जिला पूर्वीसिंघभुम, पोटका प्रखंड के हाथीबिंदा पंचायत,गाँव कोगदा से चक्रधर भगत जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि पूर्व में गाँव एवं पंचायती का प्रधान पुरुष ही हुआ करते थे।लेकिन जब से पंचायती राज हुआ है तब से महिलाओ को भी अधिकार दिया गया और उन्हें भी वोटों के जरिये मुखिया बनाया गया । लेकिन उसके बाद जो कार्य उन्हें पंचायत में करना चाहिए वो नहीं कर रहे हैं। उसके बदले में महिला मुखिया बदले उनके भाई,पिता या उसके पति ही पंचायतों के काम करते हैं। इसमें देखा जा रहा है कि जो सरकारी योजनाएं हैं और जो भी सुविधाएँ सरकार की ओर से पंचायतों को मिलती है उसमें लूट खसोट बढ़ गई है। इसका मुख्य वजह है महिला मुखियाओं का घर से बाहर नहीं निकलना और अपनी जिम्मेदारी के प्रति गंभीर न होना । और यही वजह है कि वो आम जनताओं से रूबरू नहीं हो पा रही हैं।

जिला पूर्वीसिंघभुम से भाषा शर्मा जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि पंचायती राज में महिलाओ का आना बड़ी बात है। इसके बाद अब गांव में आम सभा हो या ग्राम सभा इसमें महिला प्रतिभागियों की संख्या में वृद्धि हुई है। हर पंचायत में अब वार्ड सदस्यों, मुखिया, उपमुखिया, पंचायत समिति के सदस्य एवं जिला परिषद् के पद पर महिलाएं आसिन है और वे अपनी जिम्मेवारी को अच्छे से निभा रही हैं । महिलाएँ इस पद पर होने के कारण गाँव के दूसरे महिलाओं को भी प्रेरित कर रही हैं । आज हर काम में महिलाएं अपनी भागीदारी निभा रही हैं। वे कहती हैं कि आज से दस साल पीछे चले जाए तो इन कामो में पुरुष ही जिम्मेवारी लिया करते थे। पंचायती राज में महिला प्रतिभागी आने के कारण बहुत से महिलाएं प्रेरित होकर एस एच जी में जुड़ी हैं। जो भी योजना सरकार की तरफ से आ रही है वो उन्हें आसानी से मिल रही है। पानी की समस्या हो या बिजली की अब महिलाएं प्रखंड कार्यालय जा कर पदाधिकारी से बात कर रही हैं। जिससे महिलाओ का आत्मबल भी बढ़ रहा है और यह समाज में दिख भी रही है। पुरुष उम्मीदवार के खिलाफ महिला उम्मीदवार का खड़ा होना ही अपने आप में एक बदलाव है।

जिला बोकारो पेटरवार से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि महिलाओ को समाज में आगे बढ़ाने का उद्देश्य तभी पूरा होगा जब पुरुष महिलाओं को स्वतंत्र रूप से आजादी देंगे।जब तक महिलाओं को पुरुष पूर्ण रूप से सहयोग नहीं करेंगे,तबतक महिलाऐ समाज में अपनी भागीदारी नहीं निभा सकेंगी।समाज में जब भी किसी प्रकार का सभा बैठक या अन्य योजनाओं में महिलाओं को शामिल करके अपनी विचार व्यक्त करने की आपूर्ण जादी देना चाहिए।राज्य में 25 वर्षो के बाद पूरा पंचायत चुनाव होने के पश्चात पंचायत में यह बदलाव देखने को मिलता है कि पंचायत एक अधिकार बन कर रह गया है।

जिला बोकारो के तेनुघाट प्रखंड से सुषमा जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बताती हैं कि महिला जनप्रतिनिधि चाहती थी की विकास करे पर उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया जाता है। पति,पुत्र आदि भरस्टाचारी के दबाव में आकर महिलाओ के साथ अत्याचार बढ़ने लगा है। पंचायत राज्य में महिलाओ को कई अधिकार प्रदान किये गए पर महिलाएं उसे सही ढंग से नहीं कर पा रही है। कारण यह है कि महिलाओ को जानकारी का आभाव है और पुरुष भी अधिकार से वंचित रखते हैं। महिलाओ को पुरुष की बात मान कर चलनी पड़ती है नहीं तो उसे पड़ताड़ना का शिकार होना पड़ता है। इसलिए उन्होंने सरकार से आग्रह किया है की प्रशिक्षण शिविर लगाकर महिलाओं को अधिकार की जानकारी दी जाए।

