बिहार राज्य के जमुई ज़िला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजन कुमार अपने विचार साझा करते हुए बताया की सभी प्राणियों के लिए हवा,छुप,जल सभी बहुत जरूरी है लेकिन। इन सभी कारकों के कारण ही मौसम में भी बदलाव होता है।जैसे ही मौसम में बदलाव होता है।इसका सीधा असर प्राणियों और खेती पर भी साफ़ नजर आता है।मौसम के कारण ही कई पक्षियों की प्रजाति विलुप्त हो गई हैं।बारिश कम होने से फसल प्रभावित हो रही है। जल का स्तर घटता ही जा रहा है।पानी भी प्रदूषित होता जा रहा है। जिसके कारण पेयजल की कमी हो गई है। दूषित पानी पी कर लोग ज्यादा बीमार हो रहे हैं। मौसम में परिवर्तन के कारण सभी चीजें प्रभावित हो रही हैं। इस नकारात्मक प्रभाव के लिए पूरी मानव जाति जिम्मेदार है।  

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजन कुमार जानकारी दे रहे हैं कि ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे ज्यादा जागरूक नहीं होते हैं, इसलिए वो कभी कभार ही हाथ धो कर खाना बनाते हैं या खाते भी हैं। लेकिन जब बच्चों को विद्यालयों के माध्यम से हाथ धोने की जानकारी मिली की कैसे और क्यों जरुरी है हाथों को साफ़ रखना तो अब बच्चे शौच से आने के बाद और खाना खाने से पहले और बाद में भी हाथों को अच्छी तरह से धोते हैं। अब बच्चे जागरूक हैं की हाथ नहीं धोने से कीटाणु खाना खाने के समय पेट में जा सकते हैं और वो कई बीमारियों का भी शिकार हो सकते हैं। बच्चों में आये इस बदलाव से गाँव में भी लोग जागरूक होंगे

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइलवाणी संवाददाता डब्लु पंडित जानकारी देते हैं की केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सीन की दूसरी डोज और बूस्टर डोज के बीच की अवधि को मौजूदा 9 महीने से घटाकर 6 महीने करने का फैसला किया है।नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्युनेशन ने पिछले महीने बूस्टर डोज की अवधि को कम करने की सिफारिश की थी। इस सिफारिश को स्वीकार करते हुए ,केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री सचिव राजेश भूषण ने सभी राज्यों के मुख्य सचिव को पत्र के द्वारा सूचित किया है की 18 से 59 वर्ष के लोग कोविड 19 टीका के दूसरी डोज लेने के 6 महीने या 26 सप्ताह बाद निजी टीकाकरण केंद्र पर बूस्टर डोज लगवा सकते हैं।इसके साथ ही 60 साल या इससे अधिक उम्र के लोग और फ्रंट लाईन वर्कर और स्वास्थ्य कर्मी दूसरी डोज लेने के 6 महीने बाद मुफ्त में वो बूस्टर डोज लगवा सकते हैं।इसके लिए कोविड पोर्टल पर उचित बदलाव किया गया है।राज्यों को इस सूचना के व्यापक प्रचार-प्रसार के निर्देश दिये गए हैं।

बिहार राज्य के जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड से मोबाइल वाणी संवाददाता रंजन कुमार ने कृष्ण बिहारी तिवारी से साक्षात्कार लिया जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि उनके क्षेत्र में भी शराब की तस्करी होती है। पहले जो स्थिति थी उससे बहुत सुधार है। शराब बंदी पूर्ण रूप से होना चाहिए इसके लिए ग्रामीणों को साथ देने की जरुरत है तब जा कर बिहार खुशहाल के रास्ते पर चलेगा।बिहार सरकार ने जो शराब बंधी किया है वो एक दिखावा है क्योकि यह अभी भी पूर्ण रूप से बंद नहीं है। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

बिहार राज्य के जमुई ज़िला के गिद्धौर प्रखंड मोबाइल वाणी संवाददाता संजीवन कुमार ने मौरा पंचायत निवासी धीरेन्द्र कुमार झा से साक्षात्कार लिया जिसमें उन्होंने बताया कि हमारे क्षेत्र में पानी की व्यवस्था होते हुए भी हमें पानी की किल्लत का सामना करना पड़ता है। क्योंकि नल-जल योजना के तहत पाईप बिछाने का काम सही से नहीं किया गया। इसके साथ ही समय से पर्याप्त मात्रा में पानी हमें नहीं मिल पाता है। कुँआ का पानी पीने लायक नहीं है। चापाकल का भी वही हाल है कुछ देर पानी निकलने के बाद पानी आना बंद हो जाता है।ये पानी भी पीने के लायक नहीं होता है। हम लोग 25 रूपये में 20 लीटर पानी ख़रीद कर उसे ही पीने के काम में लाते हैं।मवेशियों को भी पानी की कमी के कारण क्षेत्र से बहुत दूर ले कर जाना पड़ता है। जिससे उन्हें भी पानी पिलाया जा सके। इस क्षेत्र में पानी की बचत के लिए लोग ना ही जागरूक है और ना ही कोई ख़ास प्रयास कर रहे हैं। विस्तृत जानकारी के लिए ऑडियो पर क्लिक करें। 

