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झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम के अनुसार सभी वर्ग के बच्चों को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा देने का सरकार के द्वारा प्रावधान है।लेकिन यह कानून केवल कागजों पर ही दिखाई पड़ता है।इसका नुकशान बच्चों को ही उठाना पड़ता है।बच्चे अच्छे शिक्षक के अभाव में गुणवत्तपूर्ण शिक्षा नहीं लें पाते हैं। इसके लिए सरकार जिम्मेदार है।क्योंकि सरकार बच्चों की शिक्षा के लिए करोड़ो रूपये खर्च करती है ,शिक्षकों को वेतन देने के लिए तथा निःशुल्क किताब और अन्य सामग्री देने के लिए ,परन्तु भ्रष्टाचार के कारण समय पर ना ही बच्चों को किताब मिल पाता है और ना ही शिक्षक बच्चों को गुणवत्तपूर्ण रूप से पढ़ाने का कार्य करतें है, सब जगह केवल खानपूर्ति किया जाता है। बीच -बीच में शिक्षक वेतन बढ़ोतरी के माँग करतें है,शिक्षकों के वेतन तो बढ़ा दिया जाता है ,परन्तु उनके पढ़ाने के तरीकों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं आता है।इस कारण अभिभावक निजी स्कूलों में अपने बच्चों का नाम लिखवातें है , क्योंकि निजी स्कूलों में सरकारी स्कूलों के तुलना में गुणवत्तपूर्ण शिक्षा दी जाती है। इस लिए ये कहा जाना उचित है कि शिक्षा केवल अब व्यवसाय का माध्यम बन गया है।अतः सरकार और शिक्षा विभाग को इस विषय पर ध्यान देते हुए शिक्षा में सुधार लाने कि आवश्यकता है।

झारखण्ड राज्य के तेनुघाट प्रखंड से सुषमा कुमारी झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताती है की स्वतंत्र भारत से पूर्व और स्वतंत्र भारत के पश्चात एक लम्बी अवधि व्यतीत होने के बाद भी भारतीय किसानों की दशा में सिर्फ 19-20 का ही अंतर दिखाई देता है। बढ़ती आबादी, औद्योगीकरण एवं नगरीकरण के कारण कृषि योग्य क्षेत्रफल में निरंतर गिरावट आई है।जिस देश में 1.25 अरब के लगभग आबादी निवास करती है और देश की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर आधारित है ,वहां पर किसान के पास खेती के लिए सिंचाई की अच्छी व्यवस्था तथा कृषि यन्त्र मौजूद नहीं होती है,जिससे किसान बेहतर तरीके से खेती नहीं कर पातें हैं।इस कारण किसान कम समय में अधिक खेती की लालश लेकर कीटनाशक दवाई अथवा रासायनिक खाद का प्रयोग करतें हैं।लेकिन किसान भाई को लाभ कम नुकशान अधिक उठाना पड़ता है जिससे उपजाऊ युक्त भूमि बंजर पड़ जाता है और फसल की उपज भी कम होती है। साथ ही रासायनिक खाद से उपज किया हुआ खाने योग्य पदार्थ से कई गंभीर बीमारियाँ और उनके स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। अतः सरकार को किसानों कि ओर ध्यान देते हुए उन्हें कम दर पर बीज, गुणवत्तपूर्ण खाद और सिंचाई की अच्छी व्यावस्थ देकर उन्हें सहायत प्रदन करनी चाहिए ताकि उनकी खेती की पैदावार छमता को बढ़ाया जा सके।

