हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

विद्यापतिनगर। कानूनी रूप से पॉलीथिन की थैलियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के बावजूद भी शहर से गांव तक में इसका प्रयोग धडल्ले से हो रहा है। इस मामले में जुर्माने सहित अन्य दंडात्मक कार्रवाई करने के प्रावधान के बावजूद सभी बाजारों, मंडियों, दुकानों में खुलेआम इसका उपयोग जारी है। पॉलीथिन के प्रयोग के गंभीर नतीजों के सामने आने, कड़ा कानून बनने के बाद भी इसके प्रति कहीं जन चेतना दिखाई नहीं दे रही है। हालांकि समय समय पर पॉलीथिन बेचने व प्रयोग करने वालों पर सख्त कार्रवाई करते हुए चालान किए जाते है। अभियान के एक दो दिन तो पॉलीथिन प्रयोग पर थोड़ी रोक लगती है लेकिन कुछ दिनों में हालात जस के तस बन जाते है। ऐसे में सार्वजनिक जीवन में पॉलीथिन का प्रयोग अनेक प्रकार की गंभीर समस्याओं को जन्म देने का कारण बन गया है।स्वास्थ्य विभाग द्वारा प्लास्टिक से बनी थैलियों को हानिकारक घोषित किया गया है। इनके प्रयोग पर पाबंदी के आदेश दिए गए थे। सरकारी आदेशों के बाद भी प्रशासन पॉलीथिन पर रोक लगाने में नाकाम है।

एफिकोर संस्था द्वारा जलवायु परिवर्तन और आपदा जोखिम न्यूनीकरण विषय पर ए.के. पैलेस धूरलख ,समस्तीपुर में कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन अनुमंडल पदाधिकारी समस्तीपुर श्री दिलीप कुमार ने किया।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एस डी एम ने कहा की यह एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसका सीधा असर मानव और पर्यावरण की सुरक्षा और समृद्धि पर पड़ता है।

दीपावली दियों से या धमाकों से? अबकि दीवाली पर हमें यह सोचना ही होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि हमारे शहरों की हवा हमारे इस उत्साह को शायद और नहीं झेल पा रही है। हवा इतनी खराब है कि सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली इस मामले में कुछ ज्यादा बदनाम है। दुनिया के सबसे अधिक प्रदूषित जगहों में शामिल दिल्ली में प्रदूषण इतना अधिक है कि लोगों का रहना भी यहां दूभर हो रहा है।

समस्तीपुर जिले के मोहिउद्दीन नगर प्रखंड के मध्य विद्यालय कल्याणपुर बस्ती में सतर्कता जागरूकता अभियान आयोजित किया गया ।इसका आयोजन दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक मदूदाबाद ने किया । इस अवसर पर सार्वजनिक जीवन में सत्य निष्ठा के लिए लोगों को प्रेरित किया गया । वहीं सादगी जीवन जीने की बात कही गई । भ्रष्टाचार के विरोध करने एवं राष्ट्र के प्रति समर्पित रहने की भी अपील की गई । इस अवसर पर विद्यालय परिसर में पौधा रोपण भी किया गया । मौके पर एच एम रेनू कुमारी शाखा प्रबंधक बालकृष्ण कुमार सहायक प्रेमलाल प्रसाद अविनाश कुमार मोहम्मद सलीम तथा विकास कुमार मौजूद थे ।विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।

समस्तीपुर जिला के कटोरी थाना क्षेत्र के हसनपुर सूरत थाना गांव में दो दिवसीय पर्यावरण संरक्षण पर्व का आयोजन वशिष्ठ राय वशिष्ठ के संयोजक में किया गया.इस अवसर पर रामचरितमानस में पर्यावरण संरक्षण का संदेश को लेकर एक रामचरितमानस संगोष्ठी का आयोजन किया गया था। इस संगोष्ठी में भक्तों ने विभिन्न चौपाइयों में वर्णित पर्यावरण संरक्षण के संदेश देते हुए रामचरितमानस का पाठ किया। इस संगोष्ठी की अध्यक्षता दिनेश्वर प्रसाद चौधरी तथा संचालन भोला भारती के हाथों संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में भाग लेने वालो में प्रमुख रूप में शामिल थे- मुरारी चौधरी, पशुपति चौधरी, दिनेश शर्मा, देवी लाल, जोधन राय, लाल बाबु राय, विशेश्वर राय, द्वारिका राय सुबोध, प्रेम कुमार, दुखित महतो,अवधेश कुमार सिंह, लाल सुन राय आदि। कार्यक्रम के दुसरे दिन बहत्तर विभिन्न प्रकार के पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण बगिया तैयार किया गया। इस बहत्तर पेड़ों में छत्तीश प्रकार के पौधे शामिल थे। पौधरोपण में बच्चों एवं महिलाओं ने भी शिरकत की। प्रमिला बशिष्ठ, लाखों देवी, अंकित कुमार, रोशन कुमार, सुजीत बशिष्ठ , राकेश कुमार अन्य बच्चों के साथ शामिल थे।खबर को सुनने के लिए ऑडियो पर क्लिक करें।

Transcript Unavailable.

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बिहार राज्य के समस्तीपुर जिला से संवाददाता दीपक कुमार ने मोबाइल वाणी के माध्यम से चल रहे कार्यक्रम जलवायु परिवर्तन को लेकर अजय कुमार से जल संरक्षण और मृदा संरक्षण को लेकर साक्षात्कार किया। जिसमे अजय कुमार ने बताया कि उन्हें जलवायु परिवर्तन का कार्यक्रम बहुत ही अच्छा लगा और इस कार्यक्रम के माध्यम से उन्हें सरकार की योजनाओं के बारे में पता चला। उन्होंने बताया कि सरकार की योजनाओं की सहायता से फलदार वृक्षों का वृक्षारोपण कर सकते हैं। साथ ही यह बताया कि उन्होंने ढ़ाई एक्कड़ जमीन में आम का वृक्ष लगाया है। जिससे की खेत की जोताई कम हो सके और वायु प्रदुषण को रोका जा सके। उन्होंने यह बताया कि लोगों के लिए यह उत्तम रोजगार साबित हो सकता है। अजय कुमार के द्वारा यह भी बताया गया कि उन्होंने योजना के तहत एक आवेदन लिखकर जमा किया। जिसमे उन्हें सरकार द्वारा हर किस्म के आम के 50-50 पेड़ दिए गए।

जलवायु की पुकार कार्यक्रम के अंतर्गत इस अंतिम प्रोमों में हम जानेंगे कि हमने जलवायु से सम्बंधित अनेक बातें की हैं और जानकारियों पर विचार भी किया है