जिला देवघर , प्रखंड देवघर , झारखण्ड से बलबीर राय मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि सरकार ने संविधान में संशोधन कर पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50% का आरक्षण दिया है। यह बहुत ही ख़ुशी की बात है, हर क्षेत्र में महिलाओं का भागीदारी होना चाहिए। लेकिन आए दिन यह देखने को मिलता है कि महिलाओं में शिक्षा का अभाव के कारण कई क्षेत्र में महिलाओं का कार्य उनके पति,देवर या उनके ससुर के द्वारा किया जाता है।और बड़ी ही दुःख की बात है कि वे पंचायतों का काम अपने अनुसार करते हैं वे लोगों के हित में काम नहीं करते हैं,वे सिर्फ सरकारी फण्ड का फ़ायदा उठाने पर अपना ध्यान केंद्रित करते हैं। यही वजह है कि पंचायत का विकास होता नजर नहीं आ रहा है और महिला प्रतिनिधि पूरी तरह से अपेक्षित रह जाती हैं। इसका मुख्य वजह है महिलाओं में शिक्षा की कमी होना। अतः पंचायत का भार ऐसी महिलाओं को दिया जाए जो शिक्षित हो,जो जागरूक हो ताकि पंचायत का विकास हो सके।

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जिला चतरा सिमरिया से बंटी कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि सरकार द्वारा महिलाओं की स्थिति में सुधार लाने,उन्हें आगे बढ़ाने के लिए गांव में पंचायती राज्य का गठन किया गया। परन्तु आज यह देखा जाता है कि हर पंचायत में मुखिया अपने आपको सरकार समझते हैं। पंचायत में सरकार द्वारा इंद्रा आवास,कुआं आदि बनवाने के लिए जो भी पैसे आते हैं उसे मुखिया अपने पास रख लेते हैं।अतः सरकार से यह कहना चाहते हैं कि हर अलग-अलग पंचायत में दो-दो पुलिस की बहाली करें तथा केंद्र का निर्माण करें। जंहा ग्रामवासी अपनी परेशानी को उस केंद्र में जा कर रख सके और उनकी समस्या का समाधान भी हो सके। क्योकि जब तक गांव का विकास नहीं होगा तब तक शहर एवं देश का विकास नहीं हो सकता है। यदि सरकार ऐसा कदम उठाती हैं तो किसी भी पंचायत में मुखिया का दाव नहीं जम पाएगा।

झारखण्ड राज्य के पूर्वीसिंघभुम,पोटका प्रखंड के हाथीबिंदा पंचायत से चक्रधर भगत जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि पंचायती राज व्यवस्था होने के बाद अभीतक गाँव घर का हालत जितना सुधरना चाहिए था उतना सुधर नहीं सका है।खाद्य आपूर्ति योजना के तहत गरीबो को राशन कार्ड अभी तक मुहैया नहीं कराया गया है। इसी तरह से इंदिरा आवास योजना भी सही मायने में गरीब लोगो को नहीं मिला है,सिर्फ संपन्न परिवार वालों को ही मिला है। वही दूसरी ओर बिजली की स्थिति भी दयनीय है।इन सात सालों में जितने भी सरकारी योजनएं संचालित हो रही हैं, जिसका देख-रेख पंचायती राज व्यवस्था के तहत मुखिया द्वारा किया जाना चाहिए ,परन्तु इन सभी योजनाओं का देख-रेख बिचौलियाँ द्वारा किया जा रहा है और सिर्फ मुखिया का इस्तेमाल रबर स्टाम्प और हस्ताक्षर के लिए ही किया जाता है। इस तरह से गॉँव में मुखिया सिर्फ घर पर बैठे रहते है और बिचौलियाँ मुखियां बनकर गाँव में घूम-घूम कर काम करते है और योजनाओं का लाभ अपने अनुसार किसी को भी उपलब्ध कराते है।

जैसा की हम सभी जानते हैं कि देश में सत्ता विकेन्द्रीकरण के उद्देश्य से भारतीय संविधान में 73 वां संविधान संशोधन कर पंचायती राज व्यवस्था को लागू किया गया।तत्पश्चात झारखण्ड में 32 वर्षों के बाद ,वर्ष 2010 में पंचायत चुनाव हुआ।पंचायत चुनाव होने के बाद, पंचायत प्रतिनिधियों को, गांव का विकास हो सके इस दृष्टिकोण से कई अधिकार प्रदान किये गएँ हैं। और अब, राज्य में हुए पंचायत चुनाव के लगभग 7 साल पुरे होने को हैं। श्रोताओं हम आपसे जानना चाहते हैं कि राज्य में पंचायत चुनाव होने के पश्चात् इन 7 सालों में आपके गांव एवं पंचायत में क्या कोई परिवर्तन आया है ? अगर वाकई में आपके पंचायत में कोई बदलाव देखने को मिला है,तो वह किस तरह के बदलाव आएं हैं ? क्या सरकार के सत्ता विकेन्द्रीकरण का उद्देश्य पंचायतों में सफल हो रहा है ? साथ ही महिलाओं को आगे लाने के लिए पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दी गई है पर क्या महिलाएं आरक्षण का लाभ उठा पा रही हैं ?श्रोताओं आपके अनुसार पंचायत चुनाव के बाद खास कर महिलाओ में किस तरह के बदलाव आएं हैं ?और पंचायतों में हुए, पंचायत चुनाव का बेहतर परिणाम देखने को मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा क्या किया जाना चाहिए ?