दिल्ली एनसीआर के गुरुग्राम से नन्द किशोर की बातचीत साझा मंच मोबाइल वाणी के माध्यम से कारीगर वाहीर से हुई। वाहीर बताते है कि कंपनी का इंचार्ज पीस रेट तय करता है। जो कंपनी पीस के 75-80 रूपए देती है उस पीस में इंचार्ज उसका रेट खोलता है जैसे 1.75 पैसे या 2 रूपए आदि। कंपनी तो अच्छा पैसा देती है परन्तु इंचार्ज काट कर पीस रेट तय करता है। कारीगर मज़बूरी में कम रेट पर कार्य करते है। इसलिए सरकार को न्यूनतम वेतन की तरह पीस का रेट भी निर्धारित करना चाहिए