जिला बोकारो,थाना पेटरवार,ग्राम चांपी,झारखण्ड से सुषमा कुमारी जी झारखण्ड मोबाईल वाणी के माध्यम से बेटा-बेटी एक समान पर आधारित एक गीत प्रस्तुत कर रहे है।

भारत समृद्ध संस्कृति का एक ऐसा देश है जहाँ एक से ज्यादा संस्कृति के लोग एक साथ रहते हैं। भारत विशाल देश होने के नाते विभिन्न बहुमूल्य लोक गीतों से भरा पड़ा है, और ये गीत इस विशाल क्षेत्र पर बसे विभिन्न संप्रदायों की संस्कृति को प्रदर्शित करते हैं । इसी तरह झारखण्ड की लोक संस्कृति में झूमर का हमेशा एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। परंतु अन्य लोक कलाओं की तरह झारखण्ड का झूमर गीत भी दिनों दिन विलुप्त होने के कगार पर है। दोस्तों क्या कारण है कि सरकार द्वारा झारखण्ड के भाषा,संस्कृति एवं सभ्यता के संरक्षण के लिए संस्थाएँ बनाने के बावजूद, झूमर जैसी गायन परम्परा विलुप्त होती जा रही है? क्या सरकार की योजनाओं में कोई कमी है? और क्या केवल यह जिम्मेवारी सरकार की ही है? झारखण्ड की झूमर गायन परम्परा के प्रति, इतना उदासीन क्यों है? युवा वर्ग को झूमर गायन परम्परा बचाने के लिए कैसी पहल और प्रयास करना चाहिए?

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अंगरेजों के जमाने में बना 124 वर्ष पुराना धनबाद-चंद्रपुरा रेल मार्ग 14 जून की मध्य रात्रि से बंद हो गया. अब इस मार्ग पर किसी भी तरह की ट्रेन का परिचालन नहीं होगा. 43 KM के इस रेललाइन के दोनों ओर घनी आबादी बसती है. रेलमार्ग के दोनों ओर कोयला खदान के अलावा बीसीसीएल की कॉलोनियां भी हैं। डीजीएमएस की एक रिपोर्ट के मुताबिक धनबाद और चंद्रपुरा के बीच बिछी रेलवे लाइन के नीचे कोयले में आग फैल चुकी है। जिसके चपेट में कई जान जा चुकी है और आगे जा भी सकती है। इस कारण सरकार ने ट्रेनों का परिचालन बंद करने का फैसला किया है. सरकार के यह फैसला इस रूट पर हर दिन यात्रा करनेवाले लाखो यात्री के जनजीवन को किस तरह से प्रभावित कर रहा है...? क्या सरकार द्वारा उठाया गया ये कदम सराहनीय है ? क्या इस कदम को उठाने से पहले सरकार को कोई दूसरा विकल्प भी तैयार रखना चाहिए था ?धनबाद-चंद्रपुरा रेललाइन के बंद होने से,यात्रिओं को किन-की और कैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ? क्या इससे आम लोगो के जीविकोपार्जन पर भी कोई प्रभाव पड़ेगा ?

जैसा की आप सभी जानते हैं, ग्रामीण क्षेत्र में लोगों के जीविकोपार्जन के लिए मनरेगा एक बेहद ही महत्वपूर्ण माध्यम है। इसी सिलसिले में बीते 9 जून को राजधानी रांची स्थित नामकुम में नरेगा वाच संस्था की ओर से आयोजित दो दिवसीय राज्य अधिवेशन का पहला दिन का कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस अवसर पर विख्यात अर्थशास्त्री और मनरेगा कार्यकर्त्ता माननीय श्री ज्याँ द्रेज़ ने कहा कि नरेगा मात्र रोजगार सृजन का ही नहीं बल्कि सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक बदलाव का भी अवसर देता है। नरेगा के द्वारा महिलाओं को मौक़ा मिला है कि वे घर से बाहर आये और पंचायत में ही उन्हें काम मिले उन्होंने कहा कि झारखंड को नरेगा से बहुत फायदा मिला सकता है। साथी ही नरेगा वाच के संस्थापक रहे बलराम जी ने कहा कि सामाजिक अंकेक्षण में ग्राम सभा को एक सतत प्रकिया के तहत शामिल करना एवं जिला सुनवाई के बाद हर हाल में 15 दिन के बाद कारवाई होनी चाहिए। श्रोताओं पर क्या आपके क्षेत्र में सामाजिक अंकेक्षण में ग्राम सभा को एक सतत प्रकिया के तहत शामिल किया जाता है ?और साथ ही जिला सुनवाई के 15 दिन बाद किसी तरह की कोई कारवाई की जाती है ? श्रोताओं , आपके अनुसार मनरेगा में आपके क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी कितनी प्रतिशत होती है ? खास कर गर्भवती एवं उन महिलाओं की जिनकी छोटे बच्चे होते है ? और कार्यस्थल पर जो सुविधाएँ उन महिलाओं को मिलनी चाहिए क्या वह सारी सुविधाएँ मिल रही है ?

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बोकारो जिले के जरीडीह प्रखंड से शिव नारायण महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि भारत एक कृषि प्रधान देश है,इसी का एक राज्य है झारखण्ड। झारखण्ड की जमीन काफी उपजाऊ है तथा यहाँ के किसान काफी मेहनती हैं।यहाँ के 80 प्रतिशत आदिवासी-मूलवासियों का जीवन जंगल व खेती पर निर्भर करता है। झारखण्ड से होकर कई बड़ी-बड़ी नदियां गुजरती है, लेकिन फिर भी यहाँ के किसानों को सिर्फ मानसून के भरोसे खेती करना पड़ता है। साथ ही सिंचाई की भी कोई सुविधा नहीं है।सरकार की ओर से सिंचाई की व्यवस्था जैसे खाद्य, बीज, कृषि उपकरण एवं अन्य सामग्रियों की सिर्फ घोषणाएं की जाती है। इसके साथ ही ये कहते है कि किसानो के विकास के बगैर झारखण्ड के विकास का सपना साकार नहीं हो सकता।