झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला प्रखंड मुख्यालय पंचायत कटकमसांडी से रविंद्र कुमार झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि प्रखंड मुख्यालय पंचायत कटकमसांडी में मजदुर राधा देवी को लॉक डाउन के कारण काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था ,उनके घर राशन का एक दाना भी नहीं था ।मोबाइल वाणी की ओर से चलाये जा रहे कार्यक्रम के तहत जानकारी मिलने पर मोबाइल वाणी के संवाददाता रविंद्र कुमार और कटकमसांडी पंचायत के स्थानीय समाजसेवी सौरव कुमार एवं वीरेंद्र के द्वारा राधा देवी को चावल ,आटा ,आलू,नमक आदि से मदद की गयी। इस कार्य हेतु राधा देवी मोबाइल वाणी की सराहनी की और आभार प्रकट करते हुए कहा कि जिस तरह मोबाइल वाणी इस विपदा की घड़ी में कार्य कर रहा है वह कबीले तारीफ है।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला के कटकमसांडी प्रखंड से रविंद्र कुमार ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि कटकमसांडी प्रखंड के शाहपुर पंचायत निवासी किसान अजीत कुमार अपने पशुओं को चारा देने में असमर्थ हो गए थे। लॉक डाउन होने की वज़ह से पशुओं के लिए चारा की व्यवस्था नहीं हो पा रही थी। इस ख़बर को 31 मार्च 2020 को झारखण्ड मोबाइल पर प्रसारित कर पशुपालन विभाग के अधिकारी को फॉरवर्ड किया गया। प्रखंड पशुपालन अधिकारी ने तुरंत इस ख़बर को संज्ञान में लेते हुए कुट्टी ,चारा भूसी विक्रेता का दुकान खुलवा कर अजित कुमार को कुट्टी चारा उपलब्ध करवाया। पशुओं के लिए चारा मिलने से अजीत कुमार काफ़ी खुश हुए और मोबाइल वाणी के प्रति अपना आभार प्रकट किया ।

झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग ज़िला के कटकमसांडी प्रखंड से रविंद्र कुमार ने झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि लॉक डाउन के कारण मंदिर के पुजारी के पास राशन की समस्या हो रही थी। मंदिर के पुजारी के एक परिचित ने संपर्क कर मदद की गुहार लगाई थी ।इसकी ख़बर को मोबाइल वाणी पर चलाई गई थी। इसके बाद तत्काल ही मंदिर के पुजारी को मदद करने के लिए हजारीबाग के अनुसूचित जाति जनजाति अधिकार मोर्चा संयोजक प्रकाश कुमार पासवान से मदद करने की अपील की। ख़बर पर तुरंत संज्ञान लेते हुए प्रकाश पासवान ने अपने एक सदस्य जो डीवीसी हजारीबाग के क्षेत्र में रहते हैं ,उन्हें मदद के लिए भेजा। संघ के सदस्य ने मंदिर के पुजारी से मिल कर तुरंत राशन की व्यवस्था करायी। साथ ही लॉक डाउन अवधि तक राशन की व्यवस्था कराने का आश्वासन भी दिया । इधर विधायक प्रतिनिधि किशोर कुमार राणा से भी बात कर मदद की अपील की गई। विधायक प्रतिनिधि किशोर कुमार राणा ने भी मंगलवार को भोजन का एक पैकेट मंदिर के पुजारी को उपलब्ध कराए। मंदिर के पुजारी सिकंदर पांडे ने मोबाइल वाणी के टीम के प्रति आभार प्रकट किया है।

झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के करकमसांडी प्रखंड से रविंद्र कुमार झारखंड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि करकमसांडी प्रखंड के बाझा पंचायत अंतर्गत ललकी माटी गांव में आने जाने के लिए सड़क नहीं है।लोगो को जंगल के पगडण्डियों से हो कर आना जाना करना पड़ता है। इस गांव में अनुसूचित जाति व जनजाति के लोग रहते हैं। यह गाँव चारों ओर जंगल एवं पहाड़ों से घिरा हुआ है और बरसात के दिनों में नदी में बाढ़ आने के कारण पूरा गांव टापू के रूप में परिवर्तित हो जाता है।स्थिति यह है कि जब भी कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाते हैं तो उन्हें ललकी माटी से इलाज के लिए कटकमसांडी हज़ारीबाग़ ले जाने के लिए एक बड़े पहाड़ को पार कर दूसरी तरफ जाना पड़ता है। कई बार भारी बारिश व फिसलन भरे रास्तों के कारण लोग अपना इलाज कराने मुख्य सड़क तक नहीं जा पाते हैं।इस विषय पर गाँव के लोगों का कहना है कि कई बार पुल निर्माण के लिए जनप्रतिनिधि को आवेदन दिया गया है। लेकिन अबतक किसी तरह का पहल नहीं हुआ है। दूसरी ओर किसान भी सड़क के अभाव में बिचौलियों के हाथों ओने पौने दाम में फसल बेचने को मजबूर होते हैं। स्थानीय लोग खेती बाड़ी कर ही अपना जीवन यापन करते हैं।ग्रामीणों ने ललकी माटी गांव आने जाने के लिये सड़क निर्माण करवाने की मांग की है।

झारखंड राज्य के हज़ारीबाग़ जिला के कटकमसांडी प्रखंड से रविंद्र कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि कटकमसांडी प्रखंड अंतर्गत उत्क्रमित आराभूसाई उच्च विद्यालय में 432 अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को अभी तक विधालय की ओर से किट की राशि नहीं मिली है। इस विद्यालय में अधिक संख्या में अनुसुचित जाति जनजाति तथा पिछड़े वर्ग के छात्र-छात्राओं अध्ययनरत हैं।मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2017-18 व 2018 -19 में सरकार की ओर से विद्यालय प्रबंध समिति के खाते में ₹400000 से अधिक की राशि स्थानांतरित की गई थी।ताकि वैसे पिछड़े छात्र छात्राओं को इस पैसे से मदद मिल सकें जो राशि के अभाव में कॉपी ,किताब ,जूते और बैग आदि जरुरी चीजें खरीदने को बेवस महसूस करते हैं। लेकिन सरकार की ओर से दिए गए राशि को अभी तक विद्यालय प्रबंधन तथा प्रधानध्यापक की लापरवाही के कारण छात्र-छात्राओं के खाते में राशि का स्थानांतरण नहीं किया गया। विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राएं अपने लिए न तो किताब खरीद पाए और ना ही खिंचवा वह बैग खरीद पाए जिसके कारण छात्र छात्राओं को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इधर प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी से पूछे जाने पर उन्होंने कहा है कि शिकायतें मिली है जांच कर कार्रवाई की जाएगी यह देखा जाएगा कि किन परिस्थितियों में विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने छात्र-छात्राओं के खाते में राशि का स्थानांतरण किया है। राशि का स्थानांतरण नहीं किया जाना गैर जिम्मेदाराना व विभाग के अपराध संबंधित प्रधानाध्यापक को शिक्षक कार्रवाई की जाएगी।

