2024 के आम चुनाव के लिए भी पक्ष-विपक्ष और सहयोगी विरोधी लगभग सभी प्रकार के दलों ने अपने घोषणा पत्र जारी कर दिये हैं। सत्ता पक्ष के घोषणा पत्र के अलावा लगभग सभी दलों ने युवाओं, कामगारों, और रोजगार की बात की है। कोई बेरोजगारी भत्ते की घोषणा कर रहा है तो कोई एक करोड़ नौकरियों का वादा कर रहा है, इसके उलट दस साल से सत्ता पर काबिज राजनीतिक दल रोजगार पर बात ही नहीं कर रहा है, जबकि पहले चुनाव में वह बेरोजगारी को मुद्दा बनाकर ही सत्ता तक पहुंचा था, सवाल उठता है कि जब सत्ताधारी दल गरीबी रोजगार, मंहगाई जैसे विषयों को अपने घोषणापत्र का हिस्सा नहीं बना रहा है तो फिर वह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ रहा है।
रोसड़ा(समस्तीपुर): भारत का छात्र फेडरेशन एसएफआई के द्वारा यूआर कॉलेज के अंबेडकर छात्रावास में एसएफआई जिलाध्यक्ष नील कमल,जिला कमिटी सदस्य प्रिंस कुमार व संतोष कुमार महात्मा के नेतृत्व में सदस्यता अभियान चलाया गया।इस दौरान दर्जनों छात्रों ने संगठन की सदस्यता ग्रहण किया। जिलाध्यक्ष नीलकमल ने कहा कि वर्तमान समय में महंगाई के इस दौर में गरीब और वंचितों के लिए शिक्षा ग्रहण करना काफी मुश्किल हो गया है।एक तरफ बिहार सरकार जहां एससी-एसटी के छात्रों एवं छात्राओं के लिए निःशुल्क शिक्षा मुहैया करने का ढोल पीट रही है।वहीं स्नातक व स्नातकोत्तर में नामांकन हेतु ऐसे कोटि के छात्र-छात्राओं से कॉलेजों द्वारा नामांकन के नाम पर सरकार व विवि के आदेश का धज्जियां उड़ाकर लाखों रुपए का गबन किया जा रहा है। इसी कड़ी में तीन सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल यूआर कॉलेज के प्राचार्य को स्नातक सत्र 2023-27 के द्वितीय सेमेस्टर में ऐसे छात्रों से लिया गया ₹700 वापस करने एवं आगे निःशुल्क नामांकन लेने हेतु ज्ञापन सौंपा है। संगठन ने यह चेतावनी दी है कि यदि समय रहते हैं ऐसे कोटि के छात्रों से लिया गया रुपया वापस और आगे बचे हुए छात्रों का निःशुल्क नामांकन नहीं होता है तो इसके खिलाफ आंदोलन किया जाएगा एल।जिसका जवाबदेही कॉलेज प्राचार्य,विश्वविद्यालय एवं बिहार सरकार की होगी। वहीं अमित कुमार,संजय कुमार,गोलू कुमार,कृष्ण कुमार,गुंजन कुमार,विवेक कुमार,सुमित कुमार,अनिल कुमार,अमित कुमार आदि दर्जनों छात्रों ने सदस्यता ग्रहण किए।
एडीआर संस्था ने अपनी एक और रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में राजनीतिक पार्टियों की कमाई और खर्च का उल्लेख है। यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे राजनीतिक पार्टियां अपने विस्तार और सत्ता में बने रहने के लिए बड़े पैमाने पर खर्च करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक देश के सबसे बड़े सत्ता धारी दल ने बीते वित्तीय वर्ष में बेहिसाब कमाई की और इसी तरह खर्च भी किया। इस रिपोर्ट में 6 पार्टियों की आय और व्यय के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें भाजपा, कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, सीपीआई एम और बीएसपी और एनपीईपी शामिल हैं। दोस्तों, *---- आपको क्या लगता है, कि चुनाव लडने पर केवल राजनीतिक दलों की महत्ता कितनी जरूरी है, या फिर आम आदमी की भूमिका भी इसमें होनी चाहिए? *---- चुनाव आयोग द्वारा लगाई गई खर्च की सीमा के दायेंरें में राजनीतिक दलों को भी लाना चाहिए? *---- सक्रिय लोकतंत्र में आम जनता को केवल वोट देने तक ही क्यों महदूद रखा जाए?
