ज़ोहर साथी नेहरू प्लस टू स्कूल तेलो के छात्र बने और जे. एम. रंगीला मोबाइल वानी बु में इंटर आर्ट्स में जिला टॉपर बने। बोकारो जिले के चंद्रपुरा प्रखंड के अंतर्गत आने वाली तेलो पंचायत के निवासी भोला सोनार की बेटी जिया कुमारी ने चार सौ तैंतीस अंक प्राप्त किए और इंटर आर्ट्स की छात्रा बन गई। जिला टॉपर सामाजिक कार्यकर्ता गणेश बंगनवाल जिया के घर पहुंचे और मिठाई देकर उन्हें बधाई दी। प्लस टू की स्थापना के बाद यह परीक्षाओं का पहला बैच था। जिया के पिता भोला सोनार राजमिस्त्री का काम करते हैं, जबकि उनकी माँ रानी देवी एक गृहिणी हैं। उल्लेखनीय है कि स्वर्गीय शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो ने अपने कार्यकाल के दौरान नेहरू हाई स्कूल को प्लस टू का दर्जा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

नमस्कार मोबाइल बनी में स्वागत है आपका सीतामढ़ी से दीपक पटेल की रिपोर्ट जानकारी के मुताबिक आपको बताते चले सीतामढ़ी जिले में मैट्रिक परीक्षा को लेकर के हजारों की संख्या में उमड़ी भीड़ सीतामढ़ी से दीपक पटेल की रिपोर्ट क्या

इंटर के परीक्षा दे रही दो परीक्षार्थी एसपीएस परीक्षा केंद्र में हुई बेहोश सोनपुर । इंटर के हिंदी विषय के परीक्षा दे रही प्रथम पाली के परीक्षार्थी के अचानक एसपीएस परीक्षा केंद्र में बुधवार को अचानक तबीयत बिगड़ने से परीक्षार्थी बेहोश हो गयी । जहां परीक्षा केंद्र पर तैनात शिक्षक राजेश शुभांगी व पुलिस पदाधिकारी पूर्णिमा कुमारी ने आनन फानन में उसे सोनपुर के अनुमंडलीय अस्पताल में ले जाकर इलाज कराया और इस घटना की जानकारी उसके परिजनों को दी वहीं कुछ ही देर के बाद स्कूल में फिर एक परीक्षार्थी का तबीयत खराब हो गया और वह भी बेहोश हो गई जहां परीक्षा में तैनात पुलिस बाल व स्कूल में तैनात शिक्षक ने अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया । दोनों बेहोशी परीक्षार्थी का डॉक्टर द्वारा इलाज कराया गया। परीक्षार्थी निशा कुमारी जो रामसुंदर दास महिला कॉलेज गोला बाजार की विद्यार्थी है इसका परीक्षा केंद्र एसपीएस स्कूल में परीक्षा दे रही थी तो वहीं दूसरा मोनिका कुमारी पिता अशोक कुमार घर शिकारपुर के रहने वाली है। यह शिकारपुर हाई स्कूल के विद्यार्थी है । डॉक्टर ने बेहतर इलाज के लिए निशा कुमारी को रेफर कर दिया। घर के परिजनों ने बताया कि निशा कुमारी का तबीयत पहले से खराब थी जिसका इलाज पहले से चल रही है। जबकि मोनिका कुमारी के इलाज के दौरान ठीक हो गई। वहीं उपस्थित लोगों ने कहा कि पुलिस और शिक्षक अपने कार्यों में ही तत्पर नहीं रहते बल्कि वह समय पर मानव सेवा करने में पीछे भी नहीं हटते ।

2016 में 14% छात्र औपचारिक शिक्षा से बाहर थे जो कि देश में 2023 में भयानक सुधार होने के बाद भी अब मात्र 13.2 फीसद बाहर हैं ... 2016 में 23.4 फीसद अपनी भाषा में कक्षा 2 का पाठ नहीं पढ़ पाते थे आज 2023 में अति भयानक सुधार के साथ ये आंकड़ा 26.4 प्रतिशत है ... देश के आज भी 50 फीसद छात्र गणित से जूझ रहे हैं ... मात्र 8 साल में गणित में हालात बद से बदतर हो गए ... 42.7% अंग्रेजी में वाक्य नहीं पढ़ सकते हैं... अगर आप सरकार से जवाब माँगिए , तो वे कहती है कि वो लगातार बैठकें कर रहे हैं लेकिन असर की रिपोर्ट बताती है कि ये बैठकें कितनी बेअसर हैं... तो विश्व गुरु बनने तक हमें बताइये कि *-----आपके गांव या जिला के स्कूलों की स्थिति क्या है ? *-----वहां पर आपके बच्चों को या अन्य बच्चों को किस तरह की शिक्षा मिल रही है ? *-----और आपके गाँव के स्कूलों में स्कुल के भवन , बच्चों की पढ़ाई और शिक्षक और शिक्षिका की स्थिति क्या है ?

