उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा से खेम सिंह श्रमिक वाणी के माध्यम से कह रहें हैं कि, लोगों का कहना है की सरकारी योजनाओं से कोई ख़ास लाभ नहीं मिलता है जैसे की टॉयलेट बनवाने के लिए सरकार दस हज़ार देती है जबकि इस से कही ज़ियादा पैसे लगते हैं आदि.
उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा से खेम सिंह श्रमिक वाणी की माध्यम से कह रहें हैं कि, एक किसान के अनुसार मौसम परिवर्तन के कारण फसल ख़राब हो जाती है जिस वजह से ये अपनी आजीविका को ठीक से नहीं चला पा रहे है और महंगाई भी काफी बढ़ गई है.
उत्तर प्रदेश राज्य के बाँदा से खेम सिंह ,श्रमिक वाणी के माध्यम से कह रहें हैं कि, इनके यहां सरकारी हॉस्पिटल में डॉक्टर नहीं रहते हैं
उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा से खेम सिंह श्रमिक से कह रहें हैं कि, वायु के साथ जल भी प्रदूषित हो रहें हैं और इसका कारण पेड़ों की कटाई है किसी को पेड़ काटते देखें तो उनको ऐसा करने से रोकना चाहिए और हमें अधिक पेड़ लगाना चाहिए
उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा से खेम सिंह श्रमिक वाणी के माध्यम से कह रहें हैं की रासायनिक खेती भी पर्यावरण प्रदूषण के लिए ज़िम्मेदार है। क्योंकि रसायन सिर्फ मिट्टी में ही नहीं हवा में भी मिलती है और मिट्टी कटाई के कारण नदियों में भी जिस कारण जल भी रसायन से प्रदूषित हो रहें हैं और यदि जैविक खेती की जाए तो इन प्रदूषणों से बचा जा सकता है
उत्तर प्रदेश राज्य के बांदा से खेम सिंह श्रमिक वाणी के माध्यम से किसानों को सलाह दे रहें हैं कि, मौसम बदलने के कारण खेती में जो नुक्सान हो रहा है उस से बचने के लिए एक्सपर्ट से सलाह ले कर खेती करें
उत्तरप्रदेश राज्य के बाँदा जिला से खेम सिंह श्रमिक वाणी के माध्यम से बताना चाहते है की, डेंगू और मलेरिया से बचने के लिए साफ़ सफाई रखे।
उत्तर प्रदेश राज्य के बाँदा से खेम सिंह श्रमिक वाणी के माध्यम से कह रहें हैं कि, यदि आस पास गन्दगी हो तो उसे साफ़ करें क्यूंकि गन्दगी में ही डेंगू और मलेरिया जैसे मच्छड़ पनपते हैं.
उत्तरप्रदेश राज्य के बाँदा जिला से खेम सिंह की बातचीत श्रमिक वाणी के माध्यम से कमल से हुई। कमल कहते है कि जल का दुरूपयोग न करें। जल दूषित होगा तो आने वाले समय में बहुत समस्या होगा। नदी ,तालाबों में कचड़ा न फेंके। जल को संरक्षित कर के रखे
उत्तरप्रदेश राज्य के बाँदा ज़िला से खेम सिंह ,श्रमिक वाणी के माध्यम से बताते है कि श्रमिक मेहनत करते है ,कंपनी में काम करते है ताकि उन्हें सही से वेतन मिले ,लेकिन उन्हें वेतन नहीं मिलता है ,ठेकेदार ही उनका वेतन सही से नहीं देते है