इस कार्यक्रम में हम जानेंगे कि कैसे गाँव के लोग मिलकर अपने समुदाय को मजबूत बना रहे हैं। जल संरक्षण, ऊर्जा बचत और आपदा प्रबंधन जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर सामूहिक प्रयासों की ताकत को समझेंगे। साथ ही, यह भी जानेंगे कि कैसे छोटे-छोटे कदम मिलकर बड़े बदलाव ला सकते हैं और गाँव के विकास में योगदान दे सकते हैं। क्या आपके समुदाय में ऐसे समूह हैं जो जल संरक्षण, आपदा प्रबन्धन या संसाधन प्रबन्धन पर काम करते हैं? अगर हाँ, तो हमें बताएं कि वे कैसे काम करते हैं? और अगर नहीं, तो इस कार्यक्रम को सुनने के बाद क्या आप अपने समुदाय में ऐसे सामूहिक प्रयास शुरू करने के लिए तैयार हैं?

bagodar parkhand me aabuwa aawash ke chayan me hui gadbadi ko lekar bagodar bhacao sangharsh samiti ne parkhand karyalay me dharna diya

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-अनुबंध वार्ता विफल होने के बाद 2,400 से अधिक खनिकों ने हड़ताल की -वॉरियर मेट में कोयला कर्मचारियों की हड़ताल को 2 महीने पूरे हुए

-दो साल के संघर्ष के बाद पेरिस के आईबिस होटल के चैंबरमेड्स ने वेतन वृद्धि की लड़ाई जीती -चरमराई अर्थव्यवस्था और बेरोज़गारी को लेकर ओमान में जारी विरोध प्रदर्शन का चौथा दिन

मोबाइल वाणी के के माध्यम से भानू शक्ति तिवारी बताते हैं कि आज राष्ट्रव्यापी हड़ताल के मद्देनजर मजदूर संगठनों ने बालूमाथ के कोल ब्लॉक में जोरदार प्रदर्शन रहे हड़ताल किया जोरदार प्रदर्शन रहे हड़ताल पर

मोबाइल वाणी पर झारखंड से सर्वेश तिवारी बताते हैं कि संक्रमण काल में कोल इंडिया लिमिटेड की अनुषंगी कंपनी भारत कोकिंग कोल लिमिटेड ने स्वरोजगार समिति के तहत महिलाओं को मास्क, चादर,तकिया के कवर तौलिया, डस्टर इत्यादि निर्माण का आदेश दिया था। जिसके लिए एक सरकारी समिति का गठन किया गया था। 40 महिलाएं इस स्वावलंबी स्वरोजगार सोसाइटी से जुड़ी। उन्होंने कार्य पूरा किया। वस्तुओं की आपूर्ति भी की गई। किंतु कंपनी द्वारा भुगतान नहीं किए जाने से उनके समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। महिलाओं ने अपनी मांग को ले आवाज उठाई, जिसके बाद कंपनी को उनके बकाया का भुगतान करना पड़ा।

मज़दूरों की दुश्मन तो यह पूरी व्यवस्था है न कि कोई क्षेत्र, न कोई भाषा. मज़दूरों को खटाने के लिए कम्पनियों ने आज मज़दूर को मज़दूर का दुश्मन बना दिया और मज़दूर सस्ते होते ही कंपनियों में बने सामान की कीमत बढ़ जाती हैं और हम मज़दूर बट बट के इनकी सामानों की क़ीमत को बढ़ाते रहते है - क्योंकि इनके माल का कोई क्षेत्र नहीं, कोई भाषा नहीं, कोई राष्ट्र नहीं,कोई मुल्क़ नहीं कुछ है तो सिर्फ़ पैसा क्योंकि माल तैयार करने के लिये मज़दूर मिलना चाहिए। पूरी बातों को जानने के लिए इस ऑडियो पर क्लिक करे.