झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के जरीडीह प्रखंड से सुरेंद्र नाथ महतो ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि ऐसे कई व्यक्ति है जो उज्वला योजना के लाभ से वंचित है। जिन लोगों को उज्वला योजना के तहत लाभ प्राप्त हुआ है ,उन्हें घर तक गैस सिलिंडर नहीं पहुँचाया जाता है। गैस के लिए 850 रूपए शुल्क लिया जाता है। सरकार द्वारा कहा गया है कि उज्वला के तहत तीन मुफ़्त सिलिंडर दिया जाएगा परन्तु अब तक केवल एक ही सिलिंडर मिला हैं। इसका शुल्क 850 रूपए लिया गया है। बहुत लोगों को यह लाभ बिलकुल भी नहीं मिला है

झारखण्ड राज्य के गोड्डा ज़िला से विकास मंडल ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वो दृष्टिबाधित है। उन्हें 1983 से सामाजिक सुरक्षा पेंशन मिल रही थी। परन्तु 2019 जनवरी महीनें से उनका सामाजिक सुरक्षा पेंशन अंचल पदाधिकारी या अन्य पदाधिकारी द्वारा किसी कारण से रोका गया है। उन्होंने इसकी सूचना वर्ष 2019 के अगस्त महीनें में मुख्यमंत्री जन संवाद में दर्ज़ करवाई थी। लेकिन इसका कोई सुनवाई नहीं हुआ। इस लॉक डाउन के बीच अब तक उनका पेंशन का भुगतान नहीं किया गया । जबकि उन्होंने कार्यालय में पता किया तो कार्यालय में कहा गया कि अभी केवल कोरोना को लेकर कार्य हो रहे है,पेंशन आदि का काम नहीं हो रहा है ।

झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के जरीडीह प्रखंड के गायछंदा पंचायत के पाथुरिया गाँव से गोपाल बाउरी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि उन्हें कुछ दिन पहले किसान सम्मान निधि योजना का पहला क़िस्त 2000 रूपए मिला था। वही दूसरा क़िस्त पाने के लिए उन्होंने फॉर्म भरा तो उनका पैसा आया नहीं है। जिस कारण लॉक डाउन में उन्हें परिवार का भरण पोषण करने में मुश्किल हो रही है। साथ ही उन्होंने रसोई गैस के लिए भी दो-तीन बार फॉर्म भरा लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। अतः इन्हे जितना जल्द मदद किया जाए ताकि परिवार का भरण पोषण करने में परेशानी ना हो

झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के नावाडीह प्रखंड से जे.एम रंगीला ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि आजादी के पश्चात् देश एवं राज्य में प्रायः सभी क्षेत्रों में बदलाव आया है।लेकिन कई ऐसे गाँव व मोहल्ले हैं, जो आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित अपनी विवश्ता पर आँसू बहाने को विवश है। ऐसा ही हाल बोकारो ज़िला के गोमिया प्रखंड के सियारी पंचायत का आदिवासी मोहल्ला धमधरवा का है।इस आदिवासी बहुल पंचायत सियारी को आदर्श पंचायत का दर्जा दिया गया है। इसी पंचायत के राजस्व गाँव गोसे से अंतर्गत धमधरवा मोहल्ला अवस्थित है, जहाँ पच्चास संथाली सामुदाय के लोग निवास करते हैं और इनकी आबादी ढ़ाई सौ के करीब है। पर आश्चर्य की बात यह है कि इस आदिवासी मुहल्ले में पेजल की व्यवस्था नहीं की गई है।अपनी जरूरत को पूरा करने के लिए लोग नदी एवं झरनों से पानी ला कर पीने को विवश हैं। वहीँ सड़क के अभाव में लोगों के पास पंचायती मुख्यालय समीप रेलवे स्टेशन आने के लिए डुमरी पगडंडियों के अलावे कोई अन्य विकल्प नहीं है। इसके लिए पूर्व विधायक के कार्यकाल में कुआँ से जलापूर्ति योजना शुरू की गई थी जो अब तक अधूरा पड़ा हुआ है।पर विडंबना यह है कि जहाँ पेजल,सड़क एवं बुनियादी सुविधाओं का अभाव है वहीँ दूसरी ओर विद्यालय एवं अस्पताल का होना एक आश्चर्य की बात मानी जाती है।साथ ही प्राथन मंत्री आवास योजना के लाभ से भी गाँववासी वंचित हैं।लोग मिटटी के घरों में रहने पर मजबूर हैं।

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झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के पेटरवार प्रखंड से नागेश्वर महतो ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि पेटरवार प्रखंड अंतर्गत आने वाले चरगी पंचायत ग्राम स्थित रुकाम डैम के जीर्णोद्धार नहीं होने से रुकाम सहित आसपास के विभिन्न गांव के किसानों को कृषि कार्य करने में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। आदिवासी बहुल ग्राम रुकाम में ग्रामीण कृषि व मज़दूरी कर अपना जीवन बसर करते है। रोज़गार के अन्य साधनों का भारी अभाव है। यह डैम आज से क़रीब छह दशक पूर्व अम्बा गढ़ा नाला पर चेक डैम बना था। इस डैम के जीर्णोद्धार नहीं होने से जल संचय नहीं हो पा रहा है। जल संचय नहीं होने के कारण किसान खेती बाड़ी करने में असमर्थ महसूस कर रहे है। अगर इस डैम का जीर्णोद्धार हो जाता तो डैम के जल से सैकड़ों एकड़ की सिंचाई कर कृषक बारह महीनें कृषि कार्य कर अपनी आजीविका चला सकते थे

