यह कार्यक्रम बताता है कि गर्मी में घर को कैसे ठंडा रखा जा सकता है। इसमें एक परिवार पुराने तरीकों जैसे मिट्टी, बांस और छत पर पौधे लगाने के बारे में सीखता है। साथ ही, नए तरीके जैसे खास पेंट भी बताए गए हैं। कार्यक्रम यह संदेश देता है कि ऐसे घर बनाना चाहिए जो गर्मी कम करें और पर्यावरण के लिए अच्छे हों। इस गर्मी में आपका घर कितना गर्म रहता है ? अपने घर को ठंडा रखने के लिए आपने क्या उपाय किये ?

बिहार राज्य के जमुई जिला से मोबाइल वाणी संवाददाता अमित कुमार सविता ने बताया कि आज जमुई जिला परिषद अध्यक्ष आवास पर वन महोत्सव के मौके पर वृक्षारोपण का आयोजन किया गया, जिसमें जिला परिषद अध्यक्ष #श्रीमती_दुलारी_देवी, पूर्व बिहार विधान परिषद उम्मीदवार #श्री_गुड्डू_यादव उप विकास आयुक्त सह - मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी #सुमित_कुमार, अपर मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी #सदानंद_वर्णवाल जमुई जिला परिषद सदस्य अनिल शाह, जिला परिषद सदस्य सुनील पासवान, जिला परिषद प्रतिनिधि धीरज ,जिला परिषद प्रतिनिधि मुरारी यादव, जिला परिषद प्रतिनिधि मनोहर गुप्ता जिला परिषद प्रतिनिधि आलोक जदयू जिला अध्यक्ष अनुज सिंह, जिला परिषद के बड़ा बाबू ब्रह्मदेव सिंह, अरुण रावत गोपाल शमशेर जी, सुनील हरि, आलोक मिश्रा, वृक्षारोपण किए।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बिहार राज्य के जमुई जिला से रजनीश कुमार सिंह ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि रविवार को स्वयंसेवी संगठन समग्र भारत न्यास द्वारा संचालित विशेष कार्यक्रम मिशन ग्रीन गोपालपुर के  सदस्यों द्वारा  प्रकृति संरक्षण को लेकर एक जागरूकता साइकिल रैली का आयोजन किया गया। उक्त रैली को गोपालपुर पंचायत की मुखिया श्री मती मौसम कुमारी तथा स्थानीय बुद्धिजीवी मनोज कुमार सिंह ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।रैली का नेतृत्व ग्रीन गोपालपुर मिशन के मुख्य कार्य संचालन पदाधिकारी सह पैक्स अध्यक्ष पुरुषोत्तम कुमार सिंह कर रहे थे। साईकिल रैली में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ  प्रमुख लोगों में  धीरज कुमार सिंह,शैलेश कुमार, संतोष सुमन, मुख्य वित्त अधिकारी मनीष नंदन,  चंदन मिश्र उर्फ लड्डू सर, पगडंडी उपाध्यक्ष संजय सिंह, समग्र भारत न्यास के अध्यक्ष डाॅ.रविश कुमार सिंह, रोहित कुमार सहित  समाजसेवी विवेकानंद सिंह,  पुलिस इंस्पेक्टर अजय कुमार सिंह शामिल थे। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

भीषण गर्मी और लू के कारण स्वास्थ्य, पर्यावरण, कृषि और अर्थव्यवस्था पर गंभीर प्रभाव पड़ रहे हैं, इन सभी खतरों से निपटने के लिए हमें तैयारियां करनी होंगी।

गर्मी से बचने के लिए सभी जरुरी कदम उठाने होंगे | बिजली का जरुरत से ज्यादा इस्तेमाल ना करें, पानी का सही इस्तेमाल करें और जब तक ज़रूरी ना हो, घर से बाहर धुप में ना निकले |

