हमारे एक श्रोता श्रमिक वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि देश और समाज को यदि अंधविश्वासी बाबाओं से बचाना है तो जागरूकता आवश्यक है।
दोस्तों इस तरह के बाबाओं द्वारा चलाई जा रही धर्म की दुकानों पर आपका क्या मानना है, क्या आपको भी लगता है कि इन पर रोक लगाई जानी चाहिए या फिर इनको ऐसे ही चलते ही रहने देना चाहिए? या फिर हर धर्म और संप्रदाय के प्रमुखों द्वारा धर्म के वास्तविक उद्देश्यों का प्रचार प्रसार कर अंधविश्वास में पड़े लोगों को धर्म का वास्तविक मर्म समझाना चाहिए। जो भी आप इस मसले पर क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें ग्रामवाणी पर
दोस्तों नई सरकार का गठन हो गया है। ऐसे में सरकार से आपकी क्या अपेक्षाए हैं, क्या आपको भी लगता है कि लोकतंत्र के संस्थानों के उनके नियमों के अनुसार ही काम करना चाहिए या सरकार का रुख ठीक है कि वह चुनकर सत्ता में आए हैं, तो अब उनकी मर्जी है कि वे कैसे चलाते हैं। इस मसले पर अपनी राय रिकॉर्ड करें मोबाईलवाणी पर
भारत में जहां 18वीं लोकसभा के लिए चुनाव हो रहे हैं। इन चुनावों में एक तरफ राजनीतिक दल हैं जो सत्ता में आने के लिए मतदाताओं से उनका जीवन बेहतर बनाने के तमाम वादे कर रहे हैं, दूसरी तरफ मतदाता हैं जिनसे पूछा ही नहीं जा रहा है कि वास्तव में उन्हें क्या चाहिए। राजनीतिक दलों ने भले ही मतदाताओं को उनके हाल पर छोड़ दिया हो लेकिन अलग-अलग समुदायो से आने वाले महिला समूहों ने गांव, जिला और राज्य स्तर पर चुनाव में भाग ले रहे राजनीतिर दलों के साथ साझा करने के लिए घोषणापत्र तैयार किया है। इन समूहों में घुमंतू जनजातियों की महिलाओं से लेकर गन्ना काटने वालों सहित, छोटे सामाजिक और श्रमिक समूह मौजूदा चुनाव लड़ रहे राजनेताओं और पार्टियों के सामने अपनी मांगों का घोषणा पत्र पेश कर रहे हैं। क्या है उनकी मांगे ? जानने के लिए इस ऑडियो को सुने
किसी भी समाज को बदलने का सबसे आसान तरीका है कि राजनीति को बदला जाए, मानव भारत जैसे देश में जहां आज भी महिलाओं को घर और परिवार संभालने की प्रमुख इकाई के तौर पर देखा जाता है, वहां यह सवाल कम से कम एक सदी आगे का है। हक और अधिकारों की लड़ाई समय, देश, काल और परिस्थितियों से इतर होती है? ऐसे में इस एक सवाल के सहारे इस पर वोट मांगना बड़ा और साहसिक लेकिन जरूरी सवाल है, क्योंकि देश की आबादी में आधा हिस्सा महिलाओं का है। इस मसले पर बहनबॉक्स की तान्याराणा ने कई महिलाओँ से बात की जिसमें से एक महिला ने तान्या को बताया कि कामकाजी माँओं के रूप में, उन्हें खाली जगह की भी ज़रूरत महसूस होती है पर अब उन्हें वह समय नहीं मिलता है. महिलाओं को उनके काम का हिस्सा देने और उन्हें उनकी पहचान देने के मसले पर आप क्या सोचते हैं? इस विषय पर राय रिकॉर्ड करें
दिल्ली आईएमटी मानेसर से राम करण श्रमिक वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि ऐसी सरकार चुनें जो आपको रोटी कपड़ा और मकान दे सके। इस लोकसभा चुनाव में नई दिल्ली से श्रमिक वाणी संवाददाता और रामकरण हूं। हमें किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए और चुनाव का सही तरीके से उपयोग करना चाहिए । लोभी ना बनें , क्योंकि यह चुनाव हमारा और हमारे बच्चों का भी भविष्य तय करेगा। अगर गाँव का भविष्य तय करेगा तो हमें समझदारी से वोट देना चाहिए ताकि सरकार आपको कपड़ा व घर दे सके। सरकार चुनें क्योंकि अगर आप आज पूरे भारत को देखें तो आजकल व्यवसाय और सरकारी विभाग फाइबर ग्लास बन गए हैं। कोई अलग नौकरी नहीं है और सुशिक्षित लोग आज बेरोज़गारी में घूम रहे हैं , इसलिए हमें मंथन करना होगा, सोचना होगा, दिल से सोचना होगा ।
महाराष्ट्र राज्य के नागपुर जिला से आदर्श ने श्रमिक वाणी के माध्यम से बताया कि मसालें स्वास्थय के लिए जानलेवा साबित हो रही है। मसाले बनाने के लिए फैक्ट्रियों में कैमिकल का इस्तेमाल किया जा रहा है। पैसा कमाने की लालसा में देश को बर्बाद किया जा रहा है
हमारे श्रोता रवि कुमार शर्मा ने श्रमिक वाणी के माध्यम से बताया कि मिलावट को रोकने के लिए आवाज़ उठानी होगी। सभी लोगों को मिलकर इसका विरोध करना चाहिए और सरकार को कदम उठाने चाहिए, लेकिन इसके लिए लड़ना होगा ।
कोविशील्ड बनाने वाली कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की स्वीकारोकती के बाद सवाल उठता है, कि भारत की जांच एजेंसियां क्या कर रही थीं? इतनी जल्दबाजी मंजूरी देने के क्या कारण था, क्या उन्होंने किसी दवाब का सामना करना पड़ रहा था, या फिर केवल भ्रष्टाचार से जुड़ा मामला है। जिसके लिए फार्मा कंपनियां अक्सर कटघरे में रहती हैं? मसला केवल कोविशील्ड का नहीं है, फार्मा कंपनियों को लेकर अक्सर शिकायतें आती रहती हैं, उसके बाद भी जांच एजेंसियां कोई ठोस कारवाई क्यों नहीं करती हैं?
महाराष्ट्र राज्य के नागपुर जिला से आदर्श मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है की जनता की आवाज दबनी नहीं चाहिए। जनता की आवाज को दबाया नहीं जाना चाहिए। जनता को सरकार से ही सवाल करना चाहिए