ऋषि चित्रकूट, उत्तर प्रदेश के एक प्रवासी कामगार मुरका, जो सूरत, गुजरात में साड़ी बनाने की कम्पनी में चार साल से काम कर रहे थे, लॉक डाउन में अपने घर पर आ गए हैं, से बात कर साझा मंच मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि कम्पनी या सरकार किसी ने इनको कोई सुविधा नहीं दी। तीन हज़ार रुपए दे कर बस से किसी तरह घर आए। आने के बाद चौदह दिन की क्वारंटीन अवधि में भी घर से ही खाना जाता था। मनरेगा में काम किए थे, उसका भी पैसा नहीं मिलने से काम छोड़ दिया, दो महीने से लगातार प्रधान से शिकायत कर रहे हैं, लेकिन अभी तक पैसा नहीं मिला। सरकार द्वारा की गयी घोषणा के बाद भी राशन नहीं मिला, क्योंकि अभी तक राशन कार्ड नहीं बना है। सबकुछ सामान्य हो जाने के बाद वापस जाएँगे।