झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के बिष्णुगढ़ प्रखंड से गीता सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि मोबाइल वाणी द्वारा चलाया जा रहा है कार्यक्रम 'जलवायु की पुकार ' बहुत ही लाभदायक है। लोग कार्यक्रम सुनकर सकारात्मक कदम उठा रहे हैं। जनता अत्यधिक मात्रा में पेड़ लगा रहे हैं। गीता सिंह ने बताया कि उन्होंने भी बहुत से पेड़ लगाए हैं। साथ ही वे बताती हैं कि यदि पेड़ नहीं होंगे तो जीवन जीना दूभर हो जायेगा क्योंकि हमें ऑक्सीजन मिलता है
झारखण्ड राज्य के हज़ारीबाग जिला के बिष्णुगढ़ प्रखंड से गीता सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि हज़ारीबाग के चुचु प्रखंड ,जो कि जंगल का क्षेत्र है लेकिन वर्तमान में विलुप्त होते जा रहा है।इस क्षेत्र के मूल निवासियों का कहना है कि दिन प्रतिदिन अन्य जाति के लोग जंगल का दुरोपयोग कर नुक्सान पंहुचा रहे हैं। जंगल में पाए जाने वाले जानवरों को भी नुक्सान पंहुचा रहे हैं। हमें जंगल की कटाई को रोकने के लिए पेड़ को काटने से बचाना होगा।
हमारे श्रोता किशोरी नायक ,झारखण्ड मोबाइल वाणी के माध्यम से कहते है कि आज के जमाना में ग्रामीण परिवेश में बड़ा ही भयावह स्थिति होती जा रही है। महिलाओं की शारीरिक बनावट जल्दी हो जाती है जिस कारण ग्रामीण इलाक़े में लोग बेटियों को ज़ल्दी शादी करने की सोच रखते है। इस परिस्थिति में 18 वर्ष की उम्र ही शादी के लिए सही है। सरकार ने जो शादी की उम्र को बढ़ाकर 21 वर्ष करना तय किया है ,वो भी अपनी जगह सही ही है। जो लड़कियाँ शारीरिक दृष्टिकोण से कमज़ोर रहती है ,उनके लिए विवाह का सही उम्र 21 वर्ष ही होना चाहिए। पर सरकार यह बाध्य न करें की 21 वर्ष ही शादी की उम्र हो। आज के गरीब परिवार में बेटियों को पढ़ाने के बाद उन्हें सही जीवनसाथी ढूँढने में कठिनाइयाँ हो जाती है। 21 वर्ष होने के बाद ज़ल्दी लड़का नहीं मिलता है इसलिए इसकी चिंता दो से तीन साल पूर्व ही करना पड़ता है
झारखंड राज्य के बोकारो ज़िला के जरीडीह प्रखंड से शिव नारायण महतो झारखंड मोबाइल वाणी के माध्यम से जरीडीह प्रखंड के एक ग्रामीण सुरेंद्र नाथ महतो से कार्यक्रम 'मेरा मुखिया कैसा हो' के तहत वार्ता कर रहे हैं।सुरेंद्र नाथ महतो ने बताया कि झारखण्ड बनने के बाद एवं दो बार पंचायत चुनाव होने के पश्चात् भी गॉँव में ना ही ट्रांसफार्मर आया और न ही लोगों को वृद्धा पेंशन एवं प्रधानमंत्री आवासीय योजना का लाभ मिला। सुरेंद्र नाथ महतो कहते हैं कि गाँव का मालिक गाँव का मुखिया होता है लेकिन मुखिया ने गाँव के विकास में कोई भी बदलाव नहीं किया। मुखिया को किसी भी प्रकार के झगड़े को सुलझाने की क्षमता होनी चाहिए। गरीब ,असहाय व्यक्ति जो सरकारी योजनाओं एवं सुविधाओं से वंचित हैं उनके लिए मुखिया को आवाज़ उठानी चाहिए। जिससे गाँव के लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल सके।
पलाश के फूलों से बनता है कुदरती रंग
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