विद्यापतिनगर। कहते हैं कि जब मन में दृढ़ इच्छाशक्ति और कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो, तो बड़ी से बड़ी चुनौती भी आसान दिखने लगती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है प्रखंड अंतर्गत मऊ धनेशपुर दक्षिण पंचायत निवासी अवधेश कुमार सिंह की पुत्री शिवम् कुमारी ने। शिवम् ने बिहार लोक सेवा आयोग के विज्ञापन संख्या - 07/2020 के आलोक में आयोजित सहायक अभियंता सिविल परीक्षा में सफलता प्राप्त कर सहायता अभियंता के पद पर चयनित हो कर अपने परिवार तथा गांव के लोगों को गौरवान्वित किया है। शिवम् की इस सफलता पर जहां परिवार में खुशी का माहौल है। वहीं ग्रामीणों में भी हर्ष व्याप्त है। शिवम् के पिता अवधेश कुमार सिंह राजस्व विभाग में अंचल निरीक्षक के पद से सेवानिवृत है, वहीं माता पुनीता कुमारी कुशल गृहिणी है। तीन बहनों में सबसे बड़ी शिवम् ने अपने पहले प्रयास में 57 वाँ रैंक प्राप्त किया है। पढ़ाई के बेहतर पारिवारिक माहौल के बीच छोटी बहन कुमारी ऋतिका नीट की तैयारी कर रही है वहीं एकलौते बड़े भाई कृष्ण कुमार एमटेक करने के बाद संवेदक का कार्य करते हैं। बचपन से ही मेधावी छात्रा रहीं शिवम् एकलव्या एजुकेशनल कॉम्प्लेक्स, पटना से माध्यामिक, होली इनोसेंट पब्लिक स्कूल, नई दिल्ली से उच्चतर माध्यमिक, 2019 ई .में दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी,दिल्ली से बीटेक करने के बाद से ही प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गई थीं। फिलवक्त आईआईटी खड़गपुर से एमटेक कर रही शिवम् अपने बैच की टॉपर छात्रा है। शिवम् की सफलता पर चाचा अर्जुन सिंह, मिथिलेश सिंह, पैक्स अध्यक्ष रामबिहारी सिंह पप्पू,भाजपा मंडल महामंत्री संतोष कुमार सिंह, शिवदानी सिंह झप्पू आदि ने खुशी जाहिर करते हुए बधाई दी हैं। आरंभिक छात्र जीवन में मेधावी छात्रा रहीं शिवम् ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता समेत स्वजनों के आशीर्वाद और शिक्षकों के कुशल मार्गदर्शन को दिया है। इस दौरान के अनुभव को साझा करते हुए शिवम् कहतीं हैं कि परिश्रम और घर- परिवार के लोगों के त्याग, बलिदान और पढ़ाई के प्रति निरंतर समर्पण ने इस अथक प्रयास को संभव बनाया है। यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण हो देश सेवा करना उनका अगला लक्ष्य है। उधर ग्रामीणों ने बताया कि इस सफलता से शिवम् ने इलाके का नाम रौशन किया है।

बिहार राज्य के समस्तीपुर ज़िला से रामानंद स्वामी बतातें हैं की। उनके क्षेत्र में स्कूल के शिक्षक लोग बच्चों से घुस लेते हैं। और बच्चों को ठीक से पढ़ाते भी नहीं हैं

लड़कियों के सपने सच में पुरे हो , इसके लिए हमें बहुत सारे समाजिक बदलाव करने की ज़रूरत है। और सबसे ज्यादा जो बदलाव की ज़रूरत है, वो है खुद की सोच को बदलने की। शिक्षा महिलाओं की स्थिति में बड़ा परिवर्तन ला सकती है लेकिन शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील होने की जरूरत है। गरीब और वंचित समूह के बच्चों को जीवन में शिक्षा में पहले ही सीमित अवसर मिलते हैं उनमें से लड़कियों के लिए और भी कम अवसर मिलते हैं, समान अवसर तो दूर की बात है। सरकारी स्तर पर जितने ही प्रयास किये जा रहे हों, यदि हम समाज के लोग इसके लिए मुखर नहीं होंगे , तब तक ऐसी भयावह रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी रहेगा और सही शौचालय न होने के कारण छात्राओं को मजबूरी में स्कूल छोड़ने का दर्द सताता रहेगा। तब तक आप हमें बताएं कि *----- आपके गांव में सरकारी स्कूल में शौचालय है, और क्या उसकी स्थिति कैसी है? *----- क्या आपको भी लगता है कि सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं होने से लड़कियों की शिक्षा से बाहर होने का बड़ा कारण है *----- शौचालय होने और ना होने से लड़कियों की शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो सकती है?

