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साथियों, क्या आपने इस कोरोना काल के दौरान आपने शिक्षकों को तलाशने की कोशिश की? क्या आपने उनसे उनका हाल जाना? क्या आपके आसपास ऐसे लोग हैं जो पहले शिक्षक थे लेकिन कोविड काल में नौकरी जाने के बाद अब कोई दूसरा काम कर रहे हैं? क्या आपको नहीं लगता कि सरकार को शिक्षकों की आर्थिक स्थिति सुधारने पर ध्यान देने की जरूरत है? स्कूल बंद होने और शिक्षकों के ना रहने से आपके बच्चों की पढ़ाई पर कितना असर पड़ा है? अगर आप शिक्षक हैं, तो हमें बताएं कि कोविड काल के दौरान आपको किस तरह की परेशानियां आईं और क्या अब आपके हालात पहले जैसे हैं? अपनी बात हम तक पहुंचाने के लिए फोन में अभी दबाएं नम्बर 3.

राजस्थान के बीकानेर जिले के भंवर सारण ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि वो पूर्ण रूप से दृष्टि बाधित है। इन्हें सरकार द्वारा साढे सात सौ रूपये पेंशन और कोटे से पर्याप्त अनाज मिल रहा है। उनको सरकारी योजना वाला मकान और पाने का पानी उपलब्ध नहीं है। दृष्टिबाधित होने के वजह से वो कहीं आ जा पाने में सक्षम नहीं है।

झारखण्ड के रांची से अरुण कुमार, झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहें है कि उन्होंने 2019 में स्वावलम्बन कार्ड के लिए आवेदन दिया था जो आजतक बन कर नहीं आया है।

झारखण्ड के जामताड़ा जिले से पंकज ,झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से से बता रहें है कि पूर्ण रूप से नेत्रहीन होने की स्थिति में उन्हें विकलांग पेंशन मिलना चाहिए लेकिन उन्हें अभी तक पेंशन का भुगतान नहीं हुआ है। उन्होंने ग्रामवाणी से सहायता की अपील की है

झारखण्ड के बाघमारा ज़िले से सोनू कुमार झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकार द्वारा संचालित विकलांग पेंशन कई दिनों से नहीं मिल रहा है। उन्होंने ग्रामवाणी से सवाल किया है कि यदि उन्हें इस बाबत कोई सुचना मिले तो कृपया उनको बताया जाए