झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से जे एम् रंगीला मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि भारत देश वर्ष 1947 में आज़ाद हुआ। आजादी मिलने के पश्चात् देश के प्रथम प्रधान मंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने मिश्रित अर्थव्यवस्था को अपनाया। परिणामस्वरूप निजी एवं सार्वजानिक क्षेत्र का खूब विकास हुआ। इसी के मद्देनज़र वर्ष 1991 में प्रधानमंत्री श्री पी वी नरसिम्भा राव ने बाजारीकरण व्यवस्था को अख्तियार किया। फलस्वरूप उद्योग घरानों का तेजी से विकास हुआ। वहीँ अगर बात की जाये तो बीजेपी सरकार के कार्यकाल में सड़कों का तेजी से विकास हुआ। साथ ही सर्व शिक्षा अभियान योजना के तहत देश में आलिशान विद्यालय भवन का निर्माण हुआ लेकिन विद्यालय भवन एवं सड़कों के निर्माण में गुणवत्ता को ताक पर रख कर जम कर ठीकेदारी की गई। नतीजतन निर्मित सड़कों का खास्ता हाल है वहीँ स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की भारी कमी है। वे कहते हैं कि देश में मनरेगा के आने से ग्रामीण क्षेत्रों में ही रोजगार सृजन की सम्भावना बनी लेकिन बाद में यह भी उच्च अधिकारियों के खाऊ पकाऊ योजना बनकर रह गई।
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झारखण्ड के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखण्ड से सुमंत कुमार जी मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि बाल विवाह को रोकने के लिए राज्य स्तर,जिला स्तर और पंचायत स्तर पर प्रतिनिधियों, मुखिया,पंचायत समिति और जो प्रमुख है उन्हें, लोगों को जागरूक करने के लिए प्रयास करना चाहिए।लोगों को सरकारी स्तर पर लड़कियों को मिलने वाले लाभ के बारे में बताना चाहिए। साथ इसे रोकने के लिए नुक्क्ड़ नाटक और जागरूकता सभा करना चाहिए। ताकि आम लोग इसे समझ सके। क्योंकि समय से पहले लड़कियों की शादी करने पर ना तो वो शारीरिक रूप से सक्षम होती है और ना ही मानसिक रूप से उनका विकास हो पाता है। और इस तरह से उनकी शिक्षा भी अधूरी रह जाती है। बाल विवाह को रोकने के लिए सयुंक्त स्तर पर प्रयास होने चाहिए तभी बाल विवाह रुकेगा।सरकार द्वारा दी जाने वाली लाभ के बारे लोगों को बताना चाहिए। हो सकता है लोग इसके महत्व को समझेंगे और जागरूक होंगे तभी बाल विवाह पर रोक लगेगी।
झारखण्ड के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखण्ड से सुमंत कुमार जी मोबाईल वाणी के माध्यम से कहते हैं कि बाल विवाह को रोकने के लिए निचली स्तर यानि पंचायत स्तर से लेकर ऊपरी स्तर यानि की राज्य स्तर तक जितने भी प्रतिनिधिगण हैं उन्हें अपने स्तर से लोगों को जागरूक करने के लिए प्रयास करना चाहिए।प्रतिनिधियों का यह कर्तव्य बनता है कि वे लोगों को सरकार की ओर से लड़कियों को मिलने वाले तमाम योजनाओं के लाभ के बारे में बताना चाहिए। साथ ही इसे रोकने के लिए समय-समय ग्रामीण इलाकों में नुक्क्ड़ नाटक और जागरूकता सभा का आयोजन करना चाहिए। ताकि आम लोग इसे समझ सकें । क्योंकि समय से पहले लड़कियों की शादी करने पर ना तो वो शारीरिक रूप से सक्षम होती है और ना ही मानसिक रूप से उनका विकास हो पाता है। और इस तरह से उनकी शिक्षा भी अधूरी रह जाती है। बाल विवाह को रोकने के लिए सयुंक्त स्तर पर प्रयास होने चाहिए तभी बाल विवाह रुकेगा।
झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से महावीर महतो जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि झारखण्ड में रोचक मनमोहक झूमर नृत्य संगीत मनभावन है। झारखण्ड धरती का एक ऐसे भू-भाग का हिस्सा है जहाँ तरह-तरह के भाषा और संस्कृति है।उसी जनजातीय भाषाओं में से एक भाषा है खोरठा जो मुख्य रूप से हज़ारीबाग़,गिरिडीह,बोकारो,धनबाद,कोडरमा,चतरा,गोड्डा,पाकुड़,रामगढ़, गढ़वा,पलामू,डाल्टेनगंज सहित कई जिलों में बोला जाता है। आज पूंजीवाद के लालच में लोग अपनी संस्कृति भाषा,जन-जंगल,जमीन को बेचने में लगे हुए हैं। यदि सरकार इन जनजातियों की भाषा संस्कृति की कदर नहीं करती है, तो आने वाले समय में यह संस्कृति समाप्त हो जाएगी। अतः सरकार को जनजातियों की नीतियां बनाने में उनके सुझाओं का स्वागत करना होगा। क्योंकि प्रकृति से जनजातियों की संस्कृति जुड़ी हुई है। करमा पर्व सरहुल,सोहराय,मोहरी जैसे पर्व त्यौहार प्रकृति से जुड़े हैं उनका चलना ही नृत्य और बोलना ही संगीत है। हर क्षेत्र और हर प्रान्त की अपनी भाषा,संस्कृति और अपनी मिटटी की महक होती है। हमारा हिंदुस्तान कई भाषाओं,संस्कृति,वेशभूषाओ में झलकता है।
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जिला बोकारो से जे एम् रंगीला जी और उनके साथ है फूलमती देवी जी जो मोबाईल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं कि बाल विवाह समाज में पहले संस्कृति सभ्यता,जो सतयुग,द्वापर,त्रेता में हो रही थी उसका उपयोग न कर के पच्छमी सभ्यता का उपयोग कर रहे हैं जिसके कारण बाल विवाह को रोकना असंभव हो गया है। बाल विवाह के कई दुष्परिणाम है अगर किसी लड़की की अठारह वर्ष से पहले विवाह हो जाता है, तो उसके साथ कई तरह दोहन किया जाता है।वे अपनी जिम्मेवारी को सही से नहीं निभा पाती हैं। और ऐसे में यदि समय से पहले बच्चा हो जाता है तो जच्चा और बच्चा दोनों कई तरह के नुकसान का सामना करना पड़ता है और अंत में नारी का अस्तित्व खत्म हो जाता है।
बोकारो नावाडीह से जे.एम रंगीला जी और उनके साथ चिरूडीह की उपमुखिया श्री मति बिना गिरी जी बाल विवाह के मुख्य वजह पर मोबाइल वाणी के माध्यम से बतातीं हैं कि आधुनिक युग में भी आज बाल विवाह प्रथा कायम है इसका मुख्य वजह जागरूकता का अभाव है जो आज भी कायम है लोगों के मानसिकता में बेटा और बेटी में भेद भाव होते देखा जाता है। बाल विवाह के कारण बच्चों के जीवन में कई तरह की कठिनाइयां आती है जैसे- लड़कियां अपने जीवन में आगे नहीं बढ़ पाती हैं,कम उम्र में माँ बनना पूरी जीवन के लिया पीड़ादायक होता है। सरकार के द्वारा बाल विवाह को रोकने के लिए कई कानून बनाई गई है लेकिन उसे सफल करने के लिए लोगों को अपनी मानसिकता बदलना होगा।बाल विवाह को रोकने के लिए समाज के हर तबके के लोगों को जागरूक होना पड़ेगा
जिला बोकारो नावाडीह से जेएम रंगीला जी मोबाइल वाणी के माध्यम से बाल विवाह मुक्त झारखंड अभियान के तहत चंद्रपुरा प्रखंड की प्रमुख श्री मति अनीता जी से साक्षात्कार लिए जिसमे अनीता जी ने बाल हिंसा की मुख्य वजह अशिक्षा,बेरोजगारी और गरीबी है। इसकी रोकथाम के लिए कई कानून तो बनाए गए हैं लेकिन आज तक यह कारगर साबित नहीं हो पा रही है क्योकि स अशिक्षा,कानून की सही जानकारी सरकार की ओर से कानून तो कई बनाए जाते हैं लेकिन अशिक्षित लोगों को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं रहती है। बाल हिंसा को रोकने के लिए कई उपाय कर सकतें हैं जैसे- सभी को उचित शिक्षा,गरीब बच्चों को सरकार बेहतर शिक्षा दें तथा झारखण्ड सरकार बेरोजगारों को रोजगार दें। पंचायत स्तर से भी गरीब या अमीर सभी स्कूलों में प्रत्येक माह बैठक करें जिसमे अभिभावक भी शामिल रहें और उन्हें संस्कार के बारे में जानकारी दे पलायन को भी रोकने की पहल करें।
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