चिचुवाबारी से घर जा रहे साइकिल सवार तीन छात्रों को हल्दीबाड़ी के निकट बाइक सवार एक युवक ने टक्कर मार दी। टक्कर लगने से तीनो छात्र घायल हो गए। घायलों को उपचार के लिए छत्तरगाछ रेफर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। आरोपित युवक बाइक छोड़कर मौक़े से फरार हो गया है। पोठिया थाना क्षेत्र के सारोगारा पंचायत के बक्सा  निवासी .राजा कुमार. मोहम्मद सैफुद्दीन.व शाहनवाज़ आलम चिचवाबारी में पढ़ाई करते हैं। बुधवार शाम को तीनो छात्र अपनी-अपनी  साइकिल पर सवार होकर अपने घर बक्सा जा रहे थे। साइकिल सवार तीनो छात्र जैसे ही हल्दीबाड़ी के निकट पहुंचे, तो एक अनजान बाइक सवार युवक ने पीछे से तीनो के साइकिल मे जोरदार टक्कर मार दी। साइकिल में टक्कर लगने से तीनो छात्र सड़क पर जा गिरे। आरोपित युवक बाइक छोड़कर मौके से फरार हो गया। ग्रामीण मौके पर पहुंचकर घायलों को तुरंत छत्तरगाछ के रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया। उपचार के बाद डाक्टरों ने तीनो छात्र को छुट्टी दे दी और एक्सरे करवाकर इलाज करवाने की बात कही वही छात्रों ने बताया के बाईक सवार युवक ने शराब पी रखी थी इसी कारण हम तीनो की साइकिल मे टक्कर मारकर हमें जख़्मी हालत मे देखने के बाद मोटरसाइकिल छोड़कर हुआ फरार!

असम के गुहाटी से गेटवे ऑफ इंडिया मुंबई के लिए 26 दिन की यात्रा पर निकली साइकिल सवार छात्राओं का रामविशनपुर पंचायत के एक पेट्रोलपंप पर स्थानीय गणमान्य लोगों ने फूल-माला पहनाकर स्वागत किया। इस दौरान छात्राओं ने बताया कि कॉलेज में आयोजित एक कार्यक्रम में बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ और मेरी मिट्टी मेरा देश थीम के तहत  21 छात्राओं ने साइकिल से तकरीबन 2750 किमी दूरी तय करने का विचार किया है। इसको लेकर बीते 21 जनवरी को वे लोग साइकिल से अपने गंतव्य के लिए रवाना हो चुके हैं। 15 फरवरी तक गेटवे ऑफ इंडिया पहुंचने का लक्ष्य है। यात्रा के दौरान अभियान के तहत लोगों को जागरूक किया जा रहा है। मौके पर त्रिवेणी दास, अभिनंदन दास, मुनचुन दास, किशोर दास, अमृत भगत, उपमुख्य पार्षद विनिता देवी, मनीष कुमार भगत, संत अमरजीत, राधेश्याम भगत, दिलीप पुर्वे, विश्वजीत भगत, अविनाश चौधरी, गौतम जयसवाल, प्रदीप साह आदि मौजूद थे। -----------

हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

लड़कियों के सपने सच में पुरे हो , इसके लिए हमें बहुत सारे समाजिक बदलाव करने की ज़रूरत है। और सबसे ज्यादा जो बदलाव की ज़रूरत है, वो है खुद की सोच को बदलने की। शिक्षा महिलाओं की स्थिति में बड़ा परिवर्तन ला सकती है लेकिन शिक्षा को लैंगिक रूप से संवेदनशील होने की जरूरत है। गरीब और वंचित समूह के बच्चों को जीवन में शिक्षा में पहले ही सीमित अवसर मिलते हैं उनमें से लड़कियों के लिए और भी कम अवसर मिलते हैं, समान अवसर तो दूर की बात है। सरकारी स्तर पर जितने ही प्रयास किये जा रहे हों, यदि हम समाज के लोग इसके लिए मुखर नहीं होंगे , तब तक ऐसी भयावह रिपोर्टों के आने का सिलसिला जारी रहेगा और सही शौचालय न होने के कारण छात्राओं को मजबूरी में स्कूल छोड़ने का दर्द सताता रहेगा। तब तक आप हमें बताएं कि *----- आपके गांव में सरकारी स्कूल में शौचालय है, और क्या उसकी स्थिति कैसी है? *----- क्या आपको भी लगता है कि सरकारी स्कूल में शौचालय नहीं होने से लड़कियों की शिक्षा से बाहर होने का बड़ा कारण है *----- शौचालय होने और ना होने से लड़कियों की शिक्षा किस प्रकार प्रभावित हो सकती है?

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