उर्दू, फारसी एवं अरबी विषयों के लिए विशेष टीईटी व एसटीईटी की परीक्षाओं का आयोजन किया जाएगा। विभिन्न विद्यालयों में उर्दू,फारसी तथा अरबी विषयों के शिक्षकों की भारी कमी है जबकि पर्याप्त संख्या में इस विषय में पढ़ाई किए हुए छात्र-छात्राएं उपलब्ध हैं। वहीं कई छात्र-छात्राओं ने शिक्षा मंत्री से मिलकर यह भी बताया गया कि इनमें से कुछ विषयों के लिए आज तक शिक्षक पात्रता परीक्षा,जो कि शिक्षकों की भर्ती के लिए अनिवार्य योग्यता है, आयोजित नहीं की गई। जिसके कारण इस विषयों को रखकर पढ़ाई करने वाले छात्र-छात्राओं के बीच गहरी निराशा तथा क्षोभ व्याप्त है। विभाग ने विशेष टीईटी तथा एसटीइटी आयोजित करने संबंधी नियमावली के साथ पूरी कार्य योजना बनाने का निर्देश शिक्षा विभाग को दिया है। साथ ही इन विषयों की कुल पदों की संख्या, कार्यरत बल, रिक्त पदों का विवरण भी मांगा है ताकि व्यवहारिक निर्णय लिया जा सके। टीईटी परीक्षा के लिए उर्दू,फारसी और अरबी विषयों के कक्षा एक से पांच तक के पेपर एक तथा कक्षा 6 से 8 पेपर दो का आयोजन होगा। इसी प्रकार, एसटीईटी के उर्दू,फारसी और अरबी विषय के कक्षा 9 से 10 पेपर एक तथा कक्षा 11 से 12 पेपर दो आयोजित करने पर विचार किया जा रहा है।

जिले के चयनित किसानों को जैविक खेती का बढ़ावा देने के लिए राशि उपलब्ध कराई जाएगी। चयनित किसानों को वित्तीय वर्ष 2022 से 2025 तक तीन किस्त में राशि दी जाएगी। किसानो को पहले साल खेती के लिए मिलेंगे 11500 रुपये प्रत्येक किसान को एक एकड़ में खेती करने के लिए 11 हजार 500 रुपये पहले वर्ष में तथा दूसरे एवं तीसरे वर्ष में 6500-6500 रुपये का भुगतान किया जाएगा। जैविक खेती का पहला चरण वित्तीय वर्ष 2019 से 2022 तक चला था। दूसरे चरण के पहले वर्ष में सब्जी की जैविक खेती को प्रोत्साहित किया जाएगा। उसके बाद अन्य फसलों को भी इस योजना से जोड़ा जाएगा। पूर्व चयनित को नहीं मिलेगा लाभ जैविक खेती के पहले चरण में जिन-जिन किसानों को योजना का लाभ मिल चुका है, उनका चयन दूसरे चरण के लिए नहीं किया जाएगा। दूसरे चरण के लिए नए प्लॉटों एवं किसानों का चयन किया जाना है। वैसे किसानों को भी इस योजना से वंचित किया जाएगा, जो जैविक कोरिडोर, नमामि गंगे एवं परंपरागत कृषि विकास योजना से लाभान्वित हैं। किसानों एवं उत्पादकों का समूह बनाकर जैविक विधि से खेती की जानी है। जैविक खेती के लिए पंजीकरण का कार्य एवं संबंधित जिले के जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा किया जाएगा। एक किसान को अधिकतम 2.5 एकड़ का लाभ दिया जाएगा। कलस्टर में न्यूनतम रकबा सौ एकड़ होगा।