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला से तक नारायण प्रसाद ने झारखंड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि इचाक प्रखडं से दरिया जाने वाली पथ की स्थिति बहुत ही जर्ज़र है। सड़क की ऐसी स्थिति होने की वजह से इचाक बाज़ार से दरिया जाने वाली सड़क में गड्ढ़े है जो की नाला में तब्दील हो गया है। प्रशासन द्वारा अब तक इस समस्या के तरफ़ कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सड़क में गड्ढ़े होने के वजह से कई वाहन दुर्घटना ग्रस्त हो चुके है। अगर इस पथ का मरम्मती तुरंत नहीं होती है तो आने वाले दिनों में भी दुर्घटना होने की संभावनाएँ बनी रहेगी ।

झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के बिष्णुगढ़ प्रखंड से राजेश्वर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से पूरा विश्व त्राहिमाम है वहीं विष्णुगढ़ बगोदर बरकठा समेत अन्य प्रखंडों में इसकी जांच के लिए समुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में प्रवासी श्रमिकों का पूरा भीड़ लग गया है ऐसे कई श्रमिक कई दूसरे राज्यों से आये हुए हैं भूखे प्यासे लाइन में लगाकर सेनेटाइज जांच के लिए लंबी कतार लगाए हुए हैं विष्णुगढ़ प्रखंड के प्रशासन ने व्हाट्सएप्प नंबर जारी किए हैं ताकि कहीं भी किसी तरह के संदिग्ध अवस्था में मिलने वाले श्रमिक परिजन सीधे प्रशासन को संपर्क कर उनसे लाभ मिल सके आज भी कई श्रमिक दूसरे राज्यों में फंसे हुए हैं वहीं कई ऐसे श्रमिक बिना जांच करवाये घर वापस आ गये है स्थानीय जनप्रतिनिधि समाजसेवियों ने सूची जारी कर पंचायत स्तर पर करोना वायरस की जाँच के लिए स्थानीय प्रशासन से मांग किये हैं। निषेधाज्ञा का पूरा पालन किया जा रहा है मोबाइल वाणी संवाददाता, राजेश्वर महतो, हजारीबाग विष्णुगढ़ की रिपोर्ट

झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के कसमार प्रखंड से प्रमोद कुमार ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कसमार में दिहाड़ी मजदूरों का जीना मुश्किल हो गया है। कोरोना वायरस के संक्रमण से जहाँ एक ओर विश्व के विभिन्न देशों में व्याप्त महामारी से हज़ारो लोग दिन रात काल के गाल में समा रहे हैं वहीँ दूसरी ओर दिहाड़ी मजदुर सहित जन साधारण का जीना मुहाल हो गया है।कोरोना वायरस से सुरक्षा के लिए देश में 22 मार्च को जनता कर्फ्यू किया गया।उसके बाद समस्या को देखते हुए लॉक डाउन भी कर दिया गया जिससे लोग अपने घरों से नहीं निकल पा रहे है । इस दौरान कसमार प्रखंड के दिहाड़ी मजदुर अपने रोजगार से वंचित हो गए हैं। जिसके कारण उनके परिवार के समक्ष भारी समस्या उत्पन्न हो गयी है।जहाँ एक ओर कोरोना वायरस विकराल रूप लेता जा रहा हैं वही दूसरी ओर आने वाली भूखमरी की समस्या सता रही है।

झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला के बेरमो प्रखंड से खिरोधर राज ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए लॉक डाउन का आदेश पारित हो गया। लॉक डाउन होते ही मज़दूरों के समक्ष जीविका की समस्या खड़ी हो गई है। बेरमो कोयलांचल के आसपास के ग्रामीण इलाके से खुसरो बाज़ार,बारीडीह बाज़ार ,करयली बाज़ार ,बरांजी,नकौली ,सुभाष नगर ,गाँधी नगर आदि हाट बाज़ारों में प्रतिदिन हज़ारों की संख्या में दैनिक मज़दूरी कर परिवार का भरण पोषण करते है। लॉक डाउन होने पर मज़दूरों को काम मिलना बंद हो गया। ऐसे में उनके सामने आर्थिक समस्या हो रही है। वही क्षेत्र के होटल ,दूकान ,प्रतिष्ठान आदि बंद होने से शहरी क्षेत्र मज़दूरों को आर्थिक समस्या उत्पन्न हो गई है। वो सभी अब चिंतित है कि परिवार का भरण पोषण,बच्चों की पढ़ाई लिखाई और इलाज़ के लिए पैसे कहा से लाएगे।