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झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि दामोदर नदी छोटानागपुर की पहाड़ियों से 610 मीटर की ऊँचाई से निकलकर लगभग 290 किलोमीटर झारखण्ड में प्रवाहित होने के बाद पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर 240 किलोमीटर प्रवाहित होकर हुगली नदी में मिल जाती है।इस नदी कि वर्तमान स्थिति ऐसी है,कि दामोदर नदी के प्रदूषण का खामियाजा पूरा झारखण्ड भुगत रहा है।दामोदर नदी को प्रदूषित करने में कोल इण्डिया की सहायक कम्पनियां , लोगों के द्वारा फेका जाने वालें कचरा ,सरकार की लापरवाही और हजारीबाग, बोकारो एवं धनबाद जिलों में इस नदी के दोनों किनारों पर बसे कोलवाशी हैं।जो दामोदर नदी को निरन्तर प्रदूषित करते रहते हैं।दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार के द्वारा कोई भी योजना काम नहीं कर रही है।मंत्रीगण आ कर केवल दामोदर बचाव का नारा देतें हैं।प्रदूषण के कारण दामोदर नदी विषाक्त होती जा रही है।विषाक्त जल पीने और कृषि कार्य योग्य अब नहीं रहा।इंसानी जिंदगी और पशुधनों के लिए यह पूरी तरह से हानिकारक बन गया है।वायु प्रदूषण एवं पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा।जिस कारण से आसपास के गांवों में घातक बीमारियां फैल रही है।जिसमें प्रतिवर्ष सैकड़ों लोगों की जाने जा रही है।

झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के पेटरवार प्रखंड से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं, कि माननीय मंत्री श्री रघुवर दास जी के द्वारा चलाई गई दाल भात योजना गरीबों तथा मजदूरों को भुखमरी से बचाने के लिए था। ताकि दिन भर की मजदूरी कर थके हारे मजदुर एवं रिक्सा चालक को पेट भरने के लिए खाना मिल सके। लेकिन आज यह योजना कारगर साबित होती नजर नहीं आ रही है। जहाँ-जहाँ यह योजना चली वहां लूट खसौट का काम शुरू गया और कहीं-कहीं गड़बड़ी देखने को मिल रहा है। क्योंकि दाल भात योजना में खिलाए गए लोगों की सँख्या ज्यादा कर लोग उनका फायदा उठाया करते हैं। इससे मजदूर,रिक्सा चालक तथा गरीब जनता इस योजना में बहुत ही कम भाग ले पाते हैं। कई गरीब जनता को यह मालूम भी नहीं है, कि उनके लिए सरकार भूखे पेट ना सोने के लिए कोई योजना भी चला रही है।

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से सुमंत कुमार जी ने गरूकुल शिक्षा पर आधरित कविता प्रस्तुत किए हैं।उस कविता के माध्यम से उन्होंने बताया कि गरूकुल शिक्षा प्रणली गुणवत्तपूर्ण शिक्षा प्रणली थी,और भारत कि वैदिक शिक्षा प्रणाली थी।गरूकुल शिक्षा निशुल्क शिक्षा प्रणाली थी।जहाँ विद्यार्थी आश्रम में गुरु के साथ रहकर विद्याध्ययन करते थे, जहाँ विशेषज्ञों द्वारा शिक्षा दी जाती थी,जहाँ बड़े-बड़े सम्मेलन होते थे और सभाओं तथा प्रवचन होते थे।गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में अध्यतम शिक्षा का ज्ञान करवया जाता था। इस शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थीयों को अनुशासन और किसी से भेदभव नहीं रखने का पाठ पढ़ाया जाता था। अब भारत की शिक्षा व्यवस्था बदल गई है। भारत के शिक्षा पश्चिमी शिक्षा हो गई है। पश्चिमी शिक्षा से भारत के लिए हनिकारक हो गई है। पश्चिमी शिक्षा से लोग केवल अपने बारे सोचने लगे हैं।