अंगीभूत कॉलेजों में शिक्षकों की कमी व छात्रों की कक्षाओं से पलायन ने शैक्षणिक माहौल को काफी प्रभावित किया है। शिक्षकों की कमी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिले के नौ अंगीभूत कॉलेजों में 398 स्वीकृत पद के विरुद्ध मात्र 91 नियमित शिक्षक हैं। कई कॉलेजों में महत्वपूर्ण विषयों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। जिन विषयों में शिक्षक हैं, उनमें कक्षाएं तो हो रही हैं। लेकिन छात्रों की उपस्थिति पूरी नहीं रहती। ऐसे में कुछ गिने-चुने कॉलेज ही हैं जहां से टॉपर निकल रहे हैं। ऐसे में कॉलेजों में नाम लिखा कर डिग्री लेना ही उद्देश्य बनता जा रहा है। वहीं कॉलेजों में वोकेशनल कोर्स भी संचालित हो रहे हैं। इनके माध्यम से कई छात्रों को जॉब भी मिले। लेकिन ऐसे छात्रों की संख्या भी कम है। प्लेसमेंट सेल पूरी तरह सक्रिय नहीं नैक से मूल्यांकन में छात्रों का प्लेसमेंट भी प्रमुख मुद्दा है। इसके लिए बकायदा कॉलेजों में प्लेसमेंट सेल का गठन किया गया। लेकिन यह पूरी तरह फंक्शनल नहीं हो पाया। कोरोनाकाल में इसकी गतिविधि तो पूरी तरह से ठप रही। कुछ कॉलेजों में तो विगत सालों में इसको लेकर कुछ पहल भी हुई। शहर के प्रीमियर कॉलेज में शुमार एमएस कॉलेज में कोरोनाकाल के पहले कैंपस सेलेक्शन हुए थे। यहां के वरीय शिक्षक डॉ. इकबाल हुसैन के अनुसार, हाल के वर्षों में यहां के कई छात्र बैंक, रेलवे, अग्निवीर सहित विभिन्न पदों को सुशोभित किया है। इधर, एलएनडी कॉलेज के प्राचार्य प्रो. अरुण कुमार ने बताया कि उनके यहां प्लेसमेंट सेल में तीन सदस्यीय टीम बनी हुई है। इनमें, डॉ. सुबोध कुमार, प्रो. दूर्गेश मणि तिवारी व प्रो. पिनाकी लाहा शामिल हैं। उनके अनुसार, पिछले साल 6-7 अप्रैल को दिल्ली की कंपनी की ओर से प्लेसमेंट को लेकर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। जिसमें ट्रेनिंग के लिए सेलेक्शन भी हुआ। इधर, एसएनएस कॉलेज के मीडिया प्रभारी प्रो. नीतेश कुमार के अनुसार उनके यहां वर्ष 2021 में स्वामान माइक्रो फाइनेंस कंपनी में 16 बच्चों का सेलेक्शन हुआ। वहीं, यहां के फिश एण्ड फिशरिज विभाग के छात्र रहे अभिषेक कुमार, अनुष्का जोशी, सत्यम कुमार, सोनू कुमार बैठा, अमृता कुमारी, धनंनजीत तिवारी व कमोद प्रियदर्शिनी का चयन बिहार सरकार के फिशरिज डेवलमेंट ऑफिसर के रूप में हुआ है।

