देश में हर साल 26 नवम्बर का दिन संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है ! यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है। जहां संविधान के दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य में हमें हमारी जिम्मेदारियां भी याद दिलाते हैं। 26 नवंबर 1949 का दिन आजाद भारत के इतिहास का बड़ा ऐतिहासिक दिन था!
यात्रियोंं की सुविधा को देखते हुए पूर्व मध्य रेल के विभिन्न स्टेशनों से चलने वाली सात जोड़ी ट्रेनों का परिचालन फिर से बहाल करने का निर्णय लिया गया है। इन ट्रेनों का परिचालन कोरोना संक्रमण के कारण रद कर दिया गया था। पटना-भभुआ, मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज सहित अन्य ट्रेनों का परिचालन किया जाएगा। यह व्यवस्था 24 जून से लागू हो जाएगी। पुनर्बहाल की जाने वाली स्पेशल ट्रेनें - 05215-05216 मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज स्पेशल ट्रेन 24 जून से प्रतिदिन। - 03243-44 पटना-भभुआ रोड-पटना (वाया गया) स्पेशल 24 जून से प्रतिदिन किया जाएगा। -03249-50 पटना-भभुआ रोड-पटना (वाया आरा) स्पेशल 24 जून से प्रतिदिन। 03234-35 दानापुर-राजगीर स्पेशल 24 जून से प्रतिदिन। -03303-04 धनबाद-रांची स्पेशल 24 जून से प्रतिदिन। - 03388-87 धनबाद-हावड़ा स्पेशल 24 जून से प्रतिदिन। - 03320-19 रांची-देवघर स्पेशल 24 जून से 30 जून तक प्रतिदिन। - 03305-06 धनबाद-गया इंटरसिटी एक्सप्रेस स्पेशल का मार्ग विस्तार डेहरी-आन-सोन तक करते हुए 24 जून से प्रतिदिन चलेगी।
पटना (महताब) - कोरोना संकट की महामारी को रोकने के लिए पूरे भारत में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की गई है. इसके बावजूद भी अन्य राज्यों में फंसे श्रमिकों, तीर्थयात्रियों, पर्यटकों, छात्रों और अन्य व्यक्तियों के लिए भारतीय रेल की ओर से " श्रमिक स्पेशल" ट्रेनें चलाई जा रही हैं. सरकार की ओर से लगभग 700 स्टेशनों के लिए ट्रेन चलाने की बात कही गई है भारतीय रेल मंत्रालय की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक रेल मंत्री पियूष गोयल ने देश के सभी जिलों के डीएम से फंसे हुए मजदूरों और उनके गंतव्य स्थान तक पहुंचने की एक लिस्ट तैयार करने को कहा है. उस लिस्ट को राज्य नोडल अधिकारी के माध्यम से रेलवे को सौंपा जायेगा. भारतीय रेलवे को एक दिन में लगभग 300 "श्रमिक स्पेशल" ट्रेन चलाने की क्षमता मिली है. देश भर के विभिन्न जिलों में फंसे प्रवासियों को गृह राज्यों तक अधिक आसानी से और आराम से पहुंचा जा सकता है. भारतीय रेलवे देश में रेलवे से जुड़े सभी जिलों से श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने के लिए तैयार है. देश भर में 733 जिले हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि कम से कम 700 स्टेशनों तक ट्रेन चलाने में रेलवे सक्षम है. रविवार तक 15 लाख से अधिक प्रवासियों को पहले ही रेलवे द्वारा उनके गृह राज्यों में पहुंचाया जा चुका है. अब तक लगभग 1150 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन किया गया है. पिछले 3 दिन के दौरान प्रति दिन 2 लाख से अधिक लोगों को ले जाया गया है. भारतीय रेलवे प्रतिदिन लगभग दोगुने प्रवासियों को आसानी से परिवहन कर सकती है. यानि कि एक दिन में लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर अपने घर लौट सकेंगे. इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में, ट्रेन में चढ़ने से पहले यात्रियों की उचित जांच सुनिश्चित की जाती है. यात्रा के दौरान यात्रियों को मुफ्त भोजन और पानी दिया जाता है.
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पटना के दानापुर से विनय सिंह जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की बिहार में शिक्षा के गिरते स्तर का कारण सिर्फ शिक्षक या विद्यालय नहीं है वरण इसका कारण बच्चो के अभिभावक भी है। शिक्षा का स्तर गिर चूका है छात्र और अभिभावक की सोच रहती है की बच्चो को स्कुल में शिक्षा मिले ना मिले खाना तो मिलेगा, हमारे बच्चो का पेट तो भरेगा।अभिभावक कभी भी बच्चो के किताब कॉपी उलट कर नहीं देखते की मेरा बच्चा स्कुल में क्या सीख रहा है।बच्चो का भी ध्यान मध्याहन भोजन में लगा रहता है की कब भोजन बनेगा और उन्हें मिलेगा।अभिभावक कभी भी विद्यालय में अपने बच्चो के शिकवा और शिकायत लेकर नहीं जाते है कि मेरा बच्चा विद्यालय में पढ़ता है या नहीं।शिक्षा के स्तर के गिरने का दूसरा मुख्य कारण विद्यालय के शिक्षक और शिक्षकाएं भी है जो अपने पंचायत में ही कार्यरत है वजह से जिसकी वे समय से स्कुल नहीं पहुंचते है और दूसरा की अगर उनके परिचित विद्यालय में पहुंच जाते है तो वे विद्यालय परिसर से बाहर चले जाते है।
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