देश के किसान एक बार फिर नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले साल नवंबर 2020 में किसानों ने केंद्र सरकार के द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के रद्द करने के लिए दिल्ली में प्रदर्शन किया था और इसके बाद अगले साल 19 नवंबर 2021 को केंद्र सरकार ने तीनों कानून वापस ले लिए थे, हालांकि इस दौरान करीब सात सौ किसानों की मौत हो चुकी थी। उस समय सरकार ने किसानों की कुछ मांगों पर विचार करने और उन्हें जल्दी पूरा करने का आश्वासन दिया था लेकिन ऐसा अब तक नहीं हआ है। और यही वजह है कि किसान एक बार फिर नाराज़ हैं।
एक सामान्य समझ है कि कानून और व्यवस्था जनता की भलाई के लिए बनाई जाती है और उम्मीद की जाती है कि जनता उनका पालन करेगी, और इनको तोड़ने वालों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके उलट भारतीय न्याय संहिता में किये गये हालिया बदलाव जनता के विरोध में राज्य और पुलिस को ज्यादा अधिकार देते हैं, जिससे आभाष होता है कि सरकार की नजर में हर मसले पर दोषी और पुलिस और कानून पूरी तरह से सही हैं।
नए मोटर व्हीकल एक्ट में हिट एंड रन के मामले में भारी सजा एवम जुर्माना के विरोध में वाहन चालकों के चक्का जाम से दैनिक उपयोग की सामग्रियों के दाम बढ़ने शुरू हो गए और ऐसे में बालू की कीमत भी अछूती नहीं है। बालू की बिक्री के लिए समस्तीपुर शहर में मगरदही घाट, मुसरीघरारी में बालू खरीदने जाते हैं लोग।कल से हड़ताल शुरू हीं हुआ है और आज बालू की कीमत लगभग 30 से 40 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला। इस संबंध में मगरदही घाट पर बालू की मंडी में बालू खरीदने गए ग्राहक कहते हैं की उन्हें अपने मकान के प्लास्टर के लिए बालू खरीदना था पर कल तक बालू का रेट 5500 से 5800 तक का था जो आज 7000 दिख रहा है और मनपसंद बालू भी नहीं मिल रहा है। बजट गड़बड़ा रहा है कुछ दिन मकान का काम बंद करना पड़ेगा। वहीं बालू एजेंट कहते हैं की जहां प्रतिदिन 10 से 15 गाड़ियों से बालू आता था वहीं आज मात्र तीन गाड़ी आई है और इसे भी हम दूर के क्षेत्रों में नहीं भेजेंगे क्यूंकि ट्रक चालक चक्का जाम में जाना चाहते हैं। *क्या है वजह* केन्द्र सरकार द्वारा भारतीय न्याय संहिता में किए जा रहे बदलाव की स्थिति में एक्सीडेंट में अगर ड्राइवर दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें 10 साल की सजा एवम भारी जुर्माना की सजा हो सकती है। *पिक अप से हो रही है बालू की ढुलाई* ताजपुर मंडी पहुंचने पर मिलती है नई जानकारी, पिक अप से भी अब हो रहा है बालू का कारोबार। पारंपरिक रूप से ट्रक और ट्रैक्टर से होती थी ढुलाई पर बालू की कम आपूर्ती और बढ़ती कीमत के बिच पिकअप गाड़ी वाले भी बालू लाकर बेच रहें हैं, पिक अप पर 200 सीएफटी बालू है। चक्का जाम के बिच पिक अप से बालू आ तो रहा है पर इससे बढ़ी कीमत और आवश्यकताओं की आपूर्ति में हो रही परेशानी नहीं कम रही है।
युवा राष्ट्रीय जनता दल द्वारा रविवार को कल्याणपुर प्रखंड मुख्यालय पर प्रखंड स्तरीय चौपाल का आयोजन किया गया।जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश महासचिव सूरज कुमार दास, राजद के वरिष्ठ नेता रामनाथ राय, प्रखंड युवा राजद के प्रखंड उपाध्यक्ष धर्मेंद्र कुमार राय , युवा राजद प्रधान महासचिव मंटू भगत, उमाकांत राय, बेचन राय, निखिल यादव संजीव कुमार राय आदि शामिल रहे।इसकी अध्यक्षता युवा राजद प्रखंड अध्यक्ष दिलीप यादव ने की।चौपाल में राजद नेताओं ने देश में बढ़ती महंगाई, नई शिक्षा नीति, बेरोजगारी सहित तमाम मुद्दों पर अपना वक्तव्य देते हुए केंद्र सरकार के नीतियों का विरोध किया।वही पूरे देश में जाती जनगणना कराने की मांग की है।
