सशक्त बनाता है। एक महिला अपना पूरा जीवन अपने परिवार के देख भाल करने में समर्पित कर देती है। लेकिन जब अधिकारों की बात आती है, तो उनका नाम कहीं नहीं होता है। जबकि महिला को भूमि अधिकार मिलते ही उनका पूरा परिवार सुरक्षित हो जाता है। इसलिए हमें भी महिलाओं के हक और अधिकार के बारे में सोचते हुए उन्हें जमीन पर बराबर का हिस्सेदार बनाना चाहिए
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से संस्कृति श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती हैं कि हमारे समाज में अब भी कुछ ऐसे लोग हैं जिनका मानना है कि धन संपत्ति में सिर्फ बेटों का ही अधिकार होना चाहिए। लेकिन ऐसा नहीं है समय और कानून दोनों बदल गया है। इसलिए विरासत की जमीन हो या खरीदी हुई सब पर महिलाओं का अब बराबर का हक है। इसलिए लोगों को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए और बराबरी जुबान से नहीं कागजातों से की जानी चाहिए। अगर हम चाहते हैं की महिला अपने निर्णय खुद लें और आत्मनिर्भर बनें तो उन्हें ओनरशिप देनी पड़ेगी उनको मालिक बनाना पड़ेगा
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से संस्कृति श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती हैं कि एक महिला दिन रात खेतों और घर में काम करती है। लेकिन अधिकार के नाम पर उनके पास कोई जमीन नहीं होता है। लेकिन अगर महिलाओं को जमीन मिला तो वो सिर्फ बेटी बहु और पत्नी नहीं बल्कि किसान एक ओनर एक डिसीजन लेने वाली निर्णय लेने वाली बन सकती हैं। इसलिए महिलाओं का भूमि अधिकार मिलना बहुत जरूरी है। जमीन का कागज बस सिर्फ कागज नहीं है,महिलाओं की कहानी बदलने का एक तरीका है। इससे कई महिलाओं की जिंदगी पूरी तरीके ऐसी बदल सकती है
उत्तरप्रदेश राज्य के बस्ती ज़िला से संस्कृति श्रीवास्तव मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती हैं कि महिलाओं को जमीनी हक का मिलना सिर्फ एक प्रॉपटी पैसा में बढ़ोत्तरी नहीं है। जमीं पर हक मिलना यानी उस महिला का जीवन बदलना यानि उनका भविष्य सुरक्षित होना है। वो अपने जिंदगी को और बेहतर ढंग से जी पाती है। अगर जमीन महिला के नाम हो तो वो लोन ले सकती है। अपना रोजगार शुरू कर सकती है। खराब परिस्थिति में खुद को संभाल सकती है। अगर घर की चाभियां महिला रख सकती हैं,तो जमीन की ताकत भी उन्हें मिलनी चाहिए
बिहार राज्य के जमुई ज़िला के गिद्धौर प्रखंड के स्वजना ग्राम से रंजन की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से कुमारी दीपा से हुई। दीपा कहती है कि महिलाओं के नाम जमीन जब ख़रीदाता है तो महिलाओं को आर्थिक परिवर्तन और वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है। महिलाएँ आत्मिक रूप से आत्मनिर्भर बनती है। पैतृक संपत्ति में महिलाओं को अधिकार मिलने से समाज में लैंगिक समानता को बढ़ावा मिला है। लेकिन अभी भी परिवार में जागरूकता और सामाजिक मान्यताओं में बदलाव की आवश्यकता है। महिलाओं को जब से जमीन मिलना शुरू हुआ है तब से महिलाओं के जीवन में परिवर्तन हुआ है। उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखा जा रहा है। वो खुद में गर्व महसूस करने लगी है। घर में अधिकार मिलने से बच्चों की परवरिश अच्छे से कर सकती है
उत्तर प्रदेश राज्य के संत कबीर नगर जिला से मनोज कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि महिलाओं को संपत्ति में अधिकार देना ठीक रहेगा।अगर किसी महिला को संपत्ति में अधिकार मिल जाता है तो, उनका आत्मविश्वास बढ़ जाएगा। महिला सशक्तिकरण में एक योगदान हो होगा। महिला स्लंबी होंगी और अपना तथा अपने बच्चों का अच्छा विकास करेंगी। किसी पे आश्रित नहीं होंगी तथा उनकी आर्थिक आजादी के तरफ अच्छा कदम होगा। वो अपने फैसले खुद ले पाएंगी और अपने बच्चों का विकास करेंगी। बच्चों के विकास के साथ महिलाओं और समाज का विकास भी होगा। समाज का विकास होगा तो देश का विकास होगा। इसीलिए महिलाओं को समपत्ति में अधिकार देना चाहिए।यह आज के समय की मांग है
बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से संवाददाता रंजन कुमार ने सारिका से साक्षात्कार लिया। जिसमें सारिका ने कहा कि अगर महिला के नाम पर भूमि लिया जाए तो उससे महिलाओं की आमदनी और जिम्मेदारी दोनों बढ़ती है। इसके बाद महिला रोजगार कर व्यवसाय कर के आगे बढ़ सकती हैं। जमीन मिलने से ना सिर्फ महिला का बल्कि उनके बच्चों का भी भविष्य अच्छा होता है। वो पाने जीवन का निर्णय भी खुद लेती हैं कि उन्हें जमीन पर घर बनाना है या आमदनी कैसे करनी है। जमीन मिलने से महिला कई मायनों में सक्षम हो जायेगी
उत्तरप्रदेश राज्य के बलरामपुर ज़िला से वीर बहादुर यादव की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से 32 वर्षीय कमलेश कुमार वर्मा से हुई। कमलेश कहते है कि महिलाओं को हर क्षेत्र में अधिकार मिलना चाहिए। राजनीतिक ,सामाजिक ,खेल ,शिक्षा के क्षेत्र में हिस्सा मिलना चाहिए। जमीन में भी हिस्सा मिलना चाहिए। कमलेश की माँ के नाम 15 -16 बीघा खेत बैनामा करवाया गया है। इससे वो सशक्त महसूस करती है। अगर कोई नहीं सहारा देगा तो वो खुद ही अपना बुढ़ापा में भरण पोषण कर सकती है। जमीन एक अचल सम्पत्त है जो जीवन में कहीं न कहीं साथ देगा ही।