दस महाविद्याओं की आराधना के दिन 22 जनवरी से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो गई हैं। यह 30 जनवरी तक हैं। माघ शुक्ल पक्ष से शुरू हुई गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं—मां काली, तारा, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, घूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करना जरूरी होता है। असल में मौसम में जब-जब परिवर्तन होता है, सेहत को लेकर परेशानी खड़ी होती है। इससे बचने के लिए नवरात्रि का विधान हमारे ऋषियों ने किया। नवरात्रि से शरीर निरोगी और आध्यात्मिक शक्ति भी प्राप्त करता है। चैत्र और शारदीय नवरात्रि तो जाग्रत नवरात्रि हैं, जिसे सनातन धर्म के अनुयायी बहुत धूमधाम से मनाते हैं। इनमें गुप्त नवरात्रि आषाढ़ और माघ के महीने में आती हैं। त्रेतायुग में गुप्त नवरात्रि को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता था। आदिशक्ति के भक्त मुख्यत शाक्त संप्रदाय के माननेवाले और संन्यासी इसे गुप्त ही मनाते हैं। गुप्त नवरात्रि की महिमा का गान ऋषि शृंगी ने किया है। वे एक बार जब अपने भक्तों को प्रवचन दे रहे थे, तब एक महिला ने हाथ जोड़कर ऋषि से कहा, ‘मेरे पति अनीतिपूर्ण कार्यों में लिप्त हैं। इस कारण मैं व्रत-उपवास नहीं कर पाती हूं। मां दुर्गा की कृपा मुझ पर नहीं है। मुझे मां की कृपा प्राप्त हो इसके लिए मुझे उपाय बताएं।’ तब ऋषि ने कहा, ‘गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याएं हैं, उनकी प्रसन्नतापूर्वक उपासना-पूजा करो। निश्चित ही लाभ होगा। महिला ने गुप्त नवरात्रि का व्रत किया। माताएं उसकी निश्छल भक्ति से प्रसन्न हो गईं। इस व्रत को करने से उसका पति सुधर गया और उस पर मां की कृपा हो गई। प्राय तंत्र साधना वाले इन महाविद्याओं की आराधना करते हैं। पूजा का नियम, विधि-विधान, जाग्रत नवरात्रों-सा ही है। पूरे नवरात्रि में ब्रह्ममुहूर्त में उठकर मंत्र जाप करें। मंत्र में सिद्धि प्राप्त करने की इच्छा रखने वाले गुप्त नवरात्रों का लाभ लें। हर दिन दुर्गा सप्तशती या देवी भागवत का पाठ करें। हर दिन संभव हो तो गणेश को मोदक, तिल के लड्डू, बेल, दूर्वा, शमी आदि अर्पित करें। कुलदेवी या कुलदेवता की पूजा भी अवश्य करें। उल्लेखनीय है कि दस महाविद्याओं के साथ देवी भगवती ने असुरों चंड-मुंड और शुंभ-निशुंभ का वध किया था। उस समय देवी की यही दस महाविद्या युद्ध करती रहीं। वृष, कन्या, तुला, मकर और कुंभ लग्न वालों को मातृशक्ति की आराधना करने से तत्काल लाभ होता है। जो लोग शनि की साढ़ेसाती— मकर, कुंभ और मीन एवं ढैय्या- कर्क और वृश्चिक से परेशान हैं, उन्हें गुप्त नवरात्रि में व्रत करने से लाभ होगा।

आंगनवाड़ी केंद्र पर बच्चों का किया गया टीकाकरण बीमारी से मिलेगी छुटकारा कोटवा प्रखंड में कररिया पंचायत के वार्ड संख्या 1 पर पीएचसी के द्वारा प्रथमिक स्वाथ्य केंद्र के निर्देश में आंगनबाड़ी केंद्र संख्या 158 पर 0 से 5 वर्ष के बच्चों का टिकाकरण किया गया, वार्ड नंबर 1 पर नियमित टिकाकरण के तहद 16 बच्चो को विभिन्न प्रकार की बीमारियों से बचाव के लिए टिके दिए गए ,बच्चो में होने वाले विभिन्न प्रकार के बीमारियों मे खसरा,जापानी इंसेफ्लाइटिस, क्षयरोग,निमोनिया,डिप्थीरिया,टिटनेस ,चमकी बुखार सहित कई बीमारिया है ,जिनके बचाव के लिए टिके दिए जारहे है , टीकाकरण के साथ-साथ लोगों को कोरोना सभी डोज दिए जा रहे है , आशा कर्मी के सहयोग से एएनएम प्रियंका कुमारी द्वारा टीकाकरण किया गया है ,नियमित टिकाकरण में गर्भवती महिलाओं को कई बीमारियों से बचाव के लिये टिके दिए तथा महिलाओं को आयरन की गोलिया दी गई ।चिकित्सा प्रभारी डॉ गौरव कुमार ने बताया कि नियमित टिकाकरण प्रखंड के सभी पंचायतों में चलाई जा रही है ।

