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झारखंड राज्य के गोड्डा जिला से निरंजन सिंह जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि मलेरिया उन्मूलन की बात सरकार क्या कर रही है,परन्तु अभी गोड्डा जिला में ब्रेन मलेरिया से कितने लोग मर गए है और कई लोग तो इससे प्रभावित हुए है। सरकार इस विषय में कुछ नहीं कर रही है,सिर्फ खानापूर्ति कर रही है।
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के दाड़ी प्रखंड से मोहम्मद असरार अंसारी जी मोबाइल वाणी के माधयम से कहते है कि जिस उद्देश्य से राज्य में त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था लागू की गई। और इसके पंचायत स्तरीय चुनाव किया गया है।वे कहते हैं कि जिस प्रकार राज्य में पंचायत चुनाव कराए गए ,ठीक उसी प्रकार से कानून भी लागु होना चाहिए, वरना बाकि प्रतिनिधियों का चुनाव करवाकर कोई फ़ायदा नहीं होगा। सरकार की नजर में मुखिया ही सब कुछ है,सरकार की यह निति सही नहीं है।त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव झारखंड राज्य में दूसरी बार हुई लेकिन अभी भी पंचायत प्रतिनिधियों में आपसी सामंजस्य का आभाव देखा जा रहा है और इस आपसी सामंजस्य के अभाव के कारण विकास पूरी तरह प्रभावित हो रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि विकास के नाम पर जितने भी फण्ड आते है ,उसे सिर्फ पंचायत के मुखिया को ही दिया जाता है, बाकि जिला परिषद् सदस्यों ,पंचायत समिति के सदस्यों एवं वार्ड सदस्यों को विकास के लिए फण्ड नहीं दिया जाता है। जिसके कारण मुखियां लोग मनमर्जी करते है और अपने आगे किसी को भी आने नहीं देते है। सरकार के इस रवैये से जहाँ एक ओर विकास के गति प्रभावित हो रही है,वहीं दूसरी ओर लोग भी पचायतों में आने वाली योजनाओं से वंचित रह जा रहे हैं। आखिर निर्वाचित तो सभी है,फिर सरकार अलग-अलग निति क्यों बना रही है। इसलिए इनका अनुरोध है कि पंचायत के सभी प्रतिनिधियों को पूर्ण अधिकार दें,ताकि प्रतिनिधियों में सामंजस्य का अभाव ख़त्म हो सके और पंचायत का विकास हो सके।
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झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिले के इचाक प्रखंड से टेकनारायण प्रसाद कुशवाहा मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि मलेरिया,चिकनगुनिया और डेंगू जैसी बीमारी किसी को हो जाती है तो उस समाज के माननिये लोगों को अभियान चला कर मलेरिया से बचाव के प्रति जागरूकता फैलानी चाहिए।आस पास सफाई रखनी चाहिए साथ ही गड्ढों में दवा का छिड़काव करना चाहिए।
Aug. 22, 2017, 3:49 p.m. | Location: 10: JH, Hazaribagh, Ichak | Tags: health int-GAMC sanitation malaria disease | Category: Health
गुरु-शिष्य परम्परा भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग रहा है। हमारे यहाँ तो गुरू का स्थान भगवान से भी ऊपर माना गया है।पहले गुरु और शिष्य के बीच में केवल शाब्दिक ज्ञान का ही आदान प्रदान नहीं होता था, बल्कि गुरु अपने शिष्य के संरक्षक के रूप में कार्य करता था और उनका उद्देश्य होता था शिष्य का समग्र विकास, शिष्य को भी यह विश्वास रहता था कि गुरु उसका कभी अहित सोच भी नहीं सकते।परन्तु आज के नए युग में ज्ञान से अधिक धन को महत्व दिया जाने लगा है। इसलिए अध्यापन भी आज एक व्यवसाय के रूप में नज़र आता है और आज छात्रों के हर प्रश्न का उत्तर इंटरनेट है।वर्तमान परिप्रेक्ष्य में देखें तो गुरू-शिष्य की परंपरा कहीं न कहीं कलंकित हो रही है।क्या समय के साथ गुरु -शिष्य की परिभाषा बदल गई है?क्या संस्कारों की बजाय धन महत्वपूर्ण हो गया है ? हमारी वर्तमान शिक्षा -पद्धति इस रिश्ते को कितना और कहाँ तक प्रभावित कर रही है ? क्या शिक्षकों को भी वह सम्मान मिल रहा है,जिसके वे हकदार हैं?क्या गुरु-शिष्य सम्बन्ध के ऊपर हमारे समाज को भी सोचने की आवश्यकता है ?
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड से सुषमा कुमारी जी मोबाइल वाणी के माध्यम से "जो जागत है सो पावत है,जो सोवत है वो खोवत है " पर एक मधुर गीत प्रस्तुत कर रहीं हैं।
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Aug. 2, 2017, 4:47 p.m. | Location: 10: JH, East Singhbhum, Potka | Tags: int-CP GST discussion governance int-DT inflation poverty | Category: governance