सोनो (जमुई)/ सेवा सुरक्षा और बंधुत्व के मार्ग पर अग्रसर रहने वाली सशस्त्र सीमा बल की 16वीं बटालियन ने फिर एक बार आपसी भाईचारे और प्रेम का संदेश देते हुए विश्व पर्यावरण दिवस मनाया। चरका पत्थर थाना अंतर्गत नक्सल प्रभावित क्षेत्र के महेश्वरी पंचायत में एसएसबी जवानों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर सुगाटांड ग्रामीण इलाके में सैकड़ो से अधिक वृक्ष लगाकर विश्व पर्यावरण दिवस का संदेश जन जन तक पहुंचाया। एसएसबी कमांडेंट मनीष कुमार के निर्देशानुसार क्षेत्र में नक्सलवाद के खिलाफ सहायक कमांडेंट आशीष वैष्णव और उनकी टीम ने जिस प्रकार कमर कसते हुए विगत वर्षों में नक्सलियों के खिलाफ जंग छेड़ क्षेत्र में अमन और चैन का संदेश पहुंचाया है वह वाकई में क्षेत्र वासियों के लिए किसी सुखद सपने से कम नहीं, भय और अशांति के माहौल में वर्षों तक जीवन जीने वाले ग्रामीण आज सुख-शांति का जीवन व्यतीत कर रहे। सहायक कमांडेंट आशीष वैष्णव ने बताया कि नक्सल प्रभावित क्षेत्र में रहते हुए उनका मुख्य ध्येय ग्रामीणों के सुख-दुख के साथ क्षेत्र के विकास की प्राथमिकता सर्वोपरि रही है, जिसे उनकी टीम द्वारा पूरी शिद्धता के साथ निभाने का प्रयास किया जाता रहा है और आगे भी ऐसे सामाजिक और विकासात्मक कार्य किए जाते रहेंगे। सैकड़ो की संख्या में उपस्थित ग्रामीण, बुद्धिजीवी और जनप्रतिनिधियों को भी हर घर पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया गया जिससे आने वाले समय में क्षेत्र ही नहीं बल्कि हमारे देश को भी पर्यावरण की असुरक्षा का सामना ना करना पड़े।

चेरो ।विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर घोघरडीहा प्रखंड स्वराज्य विकास संघ (जीपीएसविएस) नामक संस्था के तत्वावधान में हरनौत प्रखंड के चेरो गांव में पर्यावरण संरक्षण हेतु जागरूकता सह वृक्षारोपण कार्यक्रम किया गया। मौके पर उपस्थित जीपीएसविएस की ओर से पर्यावरण एवं स्वास्थ्य सहेली (पीएसएस) मोनी कुमारी ने चेरो गांव में कस्तूरवा महिला मंडल की सदस्यो को संबोधित करते हुए पर्यावरण के महत्व पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि 5 जून को दुनियाभर में विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है । जलमंडल ,स्थलमंडल और वायुमंडल तीनो मिलकर पर्यावरण की सृष्टि करते है । मगर ये चिंता की बात है कि वर्तमान में हमारा पर्यावरण पूरी तरह असंतुलित हो चुका है और जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए एक गंभीर संकट के रूप में खड़ा है ।इस बार गर्मी में तापमान की वृद्धि ने रिकॉर्ड तोड़ दिया । मोनी कुमारी ने आगाह किया कि अगर मनुष्य अभी भी नही चेता तो समस्त मानव सहित जीव जगत को भयंकर दुष्परिणाम भुगतना होगा ।विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

हर साल 5 जून का दिन दुनियाभर में विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। वर्ष 1972 में पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनीतिक और सामाजिक जागृति लाने हेतु इस दिवस को मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्र ने की थी। प्रकृति को प्रदूषण से बचाने के लिए पर्यावरण दिवस को मनाया जाता है. इस दिन लोगों को प्रकृति के प्रति जागरूक किया जाता है और प्रदूषित होने से बचाने के लिए प्रेरित किया जाता है.हर वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के लिए एक अलग थीम निर्धारित की जाती है। इस वर्ष (2024) विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है, "भूमि पुनर्स्थापन, मरुस्थलीकरण, और सूखा लचीलापन।" यह स्वस्थ भूमि को वापस लाने,और पानी की कमी का प्रबंधन करने से जुड़ा है ।

दोस्तों , सूरज की तपन बढ़ रही है और प्यास है कि खत्म होने का नाम नहीं लेती! हमें बताएं कि आपके क्षेत्र में पीने के पानी का साधन क्या है? क्या आप प्राकृतिक स्त्रोतों, जैसे कुएं, तालाब, पोखर से पानी लाते हैं? अगर आपके क्षेत्र में पानी के प्राकृतिक स्त्रोत नहीं हैं तो क्या पानी के लिए बोरवेल लगवाया है? या फिर पानी की सप्लाई हो रही है? क्या आपको पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है? अगर ऐसा है तो इससे आपके लिए कितना आर्थिक खर्च बढ़ गया है? क्या पंचायत या नगर पालिका क्षेत्र के प्राकृतिक पानी के स्त्रोतों को बचाने का काम नहीं कर रही है? क्या आपमें से कोई व्यक्ति ऐसा है, ​जो पानी के स्त्रोतों को बचाने की कोशिश कर रहा है? अगर है तो उनके प्रयासों के बारे में बताएं. अपनी बात रिकॉर्ड करने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।