आंगनबाड़ी केंद्रों पर किया गया सूखा राशन का वितरण कोटवा,पूर्वी चम्पारण:प्रखंड क्षेत्र के सभी 167 आँगनबाड़ी केंद्रों पर सोमवार को जिलाधिकारी एवं आईसीडीएस के निर्देश के आलोक में टीएचआर वितरण किया गया । टीएचआर वितरण से पहले सेविका केंद्र पर विकास समिति की बैठक बुलाई , जिसमे सभी लाभुकों को शामिल किया गया ,विकास समिति में टीएचआर वितरण से संबंधित सभी लाभुकों को इसकी जानकारी दी गई ,बैठक के बाद समिति के देख रेख में 167आंगनबाड़ी केन्द्रों पर टीएचआर वितरण किया गया।टीएचआर वितरण में कुपोषित बच्चों गर्भवती महिलाओं एवम प्रसूति महिलओ बीच राशन वितरण किया गया ।इस दौरान मौके पर महिला पर्यवेक्षिका पिंकी कुमारी ,अनिता तिवारी राजश्री अपने अपने सेक्टर में टीएचआर वितरण का निरीक्षण करती रही ।वहीजिलाधिकारी के निर्देश पर जिले से पहुचे पदाधिकारियो ने कई आँगनबाड़ी केंद्रों के टीएचआर वितरण की जांच की ।

पीपराकोठी प्रखण्ड में जातीय आधारित जनगणना का प्रथम चरण सम्पन्न हो गया है। जिसमें यह आंकड़े सामने आए हैं कि प्रखण्ड की जनसंख्या में 39.85 फीसद की बढ़ोतरी हुई है। बीडीओ मुकेश कुमार ने बताया कि प्रथम चरण की गणना सम्पन्न होने के बाद सभी आंकड़े जिला को सौंप दिया गया है। उसने कार्यरत सभी कर्मियों को बधाई दी है। बताया कि प्रखण्ड के कुल 88 गणना ब्लॉक व 70 उप गणना ब्लॉक में 186 गणना कर्मी लगाए गए थे। जिनके अथक प्रयास से समयावधि के अंतर्गत समय कार्य सम्पन्न हुआ। बताया कि प्रखण्ड के कुल 22221 परिवारों की गणना की गई। जिसमें भवनों की संख्या 14194 व मकानों की संख्या 15412 पाई गई। जिसमें परिवार के सदस्यों की कुल संख्या 99796 है।  पूर्व 71355 थी जनसंख्या: पूर्व में प्रखण्ड के सभी छह पंचायतों की कुल जनसंख्या 71355 थी। जिसमें 39.85 फीसद की बढ़ोतरी दर्ज हुई है। पूर्व में  सूर्यपुर की जनसंख्या-12654,  दक्षिण ढेकहां की 13400, पंडितपुर की 11765, सलेमपुर की 10500, गोबिंदापुर टिकैता की जनसंख्या 10666 थी।

मिथलांचल की तरह अब मोतिहारी में भी मखाना की खेती शुरू की गई है। यहां भी इस खेती को बढ़ाया जा रहा है। बंजरिया में धनौती नदी में इसकी खेती की शुरूआत हुई है। रोहिनिया, सिजुआ व रतड़ा चंवर में भी खेती संभव है। यह एक नकदी फसल है। बाहर के व्यापारी आकर यहां उगाए गए मखाना को खरीद रहे हैं। पूर्व प्रमुख ललन कुमार इसकी खेती कर रहे हैं। करीब तीन किमी में इसकी खेती की जा रही है। यहां के मखाना का दाना बड़ा व गोल होता है। जिसकी बाजार में अधिक डिमांड है। मखाने की खेती की है खासियत:इसके खेती की खासियत यह है कि इसमें लागत ज्यादा नहीं आती। खेती के लिए तालाब और पानी की जरूरत होती है। ज्यादा गहरे तालाब की जरूरत भी नहीं होती। बस दो से तीन फीट गहरा तालाब ही इसके लिए काफी रहता है। जिन इलाकों में अच्छी बारिश होती है और पानी के संसाधन मौजूद हैं, वहां इसकी खेती खूब फलती-फूलती है। यूं तो मखाने की खेती दिसंबर से जुलाई तक ही होती है। लेकिन अब कृषि की नित-नई तकनीकों और उन्नत किस्म के बीजों की बदौलत किसान साल में मखाने की दो फसलें भी ले सकते हैं। एक हेक्टेयर तालाब में 80 किलो बीज बोये जाते हैं।  सेहत का खजाना मखाना: जैविक विधि से होने वाले मखाना को स्वास्थ्य के लिए भी काफी फायदेमंद माना गया है। मखाना में मौजूद प्रोटीन मसल्स बनाने और फिट रखने में मदद करता है। मखाना में सोडियम, पोटेशियम और मैग्नीशियम अच्छी मात्रा में पाया जाता है। ब्लड प्रेशर की शिकायत में मखाना का सेवन किया जा सकता हैं। हड्डी और दांत के लिए भी यह फायदेमंद होता है। डायबिटीज में इसका सेवन लाभदायक होता है। मखाना में एस्ट्रिंजेंट से किडनी की बीमारी से बचता है। इसमें  वसा नहीं होने से वजन भी कम करता है। इसमें भरपूर पोषक तत्व इम्युनिटी बढ़ाने में उपयुक्त माना गया है। 