झारखंड राज्य के धनबाद ज़िला के बाघमारा प्रखंड से बीरबल महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताते हैं, कि नोटबंदी के समय कलाधन निकालने के लिए, लिया गया फैसला कुछ हद तक तो ठीक थी। परन्तु आज नोटबंदी के लगभग बीस बाईस माह बीत जाने के बाद भी लोगों को नकदी की समस्या हो रही है। बैंक एवं एटीएम में पैसे नहीं रहने के कारण लोग हताश महसूस कर रहे हैं। कहीं लोग अपनी बेटी की शादी तो, कहीं लोग किसी गंभीर बीमारी,कई लोग अपने बच्चे को अच्छी शिक्षा देने के लिए अच्छे विद्यालय में दाख़िला के लिए या अन्य कार्यों के लिए रूपए की जरुरत हो रही है। परन्तु बैंक के द्वारा कभी-कभी नकदी की समस्या सरकार की अर्थ व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगा दे रही है। आज जनता नकदी के बीना काफी परेशान हो कर सरकार को दोष दे रहे हैं। जबकि इसका मुख्य कारण जनप्रतिनिधि,सांसद,विधायक तथा मंत्री हैं। इनके पास सबसे अधिक अनगिनत रूपए होते हैं।ये लोग चुनाव से पहले अपने पास पैसों को छुपा कर रखते हैं और चुनाव के समय भोले-भाले तथा कुछ ना समझ लोगों को पैसे देकर चुनाव जीत जाते हैं। अतः भविष्य में नकदी की समस्या ना हो इसके लिए केंद्र सरकार प्रत्येक जनप्रतिनिधि,सांसद,विधायक एवं मंत्री के कार्यों का लेखा जोखा समय-समय पर जाँच करते रहें ताकि भविष्य में नकदी की समस्या उत्पन्न ना हो।

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झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला से सुमंत कुमार जी ने झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि आज हमारी आधुनिक शिक्षा-व्यवस्था उचित नहीं, क्योंकि छोटे -छोटे बच्चों को उनके वजन के बराबर पुस्तकों का सिलेबस देकर उन्हें मानसिक रोगी बनाया जा रहा है। आज की शिक्षा एक शहरी, प्रतिस्पर्धी उपभोक्ता समाज के मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए उन्मुख है. हम वास्तव में एक बेहतर भविष्य को लेकर चिंतित है।छात्र अपना जीवन का 10-20 वर्ष पढ़ाई में गुजार देतें है।परन्तु उन्हें केवल एक डिग्री के अलावा कुछ नहीं मिल पता है। बाद में छात्र सरकारी कर्मचारी बन जातें हैं।गुरुकुल को केवल इस लिए बंद कर दिया गया था क्योंकि विद्द्या को जानने वाले स्वाभिमान होते थे। जो की नौकर बन कर गुलामी करना नहीं पसंद करते थे।अतः शिक्षा प्रणाली का उद्देश्य को फिर से परिभाषित किया जाना चाहिए। तभी वर्तमान शिक्षा का भविष्य बदल सकेगा है।

झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला के प्रखंड बाघमारा से बीरबल महतो जी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि झारखण्ड राज्य कई प्रकार के खनिज सम्पदा से परिपूर्ण है और यह प्राकृतिक प्रदेश के नाम से जाना जाता है। यहाँ पर अनेक प्रकार के खेती भी की जाती है और यहाँ पर कृषि कार्य के लिए जमीन भी उपलब्ध है। यहाँ की 70 फीसदी से अधिक आबादी ग्रामीण क्षेत्रों मेंं निवास करती है व कृषि ही उनकी आजीविका का मुख्य साधन है। इसलिए कृषि का विकास व किसानों की समृद्धि राज्य के विकास की दृष्टि से अतिआवश्यक है परन्तु यहां के लोगों को लाह की खेती की जानकरी प्रप्त नहीं है।राज्य में लाख कीटों के परिपालक कुसुम, बेर व पलाश बहुतायत में उपलब्ध हैं, लेकिन इनका उपयोग लाह की खेती के लिए पूर्ण रूप से नहीं हो रहा है। किसान इन अनुकूल परिस्थितियों का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं ।वे कहते हैं कि मौसम में बदलाव के कारण सामान्य कृषि पैदावार पर जो विपरीत प्रभाव पड़ता है , उसकी भरपाई के लिए लाह की खेती बेहतर विकल्प है। अगर सरकार लाह की खेती के लिए गंभीर हो जाती है और किसानों को इस की जानकारी मुहैया करती है, तो किसानों को रोजगर के नए साधन उपलब्ध होंगे और वे पालयन भी नही करेंगे।

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