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से छोटी कुमारी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि, लड़की की शादी 21 वर्ष के बाद करनी चाहिए। लड़की की शादी कम उम्र में करने से वो कम उम्र में ही माँ बन जाती है जिससे माँ और बच्चा दोनों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। इसलिए लड़की की शादी कम उम्र में नहीं करनी चाहिए।

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से रीता देवी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि लड़की की शादी कम उम्र में करने से वो कम उम्र में ही माँ बन जाती है जिससे माँ और बच्चा दोनों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है। इसलिए लड़की की शादी कम उम्र में नहीं करनी चाहिए। गरीबी के कारण लोग कम उम्र में ही शादी कर देते हैं

बिहार राज्य के जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड से रंजन कुमार ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि ग्रामीणों को एक देश एक राशन कार्ड की जानकारी नही है।बायोमेट्रिक सिस्टम के बारे में भी ग्रामीण अच्छी तरह से नही जानते हैं। अंगूठे का निशान नहीं लगता है तो अनाज से वंचित रहना पड़ता है।साथ ही इनका कहना है कि ग्रामीणों को डीलर के यहां उचित मूल्य पर राशन भी नही मिलता है।डीलर के द्वारा रसीद नही दिया जाता है। रसीद प्राप्त होने पर यह पता रहता है कि सरकार किस दर पर राशन उपलब्ध करवा रही है। उपभोक्ता को यह भी जानकारी नही है कि उसे रसीद माँगना चाहिए। इस समस्या पर प्रखंड आपूर्ति अधिकारी ध्यान भी नही देते हैं

बिहार राज्य के जमुई जिले के गिद्धौर प्रखंड से रंजन कुमार ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि बेटी पढ़-लिख कर समाज में परिवर्तन लाती है।समाज में बेटी को दुर्गा एवं लक्ष्मी का स्वरुप समझा जाता है और बेटी का मान-सम्मान भी किया जाता है।परन्तु समाज में कुछ ऐसे भी लोग हैं जो बेटी को बोझ समझते हैं। इस प्रकार की सोच के पीछे सबसे बड़ा कारण है दहेज-प्रथा। जिस परिवार में तीन -चार बेटियाँ जन्म लेती हैं ,उसके माता-पिता समय से पहले ही बूढ़े हो जाते हैं। आज के समाज में भी दहेज का दानव मुँह फाड़े खड़ा रहता है। आय दिन हम समाज में देखते हैं कि दहेज के कारण बेटियाँ आत्महत्या करने का प्रयास करती हैं,ताकि उनके माता-पिता को कोई परेशानी ना हो। अशिक्षित बेटी की शादी में दिक्कत होती है ,इसलिए बेटियों को शिक्षित तो किया जाता है परन्तु गरीबी और असुरक्षा के कारण उनकी पढ़ाई अधूरी रह जाती है।

बिहार राज्य के जमुई जिला के गिद्धौर प्रखंड से निकिता मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रही हैं कि बेटी के जन्म पर पिता मायूस होता है ,पुरुष प्रधान समाज में बेटी को बोझ समझा जाता है जबकि बेटियां समाज एवं परिवार को सुशोभित करती है। बेटी के बगैर परिवार अधूरा रहता है। जिस परिवार में बेटी नहीं होती वह परिवार अधूरा होता है फिर भी बेटी के जन्म पर पिता दुख प्रकट करता है। नव दंपति का पहला संतान बेटी होती है उसे माता पिता लक्ष्मी से संबोधित करते हैं लेकिन अगर लगातार दो से तीन बेटियां जन्म ले लेती है तो पति पत्नी और सास ससुर दुखी हो जाते है और घर की बहू प्रताड़ना का शिकार होने लगती है। जबकि लगातार बेटी के जन्म होने से उसमें बहू का कोई दोष नहीं है कभी-कभी तो लगातार बेटी होने पर पत्नी एवं बहू को घर से निकाल दिया जाता है अगर वह नहीं निकलना चाहती है तो उसे मौत के घाट उतार दिया जाता है। समाज की अगर बात की जाए तो सबसे अधिक प्रताड़ित घर की बेटियां और बहु हो रही है बेटी की पढ़ाई लिखाई ,जन्म दिवस को लेकर हमेशा पिता का नजर गलत होता है जबकि बेटा का पढ़ाई लिखाई आदि पर अभिभावक का नजर नहीं जाता है। बेटी का काम घर में चौका बर्तन करना और माता-पिता का सेवा करना माना जाता है फिर भी बेटी समय निकालकर पढ़ाई करने का पूरा प्रयास करती है और रिजल्ट भी बेटा से अच्छा लाती है फिर भी बेटा का मान सम्मान घर में अधिक होता है बेटी चाहती हैं कि वह आत्मनिर्भर बने लेकिन पुरुष प्रधान समाज उस में बाधक बन रही है