झारखण्ड राज्य बोकारो जिला के फुसरो से मुकेश पंडित मोबाइल वाणी के माध्यम से होली पर्व में पिये जाने वाले एक विशेष ठण्डी छाछ बनाने के बारे में जानकारी दे रहे हैं।
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झारखण्ड राज्य बोकारो जिला के फुसरो से मुकेश पंडित मोबाइल वाणी के माध्यम से होली पर आधारित एक गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। इस गीत के माध्यम से कहते हैं कि होली खुशियों का त्यौहार है उमंगों का बहार है। सुखी होली मनाएँगे पानी को बचाएंगे
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झारखण्ड राज्य के जिला बोकारो प्रखंड तेनुघाट से सुषमा कुमारी जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बतातीं है। हर साल की भांति इस साल भी केंद्र सरकार के द्वारा देश का अंतरिम बजट पेश किया गया है। इस बजट में आम और खास सभी लोगों का ख्याल रखा गया है। सरकार ने 'सबका साथ, सबका विकास' एजेंडा के तहत बजट में कई अन्य अहम घोषणाएं की हैं।उन्होंने उम्मीदों के अनुरूप मध्यम वर्ग और किसानों को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। पूर्ण बजट सरकार के सालाना खर्च का ब्यौरा होता है। इसके जरिए सरकार द्वारा साल भर की प्राप्तियों (इनकम) और खर्च का लेखा-जोखा पेश किया जाता है। पूर्ण बजट में आंकड़ों के जरिए सरकार संसद को बताती है कि वो आने वाले वित्त वर्ष में किस चीज पर कितना पैसा खर्च करने वाली है।दोस्तों आप हमें बताए की 2019 का अंतरिम बजट आम जनता के लिए कितना लाभकारी साबित हो रहा है ...? वही अगर बात करे बजट का तो इससे आम किसानों,मजदूरों और एक आम घरेलू महिला के दैनिक जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा ? साथ ही आप ये भी बताएं कि इस बदलाव से आपके और आपके परिवार की रोज़मर्रा की ज़िन्दगी पर क्या प्रभाव पड़ा है? आपको क्या लगता है सरकार द्वारा बजट के अंर्तगत जो सपने देखे गए है, क्या वह सच हो पाएंगे ? नोटबंदी और जीएसटी के बाद इंकम टैक्स स्लैब में इस बढ़ोतरी को सरकार का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है लेकिन क्या इससे मध्यम वर्ग को भी बड़ी राहत दी जा रही है ?
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झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से जे.एम रंगीला मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि देश के प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू जी के द्वारा मिश्रित अर्थ व्यवस्था की शुरुआत की गई थी। जिसमें सार्वजनिक पक्षपानो तथा निजी औधोगिक ग्रामों का सम्मानरूप से विकास हुआ था।वहीं पी. वी. नरसिम्हा राव की सरकार ने निजीकरण एवं बाजारीकरण की नीति लाइ जो आज भी भारत में निजीकरण की नीति हावी है।इस निजीकरण के प्रभाव से भारतीय रेलवे भी अछूता नहीं रहा बावजूद इसके भारतीय रेलवे में हॉकर्स, वसूली संस्कृति में अपना जीवन यापन करने को विवश हैं। गौर करने वाली बात है कि पूर्व मध्य रेलवे के गोमो,बड़काकाना रेखखंड में चलने वाली सवारी गाड़ियों में पांच सौ से सात सौ हॉकर्स अपने समानो की बिक्री कर अपना तथा अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं। जिसमें गोमो से चंद्रपुरा का किराया 80 रुपया और चंद्रपुरा से गोमिया 40 रुपया तथा गोमिया से बड़काकाना 80 रुपया हिसाब से आरपीआरफ एवं जीआरपीएफ द्वारा हॉकरों से वसूली की जाती है। इससे यह ज्ञात होता है कि औसतन 200 रूपए प्रति हॉकर्स प्रति दिन के दर से सलाना लाखों रूपए की वसूली की जाती है। जो रेलवे राजस्व को चूना लगाने जैसा काम है।तो ऐसी स्थिति में क्यों नहीं राशि निर्धारित कर हॉकर्स को लाइसेंस निर्गत किया जाए, ताकि हॉकर्स स्वच्छ वातावरण में अपना व्यवसाय कर सके और साथ ही रेलवे के राजस्व में भी इजाफा हो सके।
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