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झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुमंत कुमार ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत उन विकासशील देशों में से है, जिनकी जनसंख्या का एक बड़ा भाग कृषि पर निर्भर है। इसी कारण दुनिया के नक्शे पर भारत को कृषि प्रधान देश माना जाता है।भारत के कई राज्यों में धान की खेती की जाती है और उन्ही में से एक है झारखण्ड राज्य,जहाँ पर धान की खेती अधिकतम मात्रा में की जाती है।धान की खेती इस राज्य में कई पीढ़ियों से की जा रही है। परन्तु दिनों दिन धान की खेती में गिरावट आ रही है।इसका मुख्य कारण है खाद, बीज और कीटनाशक पदार्थ। दुकानदार किसान भाइयों को लुभावने वायदे कर गुणवत्ता विहीन खाद, बीज और कीटनाशक दवा ,पावडर आदि थमा देते हैं। जिससे कई बार इन असरहीन कीटनाशकों की छिड़काव कराने की वजह से किसानों की फसलें जलकर नष्ट हो जाती हैं। इससे अन्नदाताओं को बेहद नुकसान उठाना पड़ता है।धान का पैदावार प्रभावित होता है।

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से सुषमा कुमारी जी ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि धान की खेती के लिए पानी की सर्वाधिक आवश्यकता है। धान की अच्छी उपज लेने हेतु खेत में हमेशा पानी भरा रहना आवश्यक नहीं है।गंदगी ,बांध या प्रदूषित जल से सिंचाई नहीं करना चाहिए।अन्यथा फसल पर गहरा प्रभवा पड़ता है।धान कि खेती पर समय समय पर अलग -अलग बीज को बोया जाना चाहिए । ताकि खेत की मिट्टी का उर्वरक हमेशा अधिक बना रहे और धान का फसल अच्छा हो। मिट्टी के अनुसार कम रासायनिक खाद का उपयोग किया जाना चाहिए। ताकि इस रासायनिक पदर्थ से मिट्टी की उर्वरक क्षमता को ना खींच सके और फसल का नुकसान न हो। खर-पतवार तथा सुखी लकड़ियों को जलाकर मिट्टी में खाद के रूप में उपयोग किया जाना चाहिए । समय के अनुसार धान का बीज बोया जाना चाहिए। इस प्रकार के विधियों का प्रयोग करने से, धान के फसल की पैदावार क्षमता अधिक होती है। फसल अच्छा होता है।

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झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला से अमर आनंद जी ने झारखण्ड वाणी के माध्यम से बच्चों पर आधरित कविता की प्रस्तुति दी और इस कविता के माध्यम से वें बताना चाहतें है ,कि आज की शिक्षा ऐसी हो गई है की छोटे -छोटे बच्चों के उनके वजन से भी अधिक किताबों से भरा बस्ता लेकर विद्यालय जाना पड़ा रहा है।इस का कारण स्कूल प्रशासन है। आपने लाभ के कारण छोटे -छोटे बच्चों को किताबों से भरा बस्ता दे रही है। इनके जिम्मेदार शिक्षक भी है। वें कहते है की छोटे -छोटे बच्चों का दर्द समझा जाए और इन बस्तों को कम किया जाए।

झारखण्ड राज्य के बोकारो जिलें से नरेश कुमार ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि आगजनी की घटना लोगों के द्वारा लपरवाही करने पर भी होती है। देखा जाता है कि अधिकांश आगजनी की घटनाएं शार्ट सर्किट के कारण होती हैं। ऐसे में आग की ज्यादातर दुर्घटनाएं असावधानी के कारण होती हैं। खलिहान में फसल का ढेर बिजली की लाइन के समीप व उसके नीचे होना खतरनाक है।इसके अतिरिक्त फसलों में आग लगने की बहुत सी दुर्घटनाएं बीड़ी की चिंगारी गिरने या बीड़ी या सिगरेट सुलगाने के बाद माचिस की जलती तीली असावधानी पूर्वक फेंकने से भी होती है।आगजनी की घटना तीन कारणों से होती है।ज्वलनशील पदर्थ, गर्म हवा और ईंधन जब तक इन तीनो चीजों का समवेश नहीं होता है, तब तक आगजनी की घटना नहीं होती है। अतः लोगो को इससे सावधनी बरतनी चाहिए। आगजनी की घटना होने पर अग्निशमन अधिकारियों को जानकरी देनी चाहिए और लोगो को सजग करना चाहिए। सरकार को भी आगजनी की घटना में लोगों के हुए नुकसान को राहत कोष से सुविधा मुहैया करना चाहिए।