झारखण्ड राज्य के जिला हज़ारीबाग के कटकमसांडी प्रखंड से रविंद्र कुमार , झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि नचले व सकरजा गांव चारो ओर जंगल और पहाड़ों से घिरा है। इस गावँ में आज भी सड़क निर्माण की कमी है। एक ओर जहाँ केंद्र व राज्य सरकार हर गांव में सड़क के लिए कृत संकल्प है और पानी की तरह पैसे बहा रही है लेकिन ये नचले व सकरजा गावँ आज भी मुख्यालय से नहीं जुड़ पाया है। अनुसूचित जाति बहुल गावँ में जाने के लिए लोगों को जंगली पगडंडियों का ही सहारा लेना पड़ता है।सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना ग्रामीणों को बरसात के समय में करना पड़ता है ।भारी बारिश के वजह से सभी खेत ,नदी ,नाले भर जाने के कारण पूरा गावँ मुख्यालय से ही कट जाता है। सबसे ज़्यादा परेशानी तब होती है ,जब किसी मरीज को अस्पताल लेकर जाना होता है।बीमार व्यक्ति को मुख्यालय तक ले जाने के लिए न तो एम्बुलेंस आती है और ना ही कोई सवारी जा पाती है।मज़बूरी में लोगों को खटोले में टांग कर इलाज के लिए अस्पताल ले जाना पड़ता है। गावँ में खेती के अलावा कोई और वैकल्पिक साधन नहीं है ,जिसके कारण लोगों को बेरोज़गारी का भी सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है कि पदाधिकारियों को कई बार पत्र लिख कर गावँ में सड़क बनाने की मांग की गई लेकिन आज तक सड़क का निर्माण नहीं हो सका है।साथ ही ग्रामीणों का यह भी कहना है कि  नचले व सकरजा गांव में सड़क का निर्माण हो जाने से न केवल लोगों को इसका फ़ायदा होगा बल्कि ग्रामीण अपने कृषि उत्पाद भी बाज़ारों तक पहुँचा सकेंगे।   एक ओर केंद्र व राज्य की सरकार हर गांव को मुख्य सड़क से जोड़ने के प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के लिये पानी की तरह पैसा बहा रही है  परंतु प्रखंड कटकमसांडी अंतर्गत बाझा पंचायत के नचले व सकरजा गांव आज भी  मुख्य मार्ग से कटा है। लगभग दो सौ आबादी वाले अनुसूचित जनजाति बाहुल आबादी के इस गांव में जाने के लिए आज भी एक अदद सड़क नहीं है ।नचले व सकरजा गांव के लोग अपने गांव से कटकमसांडी मुख्य चौक आने के लिए  जंगली पगडंडियों और खेत के मेढ़ो का सहारा ले रहे हैं ।सबसे ज्यादा मुसीबत गांव वासियों को बरसात के समय में उठाना पड़ता है ।भारी बारिश के वजह से जब सभी खेत भर जाते हैं तो ऐसे में खेत के मेढ़ों की मिट्टी  फिसलन हो जाती है जिस पर आना जाना मुश्किल हो जाता है ।कई बार तो लोग चिकनी मिट्टी में फिसल कर अपने हाथ और पैर की हड्डी भी तोड़वा चुके हैं दूसरी इन दिनों में बीमार होने पर मरीज के लिये गांव तक एम्बुलेंस नही जा पाता।मरीज को खटोले में गांव से मुख्य सड़क तक कंधे में ढोकर लाना होता है।बरसात के दिनों में लोगो को जंगली पगडण्डी ही एक मात्र साधन है। इस समय  जंगल में घने जंगल झाड़ उग आते हैं।इन झाड़ियों में जंगली जानवर लकड़बग्घे भालू तथा चीते का आक्रमण की संभावना अधिक हो जाती है।

जिला हज़ारीबाग़ कटकमसांडी से सुशील कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि गड्ढो में जमा गंदे पानी व खुली नालियों जिसे ढक कर नहीं रखा जाता है जिसके कारण मच्छर उनमे पनपते है और अपनी प्रजन्न क्षमता में वृद्धि करते है और उन मच्छरों के काटने से मलेरिया होता है।इससे बचने के लिए घर के आस-पास गंदगी जमा नहीं करना चाहिए।

Transcript Unavailable.

Transcript Unavailable.

जिला हजारीबाग के कट्कम्सांडी से शंकर कुमार सिंह झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते है कि कट्कम्सांडी प्रखंड अंतर्गत ग्राम सुरमे में अब तक सड़क की सुविधा नहीं मिली है।