Transcript Unavailable.

विद्यापतिनगर। आए बदलाव और इंटरनेट व डिजिटल मीडिया के तेज फैलाव से पब्लिक लाइब्रेरी का स्कोप लगातार सिकुड़ता जा रहा है। अलबत्ता, इन दिनों ग्रामीण परिवेश में 'प्राइवेट लाइब्रेरी' ने स्टूडेंट्स को एक नया ऑप्शन दे दिया है, जिससे कि वे शांत माहौल में घंटों पढ़ाई कर सकते हैं। साथ ही यहां उन्हें कई फसिलिटीज भी मिल जाती हैं। बड़ी तादाद में स्टूडेंट्स यहां जाना पसंद करते हैं, ताकि उन्हें शोर-शराबे से अलग और सुविधाओं के साथ स्टडी करने का मौका मिल सके। ऐसी प्राइवेट लाइब्रेरीज उन्हीं इलाकों में खोली गई हैं जहां स्टूडेंट्स हब हैं। प्राइवेट लाइब्रेरीज घर से आसपास होने से ट्रैवल में खर्च होने वाला काफी समय बच जाता है। पैसों की बचत होती है, सो अलग। आजकल इन लाइब्रेरीज को स्टडी या रीडिंग रूम भी कहा जाता है। यहां स्टूडेंट्स अपनी किताबें खुद लेकर आते हैं। बदलती जरूरतों ने प्राइवेट लाइब्रेरी की शक्ल को काफी बदल दिया है। अब यहां अलमारी या सेल्फ नहीं है, पर इंटरनेट जरूर मिल जाएगा। वॉशरूम, कूलर, एसी, वाई-फाई जैसी कई सुविधाएं भी होती हैं। ऐसी ही एक दिव्यांश स्टडी हब के नाम से लाइब्रेरी गढ़सिसई पंचायत के प्यारे चौक पर चलता हैं जहां के डाइरेक्टर मुखिया रतन कुमार का कहना है हमारे यहां लगभग 300 बच्चे आते हैं। ज्यादातर कॉम्पटिशन की तैयारी कर रहे हैं। हम पूरी कोशिश करते हैं कि उन्हें सारी सुविधाएं मिल जाएं। यहां आकर पढ़ाई करने वाली पूजा कुमारी ने कहा कि उन्हें इससे फर्क नहीं पड़ता कि वे कहां पढ़ रहे हैं, उन्हें बस शांत जगह चाहिए। वे एक जॉइंट फैमिली में रहते हैं, तो उनके लिए घर पर रहकर पढ़ाई करना मुश्किल होता है। यहां आने वाले स्टूडेंट्स में 30 पर्सेंट गर्ल्स हैं। अंकित भी इस प्राइवेट लाइब्रेरी में पढ़ाई करते हैं, वे सिविल सर्विस के लिए तैयारी करते हैं। यहां पढ़ने में मज़ा आता है क्योंकि सारी फसिलिटीज मिल जाती हैं।

Transcript Unavailable.

सरकार हर बार लड़कियों को शिक्षा में प्रोत्साहित करने के लिए अलग-अलग योजनाएं लाती है, लेकिन सच्चाई यही है कि इन योजनाओं से बड़ी संख्या में लड़कियां दूर रह जाती हैं। कई बार लड़कियाँ इस प्रोत्साहन से स्कूल की दहलीज़ तक तो पहुंच जाती है लेकिन पढ़ाई पूरी कर पाना उनके लिए किसी जंग से कम नहीं होती क्योंकि लड़कियों को शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने और पढ़ाई करने के लिए खुद अपनी ज़िम्मेदारी लेनी पड़ती है। लड़कियों के सपनों के बीच बहुत सारी मुश्किलें है जो सामाजिक- सांस्कृतिक ,आर्थिक एवं अन्य कारकों से बहुत गहरे से जुड़ा हुआ हैं . लेकिन जब हम गाँव की लड़कियों और साथ ही, जब जातिगत विश्लेषण करेंगें तो ग्रामीण क्षेत्रों की दलित-मज़दूर परिवारों से आने वाली लड़कियों की भागीदारी न के बराबर पाएंगे। तब तक आप हमें बताइए कि * -------आपके गाँव में या समाज में लड़कियों की शिक्षा की स्थिति क्या है ? * -------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने की होड़ बाकी है ? * -------साथ ही लड़कियाँ को आगे पढ़ाने और उन्हें बढ़ाने को लेकर हमे किस तरह के प्रयास करने की ज़रूरत है ?