विद्यापतिनगर मौसम अनुकूल होने से क्षेत्र में आलू रोपने का काम किसान जल्द कर लेना चाहते हैं, लेकिन आलू के बीज की महंगाई की वजह से किसानों के पसीने छूट रहे हैं। इस बार महंगाई से किसानों के चेहरे पर मायूसी व उदासीनता है। ज्यादातर किसान महंगाई के कारण खाने भर ही आलू रोपने की बात कहते नजर आ रहे हैं।क्षेत्र के किसान शंकर पासवान, सुबोध सिंह, धर्मेन्द्र कुशवाहा, मुन्ना सिंह आदि बताते हैं कि इतने महंगे बीज लगाना संभव नहीं है। उसके बाद आलू की उपज की परिस्थिति क्या रहेगी। यह भी सोचना पड़ता है। आज आलू के दाम आसमान छू रहे हैं, लेकिन उपज होते ही इसका भाव गिर जाएगा और फिर हम औने-पौने दामों में इसे बेचने पर मजबूर होंगे। किसान बताते है कि सरकारी स्तर पर भी कोई अनुदान नही मिलता है। इस साल बाजार में आलू के बीज की कीमत 3100 रुपये प्रति क्विटल से लेकर 3500 रूपये प्रति क्विटल तक की है। पिछले साल की तुलना में लगभग दोगुना है। किसानों के द्वारा दोगुना कीमत के कारण इस बार काफी कम मात्रा में आलू की रोपाई कर रहे है। प्रखंड के आस पास कई गांवों में इसकी अच्छी पैदावार होती है। बावजूद किसान आलू रोपनी से कतराते नजर आ रहे हैं।अधिक जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें और पूरी खबर सुनें
भारत की जनवादी नौजवान सभा बिहार राज्य कमेटी की ओर से रोजगार, शिक्षा, महंगाई ,बेरोजगारी, भ्रष्टाचार सहित तमाम मुद्दा को लेकर राज्य स्तरीय जत्था शुक्रवार को निकाला गया । जो मधुबनी, दरभंगा होते कल्याणपुर में परतापुर चौक पर उमेश महतो के स्मारक के निकट फूल माला चढ़ाया गया। जत्था में आए हुए लोग को भोला राय के नेतृत्व में सैकड़ो नौजवान फूल माला पहना कर स्वागत किया।वही परतापुर चौक पर एक बैठक का आयोजन किया गया ।जिसका अध्यक्षता राघवेंद्र यादव ने किया।बैठक में डीवाईएफआई के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विकास झा ने केंद्र सरकार को नौजवान विरोधी छात्र विरोधी बताया ।वही कहा की यह सरकार पूंजी पति के इशारे पर देश बेचने का काम करता है। अपने वादे से मुंह मुकरने का काम किया है ।इसलिए सरकार के गलत नीतियों से आम नौजवानों के बीच में जागरूकता पैदा करके सरकार को हटाने का काम 2024 में करेंगे। यह सरकार देश में सांप्रदायिक दंगा, मंदिर और मस्जिद के नाम पर लोग को बांटना चाहता है और देश को कमजोर करना चाहता है ।वही असली मुद्दा से ध्यान ध्यान भटकाने का काम करता है। देश के अंदर में महंगाई चरम सीमा पर है इसलिए तमाम नौजवान को गोलबंद होकर सरकार के खिलाफ में आंदोलन करने की जरूरी है। मौके पर जिला मंत्री उमेश शर्मा ,जिला अध्यक्ष महेश कुमार ,मधुबनी के जिला सचिव नरेश यादव इत्यादि लोग ने संबोधित किया ।मौके पर वाल्मीकि पासवान, सुनील पासवान, सुरेंद्र पासवान, अमन कुमार ,चंदन यादव, संतोष राय ,मनोज चौधरी, शिवनाथ महतो, शिवनाथ पासवान इत्यादि सैकड़ो लोग मौजूद थे।
दोस्तों, एक अनुमान के मुताबिक, हर वर्ष शिक्षा करीब 10 से 12 फीसदी की दर से महंगी होती जा रही है। हर शिक्षण संस्थान प्रत्येक वर्ष अपनी फीस बढ़ाते जा रहे हैं। घर के बाकी खर्चों पर महंगाई के बोझ के मुकाबले शिक्षा के क्षेत्र में महंगाई दोगुनी गति से बढ़ रही है। द प्रिंट की रिपोर्ट के अनुसार, भविष्य में शिक्षा और महंगी ही होगी। आज ग्रामीण क्षेत्रों में भी शिक्षा का महत्व काफी तेजी से बढ़ रहा है। सरकार का जोर विशेषकर लड़कियों को शिक्षित करने पर है। इससे प्राइमरी व माध्यमिक विद्यालयों तक तो किशोरियां पढ़ लेती हैं, लेकिन आर्थिक विपन्नता के कारण वह उच्च माध्यमिक व उच्च शिक्षा से वंचित हो जाती हैं। बाकि बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ वाला नारा याद ही होगा। खैर, हमलोग नारो के देश में रहते है और नारा लगाते लगाते खुद कब एक नारा बन जायेंगे , पता नहीं। .. तब तक महँगाई के मज़े लीजिए बाकि तो चलिए रहा है ! ----------तो दोस्तों, आप हमें बताइए कि आपके गांव या जिला के शिक्षा की की स्थिति क्या है ? ----------वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? ----------इस बढ़ती महँगाई के कारण शिक्षा पर होने वाला आपका खर्चा कितना बढ़ा है ? दोस्तों इस मुद्दे पर अपनी बात को जरूर रिकॉर्ड करें अपने फ़ोन में नंबर 3 का बटन दबाकर या मोबाइल वाणी एप्प में ऐड का बटन दबाकर।