इस कार्यक्रम में हम जलवायु परिवर्तन के कारण बदलते मौसम और असमान बारिश के पैटर्न से उत्पन्न हो रहे जल संकट पर चर्चा करेंगे। "मौसम की मार, पानी की तकरार" से लेकर "धरती प्यासी, आसमान बेपरवाह" जैसे गंभीर मुद्दों पर गहराई से विचार किया जाएगा। हम समझेंगे कि कैसे सूखा और बाढ़ दोनों ही हमारे जल संसाधनों को प्रभावित कर रहे हैं, और इन समस्याओं से निपटने के लिए सामूहिक और व्यक्तिगत स्तर पर क्या समाधान हो सकते हैं। हम आपसे जानना चाहते हैं – आपके इलाक़े में पानी की क्या स्थिति है? क्या आपने कोई जल संरक्षण के उपाय अपनाए हैं? या आप इस दिशा में कोई क़दम उठाने की सोच रहे हैं?

इस कार्यक्रम में हम जानेंगे कि कैसे गाँव के लोग मिलकर अपने समुदाय को मजबूत बना रहे हैं। जल संरक्षण, ऊर्जा बचत और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सामूहिक प्रयासों की ताकत को समझेंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि कैसे छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं और गाँव के विकास में योगदान दे सकते हैं। क्या आपके समुदाय में ऐसे समूह हैं जो जल संरक्षण, आपदा प्रबन्धन या संसाधन प्रबन्धन पर काम करते हैं? अगर हाँ, तो हमें बताएं कि वे कैसे काम करते हैं? और अगर नहीं, तो इस कार्यक्रम को सुनने के बाद क्या आप अपने समुदाय में ऐसे सामूहिक प्रयास शुरू करने के लिए तैयार हैं?

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बिहार राज्य के पूर्वी चंपारण जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता वीरेंद्र कुमार गुप्ता जानकारी दे रहे हैं कि सिकराहना नदी के जल स्तर में वृद्धि के कारण अप्रत्याशित बाढ़ का खतरा बना हुआ है। जिससे आधा दर्जन घरों में कटाव का खतरा बना हुआ है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण के सुगौली से अमीरूल आलम ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सुकुलपाकड़ पंचायत के बेलवाटिया गांव में, कठेर तोला, वार्ड संख्या बारह, सीरा नदी में बाढ़ का पानी फिर से कम हो गया है। धसत में सौ से अधिक घर दिन-रात चिंता में डूबे हुए हैं। इस समस्या से नाराज, गुस्साए ग्रामीण प्रशासन के खिलाफ इकट्ठा हुए और नारे लगाए और मांग की कि जल्द से जल्द रिकवरी कार बनाई जाए। नदी के किनारे रहने वाले लोग डरे हुए और थके हुए हैं। उल्लेखनीय है कि यहाँ कटाव हुआ है। वहाँ रहने वाले लोगों के घर केवल दस से बीस फीट के आसपास हैं, जिससे लोगों को हमेशा डर लगता है कि कटाव वाली जगह पर जल्द ही मरम्मत नहीं की जाएगी। वह दिन दूर नहीं जब सभी का घर बाढ़ के पानी में बह जाएगा। गाँव वाले दुखी हैं।

बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण जिला से अमरूल आलम ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि नदी में जल स्तर बढ़ने से जगह - जगह कटाव शुरू हो गया है। कटाव के कारण स्थानीय लोगों में दर बना हुआ है। अधिकारियों ने कटाव को रोकने के लिए बालू से भरे बैग रखवाए गए थे। लेकिन पानी की सीधी और तेज धारा के कारण, बालू के थैले भी कटाव को रोक नहीं सके। जब संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को इस बारे में अवगत कराया गया, तो उन्होंने ऊपर से आए आदेश का हवाला दे कर आसानी से अपना पल्ला झाड़ लिया।ग्रामीणों ने कहा कि जल्द ही स्थल पर काम करके कटाव को रोका जाना चाहिए या दूसरे जगह पर जमीन दी जानी चाहिए।

यह कार्यक्रम मौसम में आ रहे बदलावों और उनसे हमारी रोजमर्रा की जिंदगी पर पड़ने वाले प्रभावों पर केंद्रित है। इसमें बारिश के अनिश्चित पैटर्न से उत्पन्न चुनौतियों और उनके संभावित समाधानों पर चर्चा की गई। कार्यक्रम में यह भी बताया जाएगा कि कैसे ये बदलाव किसानों से लेकर शहरी नागरिकों तक, सभी के जीवन को प्रभावित कर रहे हैं। आपने और आपके आसपास के लोगों ने बदलते बारिश के पैटर्न के बारे में क्या अनुभव किया है? क्या आपको या आपके जानने वालों को इससे कोई चुनौती झेलनी पड़ी है?

सुगौली सिकरहना नदी का पानी फसल को पहुंचाया क्षति। दुबारा पानी के फैलाव होने से फसल को भारी क्षति पहुंचा है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बिहार राज्य के पूर्वी चम्पारण जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता वीरेंद्र कुमार गुप्ता ने बताया कि सुगौली नगर पंचायत के वार्ड नंबर एक स्थित नायका टोला गांव फिर से बाढ़ के चपेट में आ गया है।बाढ़ के कारण लोगों की समस्याएं बढ़ गई है। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

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