शहर वासियों को शहर में जल्द ही एक और रेल ओवरब्रिज का तोहफा मिलने वाला है। यह ओवरब्रिज कचहरी रेलवे गुमटी पर मिलेगा। गुमटी पर रेलवे पुल का निर्माण कर रही है। जबकि पुल निर्माण निगम दोनों तरफ एप्रोच पथ बना रहा है। एप्रोच पथ का काम कचहरी साइड में शुरू किया गया है। इसके लिए फिलहाल सर्विस लेन बनाई जा रही है। सर्विस लेन करीब 5 मीटर चौड़ा होगा। 1 सप्ताह के भीतर सर्विस लेन का काम पूरा कर लिया जाएगा। उसके बाद रिंग रोड बनाने का काम शुरू होगा। सर्विस लेन के लिए सड़क के दोनों तरफ से लगे बिजली के पोल को शिफ्ट किया गया है। जबकि पेड़ को हटाकर दूसरे जगह शिफ्ट किया गया है। इन जगहों पर अतिक्रमण खाली कराकर सर्विस लेन बनाई जा रही है। रेलवे गुमटी से कचहरी रोड में दोनों तरफ काम तेजी से चल रहा है। रेल ओवरब्रिज का एप्रोच पथ करीब 240 मीटर होगा। यानी कचहरी साइड में अंबेडकर भवन के पास से ओवरब्रिज शुरू होगा। जनवरी के अंत तक पाइलिंग का काम शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। पाइलिंग के काम के साथ दूसरे साइड में भी सर्विस लेन बनाने का काम शुरू होगा। उसकी भी तैयारी की जा रही है। 20 करोड़ की लागत से बन रहा पुल और एप्रोच पथ पुल निर्माण निगम के कार्यपालक अभियंता ने बताया कि 20 करोड़ की लागत से कचहरी गुमटी पर रेल ओवरब्रिज एवं एप्रोच पथ बन रहा है। ओवर ब्रिज को रेलवे खुद बना रही है। जबकि एप्रोच पथ पुल निर्माण निगम की एजेंसी बना रही है। 2 साल में काम को पूरा करने का लक्ष्य है। हालांकि काम में तेजी लाकर इसे इस साल के अंत तक पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। अधिकतर बंद रहती है गुमटी, लगता जाम कचहरी गुमटी पर आरओबी बनने से यहां लगने वाले जाम की समस्या से मुक्ति मिलेगी। यहां गुमटी बंद रहने से कचहरी चौक तक जाम लगता है। 250 मीटर बरियारपुर साइड में होगा एप्रोच पथ बरियारपुर साइड का एप्रोच पथ कचहरी साइड की तुलना में थोड़ा लंबा होगा। करीब 10 मीटर अधिक लंबाई में एप्रोच पथ बनाई जाएगी। इस तरफ का काम भी जल्द ही शुरू होने की संभावना है। इधर भी सर्विस लेन कचहरी रोड के पैरलर में बनेगा। सर्विस लेन बनने के बाद सेंट्रल पोर्शन में एप्रोच पथ बनाने का काम शुरू होगा। दोनों साइड का एप्रोच पथ पिलर पर बनेगा। जिससे नीचे का जगह खाली रहेगा। वहां पार्किंग की व्यवस्था की जा सकती है या अन्य काम भी हो सकता है। बलुआ ओवरब्रिज की तरह यहां का एप्रोच पथ होगा। हालांकि, रेल पुल समान्य होगा। एप्रोच पथ के बाहर की चौड़ाई 8.4 मीटर जबकि अंदर का 7.5 मीटर होगी।

शांति समिति की बैठक