झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला से बीरबल महतो ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सी एन टी और एस पी टी एक्ट में संशोधन आदिवासिओं और मूलवासिओं के साथ अन्याय है।संशोधन के द्वारा उनके साथ विश्वासघात किया जा रहा है।झारखण्ड के आदिवासिओं और मूलवासिओं ने अंग्रेजों के साथ लम्बी लड़ाई लड़ी एवं कई बलिदानों के बाद उन्होंने अपने सम्मान एवं अधिकार को पाया है।अगर सरकार संशोधन को लागू कर देती है तो,जमीन की कीमत छः गुना तक बढ़ जाएगी, जिससे गरीबों पर टैक्स का भार अधिक बढ़ जायेगा। इस बढे हुए टैक्स को गरीब अगर नहीं चूका पाएंगे तो सरकार उनकी जमीनों को अपने कब्जे में लेकर नीलाम कर देगी। इस प्रकार आदिवासी और मूलवासी अपने ही जमीन से बेदखल हो जायेंगे और खुद को ठगा महसूस करेंगे।झारखण्ड की धरती बिरसा मुंडा और सिंधु-कान्हू जैसे महान लोगों की कर्मभूमि है।झारखण्ड राज्य की आज आवश्यकता है, कि सांसद और विधायक, अपने पार्टी से ऊपर उठ कर आदिवासिओं एवं मूलवासिओं के स्वाभिमान की रक्षा हेतु कार्य करें और सी एन टी और एस पी टी एक्ट में संशोधन का विरोध करें अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।सरकार पलायन कर रहे झारखंडियों को रोके, इनके लिए रोजगार मुहैया करवाए ,तभी जाकर झारखण्ड का विकास संभव होगा। अन्यथा सरकार की बातें हाथी के दाँत के समान प्रतीत होंगी।
बीरबल महतो,जिला धनबाद से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि जल ही जीवन है,वायु के बाद दूसरा स्थान जल का आता है।जल के बिना मनुष्य का जीवित रहना संभव नहीं है।लोगो द्वारा जल का पता चाँद और मंगल ग्रह पर भी जल का पता करते है अर्थात जल रहने से ही जीवन संभव होता है.सरकार द्वारा जलापूर्ति योजना चलाया जा रहा है वह कुछ हद तक ठीक है और कुछ हद तक ठीक नहीं है।कुछ हद तक ठीक इसलिए नहीं है क्योकि जैसे कोलयरी क्षेत्रो में डोभा योजना लगाया गया है लेकिन जहां कुंए में पानी नहीं होता है तो डोभा में पानी रहना मुश्किल है.ये योजनाए विफल हो रही है,इसलिए सरकार को पांच किलोमीटर की दुरी पर जो नदियाँ बहती है वहाँ पर डैम बनाया जाये तथा जलापूर्ति कराया जाये ताकि सरलता से सिंचाई भी किया जा सके तथा दैनिक कार्यो के उपयोग में भी लाया जा सकता है।
धनबाद से बीरबल महतो जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि माता -पिता नादानी या मजबूरी की वजह से अठारह साल से कम लड़की और इक्कीस साल से कम लड़के की शादी कर देते हैं।बाल -विवाह कानूनी अपराध के साथ -साथ एक सामाजिक कुरीति भी है।एक तरफ हम बच्चों के उज्वल भविष्य की कामना करते हैं ,समानता और विकास की बात करते हैं।वहीं दूसरी तरफ बाल -विवाह कर के उन के जीवन के साथ खिलवाड़ करते हैं।बाल -विवाह करने के पीछे कई कारण हैं , जैसे -माता-पिता दहेज देने से बचने के लिए समय से पहले ही लड़की की शादी कर देते हैं।साथ ही अशिक्षा तथा सरकार द्वारा बनाई गई निति का दृढ़ता पूर्वक पालन नहीं करना,मुख्य कारण है।इस कुप्रथा को रोकने के लिए सभी बुद्धिजीविओं को आगे आना होगा और बच्चों को उनका अधिकार दिलवाना होगा।बच्चों का भविष्य सुरक्षित रहे ,इस के लिए माता -पिता ,परिवार के साथ -साथ समाज को भी अपना योगदान देना होगा। बाल -विवाह को खत्म कर,भारत को महान बनाना होगा।