Transcript Unavailable.

विद्यापतिनगर। प्रखंड के वाजिदपुर पंचायत स्थित पंचायत भवन में शिविर आयोजित कर युवा छात्र-छात्राओं को स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की जानकारी दी गई। जिला निबंधन एवं परामर्श केंद्र द्वारा आयोजित इस शिविर में डीआरसीसी के आईटी पर्यवेक्षक अनुप्रिया ने बेरोजगारी भत्ता देने तथा कौशल विकास हेतु कार्यक्रम संचालन के साथ शिक्षा ऋण उपलब्ध कराए जाने की भी जानकारी युवाओं के बीच दी। इस दौरान शिविर में आए युवाओं ने अपनी अपनी समस्याओं को भी रखा। जिस पर उपस्थित कर्मियों ने उनके समस्याओं के निदान के बारे में बताया। इसके साथ ही शिविर में पंचायत के छात्र छात्राओं को स्वयं सहायता भत्ता प्राप्त करने की अर्हता का विधिवत् जानकारी देते हुए अधिक से अधिक छात्रों को सरकार के इस योजना से लाभान्वित होने की बात कही। डीआरसीसी के अधिकारियों ने बताया कि बिहार राज्य शिक्षा वित्त निगम के माध्यम से 4 लाख रुपये तक शिक्षा ऋण उपलब्ध करा रही है। स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड के तहत सरकार के इस योजना की अहर्ता पूरी करने वाले आवेदक को जागरूक करने के लिए विभिन्न जगहों पर शिविर आयोजित किये जा रहे हैं। इस अवसर पर मुखिया मुकेश कुमार, ऑपरेटर विकास कुमार वर्णवाल, रत्नेश कुमार, उपमुखिया भागीरथ प्रसाद चौरसिया सहित दर्जनों छात्र-छात्राएं उपस्थित थे।

दोस्तों, भारत के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी एक रिपोर्ट से यह पता चला कि वर्तमान में भारत के करीब 6.57 प्रतिशत गांवों में ही वरिष्ठ माध्यमिक कक्षा 11वीं और 12वीं यानी हायर एजुकेशन के लिए स्कूल हैं। देश के केवल 11 प्रतिशत गांवों में ही 9वीं और 10वीं की पढ़ाई के लिए हाई स्कूल हैं। यदि राज्यवार देखें तो आज भी देश के करीब 10 राज्य ऐसे हैं जहां 15 प्रतिशत से अधिक गांवों में कोई स्कूल नहीं है। शिक्षा में समानता का अधिकार बताने वाले देश के आंकड़े वास्तव में कुछ और ही बयान करते हैं और जहां एक तरफ शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति समाज की प्रगति का संकेत देती है, वहीं लड़कियों की लड़कों तुलना में कम संख्या हमारे समाज पर प्रश्न चिह्न भी लगाती है? वासतव में शायद आजाद देश की नारी शिक्षा के लिए अभी भी पूरी तरह से आजाद नहीं है। तब तक आप हमें बताइए कि * ------क्या सच में हमारे देश की लड़कियाँ पढ़ाई के मामले में आजाद है या अभी भी आजादी लेने लाइन में खड़ी है ? * ------आपके हिसाब से लड़कियाँ की शिक्षा क्यों नहीं ले पा रहीं है ? लड़कियों की शिक्षा क्यों ज़रूरी है ? * ------साथ ही लड़कियाँ की शिक्षा के मसले पर आपको किससे सवाल पूछने चाहिए ? और इसे कैसे बेहतर बनाया जा सकता है ?