झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताया की बढ़ती गर्मी के कारण अप्रिय घटनाएँ घटती हुई देखि जाती है।इसका मुख्य कारण बढ़ती गर्मी है।जिससे की जंगलो में अगलगी की घटना घटती है।बढ़ती गर्मी के कारण नदी नाले सूख जाते है।जिस कारण पानी रिसाव के जगह आग का रिसाव होने लगता है।जिससे लोगों में डर होने लगता है।गर्मी के दिनों में पानी का स्तर भी कफी निचे चला जाता है ,और पानी गंदा आने लगता है जिससे लोगो के मन में गंभीर बिमारियों को लेकर डर होने लगता है।जिस करण महिलाओं को दूर -दूर से पानी लेन जाना पड़ता है।गर्मी के मौसम में खेतों में पानी कि सिंचाई नहीं होती है।इसका मुख्य कारण कुआँ तालाबों का सूख जाना है।जिससे किसानों को खेती पर असर पड़ता है।गर्मी के दिनों में आगजनी की घटना से बचने के लिए हमे आग और माचिस कि तीली का प्रयोगखेत खलिहान ,जंगलो वन संपदा आदि जगहों पर नहीं करना चाहिए। बच्चों के शरारत से भी आगजनी की घटना घटती है।इन पर भी अभिभावकों को ध्यान देने की जरुरत है,क्योंकि बच्चों न समझी के कारण जगंलो ,घास फूस से बने घर में अगलगी की घटना घट जाती है ,और लोगों को गंभीर समस्याओं से गुजरना पड़ता है। इस विषय पर सरकार को विशेस रूप से ध्यान देने की जरूरत है ,और वन विभाग को जंगल की नियमित जांच करनी चाहिए।

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झारखण्ड राज्य के बोकारो ज़िला से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से सुमंत कुमार जी ने भारत के नागरिक पर आधारित कविता की प्रस्तुति दी। इस कविता के माध्यम से बताया की पेड़ मैं लगाऊँगा नहीं,मौसम मुझको साफ़ चाहिये।शिकायत मैं करूँगा नहीं,कार्रवाई तुरंत चाहिये।बिना लिए कुछ काम न करूँ,पर भ्रष्टाचार का अंत चाहिये।घर-बाहर कूड़ा फेकूं,शहर मुझे साफ चाहिये।काम करूँ न धेले भर का,वेतन लल्लनटाॅप चाहिये।एक नेता कुछ बोल गया सो मुफ्त में पंद्रह लाख चाहिये।लाचारों वाले लाभ उठायें,फिर भी ऊँची साख चाहिये।लोन मिले बिल्कुल सस्ता,बचत पर ब्याज बढ़ा चाहिये।धर्म के नाम रेवडियां खाएँ,पर देश धर्मनिरपेक्ष चाहिये।जाती के नाम पर वोट दे,अपराध मुक्त राज्य चाहिए।टैक्स न मैं दूं धेलेभर का,विकास मे पूरी रफ्तार चाहिए ।मैं भारत का नागरिक हूँ,मुझे लड्डू दोनों हाथ चाहिए। ,

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झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि दामोदर नदी छोटानागपुर की पहाड़ियों से 610 मीटर की ऊँचाई से निकलकर लगभग 290 किलोमीटर झारखण्ड में प्रवाहित होने के बाद पश्चिम बंगाल में प्रवेश कर 240 किलोमीटर प्रवाहित होकर हुगली नदी में मिल जाती है।इस नदी कि वर्तमान स्थिति ऐसी है,कि दामोदर नदी के प्रदूषण का खामियाजा पूरा झारखण्ड भुगत रहा है।दामोदर नदी को प्रदूषित करने में कोल इण्डिया की सहायक कम्पनियां , लोगों के द्वारा फेका जाने वालें कचरा ,सरकार की लापरवाही और हजारीबाग, बोकारो एवं धनबाद जिलों में इस नदी के दोनों किनारों पर बसे कोलवाशी हैं।जो दामोदर नदी को निरन्तर प्रदूषित करते रहते हैं।दामोदर नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार के द्वारा कोई भी योजना काम नहीं कर रही है।मंत्रीगण आ कर केवल दामोदर बचाव का नारा देतें हैं।प्रदूषण के कारण दामोदर नदी विषाक्त होती जा रही है।विषाक्त जल पीने और कृषि कार्य योग्य अब नहीं रहा।इंसानी जिंदगी और पशुधनों के लिए यह पूरी तरह से हानिकारक बन गया है।वायु प्रदूषण एवं पर्यावरण भी प्रदूषित हो रहा।जिस कारण से आसपास के गांवों में घातक बीमारियां फैल रही है।जिसमें प्रतिवर्ष सैकड़ों लोगों की जाने जा रही है।

झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के पेटरवार प्रखंड से सुषमा कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती हैं, कि माननीय मंत्री श्री रघुवर दास जी के द्वारा चलाई गई दाल भात योजना गरीबों तथा मजदूरों को भुखमरी से बचाने के लिए था। ताकि दिन भर की मजदूरी कर थके हारे मजदुर एवं रिक्सा चालक को पेट भरने के लिए खाना मिल सके। लेकिन आज यह योजना कारगर साबित होती नजर नहीं आ रही है। जहाँ-जहाँ यह योजना चली वहां लूट खसौट का काम शुरू गया और कहीं-कहीं गड़बड़ी देखने को मिल रहा है। क्योंकि दाल भात योजना में खिलाए गए लोगों की सँख्या ज्यादा कर लोग उनका फायदा उठाया करते हैं। इससे मजदूर,रिक्सा चालक तथा गरीब जनता इस योजना में बहुत ही कम भाग ले पाते हैं। कई गरीब जनता को यह मालूम भी नहीं है, कि उनके लिए सरकार भूखे पेट ना सोने के लिए कोई योजना भी चला रही है।

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से सुमंत कुमार जी ने गरूकुल शिक्षा पर आधरित कविता प्रस्तुत किए हैं।उस कविता के माध्यम से उन्होंने बताया कि गरूकुल शिक्षा प्रणली गुणवत्तपूर्ण शिक्षा प्रणली थी,और भारत कि वैदिक शिक्षा प्रणाली थी।गरूकुल शिक्षा निशुल्क शिक्षा प्रणाली थी।जहाँ विद्यार्थी आश्रम में गुरु के साथ रहकर विद्याध्ययन करते थे, जहाँ विशेषज्ञों द्वारा शिक्षा दी जाती थी,जहाँ बड़े-बड़े सम्मेलन होते थे और सभाओं तथा प्रवचन होते थे।गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में अध्यतम शिक्षा का ज्ञान करवया जाता था। इस शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थीयों को अनुशासन और किसी से भेदभव नहीं रखने का पाठ पढ़ाया जाता था। अब भारत की शिक्षा व्यवस्था बदल गई है। भारत के शिक्षा पश्चिमी शिक्षा हो गई है। पश्चिमी शिक्षा से भारत के लिए हनिकारक हो गई है। पश्चिमी शिक्षा से लोग केवल अपने बारे सोचने लगे हैं।