बाघमारा धनबाद से मदनलाल चौहान जी ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकार द्वारा पंचायती राज व्यवस्था सुदृढ़ करने के लिए,पंचायतों में ,पंचायत स्वयं सेवकों की नियुक्ति की गई है।ताकि सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ जनता तक पहुँच पाए।सरकार का यह प्रयास सराहनीय है। मंदरा पंचायत स्वयं सेवकों के अनुसार ,सेवकों से काम लिया गया है परन्तु कभी भी वेतन नही दिया गया है।साथ ही उज्ज्वला गैस योजना के तहत,फार्म भरने के लिए दो सौ रुपये से ले के ,तीन सौ रुपये तक की राशि लाभुकों से सीधा लुटा जा रहा है ।गैस चूल्हा और लाइटर वितरण करने के नाम पर भी, लोगों से पैसे लिए जा रहे हैं। मुफ्त बीमा करवाने की बात कर के ,लोगों को लाइटर लेने के लिए बोला जाता है।गाँव वालों को खास हिदायत दी जाती है कि यदि लाइटर नहीं लिया जायेगा तो बिमा के लाभ से वंचित रह जाओगे। पहले सरकारी योजनाओं और लाभुकों के बीच में बिचौलिये हुआ करते थे,अब बिचौलिओं की जगह पंचायत स्वयं सेवकों ने ले ली है।स्थिति यह है कि अब लाभुक पैसे देते हैं, तभी सरकारी योजनाओं का लाभ उठा पाते हैं ।सरकारी योजनाओं की विफलता ने ,सरकारी व्यवस्था का पोल खोल कर रख दिया है।
झारखण्ड राज्य के धनबाद जिला से राधू राय ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सरकार की जलापूर्ति योजना अधर में लटकी। पानी की तलाश में लोग और पशु-पक्षी दूर दूर तक भटकते हुए देखे जा सकते है। नदी-नाले ,पोखर , तालाब सभी गर्मी आते ही सुख गए है। सरकार की जलापूर्ति योजना से आम-जन को कोई भी लाभ मिलता नहीं दिखाई दे रहा है। सरकार की यह योजना हाथी के दिखावे वाली दाँत बन कर रह गई है। बाघमारा क्षेत्र में कई जलमीनारें खड़ी है , परन्तु वहाँ से जल की आपूर्ति नहीं हो पा रही है।अधिकतर पाइप लाइन भी ख़राब पड़ी हुई है। आम जनता बोतल बंद पानी खरीदने और पीने के लिए मज़बूर है। और गरीब व्यक्ति पानी के लिए तड़प रहे है। सरकार की नियत अगर ऐसी ही रही तो वो दिन दूर नहीं जब लोगों के बीच पानी के लिए महाभारत होते हुए देखा जा सकेगा
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बीरबल महतो,धनबाद के बाघमारा प्रखंड से मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि प्रदुषण एक जटिल समस्या बनी हुई है।ईंधन मानव जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है,इसके लिए कोयला खाद्यान और पावर प्लांट लगाए गए है.ये सभी मनुष्य की सुरक्षा हेतु बनाया गया है परन्तु खाद्यान और पावर प्लांट लगाने के लिए जंगलो का सफाया कर दिया जा रहा है।जिस कारण प्रदुषण की समस्या काफी बढ़ गई है।सरकार द्वारा प्रदुषण रोकने की बात हाथी की दांत के सामान है.सरकार प्रत्येक वर्ष प्रदुषण के नाम पर हजारो रुपया खर्च करती है लेकिन यह सिर्फ कागजो पर खानापूर्ति के लिए दिखाया जाता है और आवश्यकतानुसार पेड़ नहीं लगाया जाता है।अतः प्रदुषण रोकने के लिए वृक्ष अधिक लगाना चाहिए तभी प्रदुषण को रोकना संभव हो पायेगा।
जिला धनबाद,महुदा से बीरबल महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि जल ही जीवन है। सभी सजीवों के लिए हवा के बाद जल एक अनिवार्य पेय पदार्थ है।अन्य ग्रहो पर सबसे पहले जल की खोज की जाती है। इनका कहना है कि सरकार द्वारा चलाया जा रहा जलापूर्ति योजना हाथी के दाँत बन क्र रह गया है।सरकार द्वारा डोभा योजना चलाया भी गया,परन्तु पानी का स्तर इतना निचे चला गया है कि कोल्यारी क्षेत्र में कुंए में पानी नहीं ठहरता है। अब सवाल यह उठता है कि जब कुआँ में पानी सुख जाता है ,तो डोभा में कैसे ठहरेगा।ऐसे में सरकार को चाहिए कि वे जलापूर्ति योजना के तहत नदियों में 5-5 किलोमीटर अंतराल में डैम बनवाकर जल का संचयन करे ।इस तरह से डैम के पानी से गाँव एवं शहरी क्षेत्र में जलापूर्ति किया जा सकता है। साथ ही कोल्यारी के द्वारा निकाले गए पानी को तालाब में जमा कर इसे उपयोग में लाया जा सकता है।इस पानी का उपयोग नहाने में,कपड़े धोने में एवं फसलों की सिंचाई में भी कर सकते है।जहाँ पानी का स्तर ऊंचा हो,वैसे जगह में डोभा योजना चलाकर जलापूर्ति योजना को सफल बनाया सकता है।
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