तमिलनाडु तिरुपुर सिडको से एक श्रोता साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि खाने पीने में उन्हें बहुत समस्या हो रही है और कम्पनी भी कोई मदद नहीं कर रही है। इसलिए वे साझा मंच से मदद चाहते हैं

तमिलनाडु तिरुपुर से राजन ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उन्हें साझा मंच से सहायता की आवशयकता

बिहार राज्य से हमारे श्रोता ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि बिहार से प्रदेश जाने के लिए पैसे नहीं है ,कोई व्यवस्था भी नहीं है।परिवार है , खाने पीने की कोई व्यवस्था नहीं है। टीका भी नहीं मिल रही है

बिहार से रीता देवी ,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि वो तिरुपुर में काम करती थी। लॉक डाउन के कारण बिहार आई। अभी कोई काम नहीं चल रहा है। वो गर्भवती भी है ,उन्हें पैसो की जरूरत है। वो कमाने के लिए बाहर जाना चाहती है

दिल्ली के मानेसर से परमिला देवी,साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहती है कि वो लॉक डाउन के बाद वापस मानेसर आई लेकिन उन्हें काम नहीं मिल रहा है। उनके पास जो भी पैसे थे वो भी ख़त्म हो गए। उन्हें साझा मंच से सहायता चाहिए

उत्तर प्रदेश राज्य से हमारे श्रोता साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि यूपी निवासी मोहन गाज़ियाबाद में काम करते थे ,लॉक डाउन के कारण काम बंद हो गया।गाँव वापस गए हुए 3 महीने हो गया है। मालिक ने पैसे के लिए कहा की ब्याज़ पर वो पैसे देंगे। उन्हें साझा मंच से मदद चाहिए ताकि वो वापस ग़ाज़ियाबाद आ कर काम कर पाए।

दिल्ली में फैक्ट्री कारखानों में बाल मजदूरी कर रहे हैं बच्चे दिल्ली पुलिस और एमसीडी हो रही है माला माल अगर कोई एमसीडी का कर्मचारी सर्वे करने आ जाता है तो कारखानों में कारखाने मालिक उसकी जेब गर्म कर कर वापसी भेज देता है उसको बाल मजदूरी कर रहे बच्चे परेशान हैं अब बच्चे मजदूरी नहीं करें तो क्या करें क्योंकि उनके घर में खाने को तो कुछ है नहीं सरकार उनकी मदद नहीं करती है जो एनजीओ है वह भी उनकी मदद नहीं करती नरेश कुमार सेन ने हमें बताया के फैक्ट्री कारखानों में नाबालिग बच्चे ज्यादातर काम करते हैं क्योंकि बच्चे रोटी कहां से खाएंगे उनके घर की हालत बहुत खराब है किसी के घर में बाप नहीं है किसी की मां नहीं है किसी का बड़ा भाई नहीं है किसी बच्चे का कोई भी घर में कमाने वाला नहीं है इस कोरोना कॉल और लॉकडाउन में नौकरी चली गई हालत खराब है काम धाम है नहीं और ऊपर से महंगाई मैं मो शाहनवाज साझा मंच मोबाइल वाणी से

हमारे श्रोता कालीचरण की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से गरीबा यादव से हुई। गरीबा यादव कहते है कि उन्हें जीवन यापन करने में बहुत समस्या हो रही है। इधर उधर से मदद ले कर घर चला रहे है। पहले वो दुकान में काम करते थे लेकिन लॉक डाउन होने के बाद उनका काम प्रभावित हो गया है। सरकार से इन्हे कोई भी सहयोग नहीं मिला ,वो मदद चाहते है।

मध्यप्रदेश राज्य से कालीचरण की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से महाराष्ट्र के भंडारा ज़िला निवासी सुनीता से हुई। सुनीता कहती है कि उनके पति रेलवे हॉकर थे। वो दोनों दृष्टिबाधित है। लॉक डाउन में बहुत परेशानी हो रही है। चार सदस्यों का परिवार है। लॉक डाउन से पहले अच्छे से कमाई हो जा रही थी ,कोई दिक्कत नहीं थी लेकिन अभी बिलकुल काम बंद है। पैसा व राशन नहीं है ,बहुत मुश्किल से व्यवस्था कर रहे है। सरकार से भी कोई सहायता नहीं मिली। अगर सरकार तरफ से कोई योजना भी निकली होगी तो उन्हें जानकारी नहीं है क्योंकि उन्हें अपने ग्राम पंचायत से इसकी जानकारी प्राप्त नहीं होती है

महाराष्ट्र भंडारा से हमारी एक दिव्यांग श्रोता महिला ने साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वे ,उनके पति और उनकी बेटी तीनों ही दिव्यांग हैं। और इस लॉक डाउन में उन्हें किसी प्रकार की कोई मदद नहीं मिली है