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झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से सुमंत कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं कि पुरे देश में लिंग अनुपात गड़बड़ाने की वजह से शहरों में बड़ी ताताद में पुरुष अविवाहित ही रह जाते हैं।लड़कियों की कमी पूरी करने के लिए उनकी तस्करी की जाती है।इसके लिए बाकायदा दलालों को मोटी मोटी रकम दे कर नियुक्त किया जाता है। ऐसे में एजेंटों की नजर 24 घंटे लड़कियों पर होती है।और खास बात तो यह है कि ज्यादातर एजेंट लड़कियों के अपने नजदीकी रिस्तेदार ही होते हैं। नजदीकी रिस्तेदार होने के कारण आस पड़ोस के लोग भी शक नहीं कर पाते हैं। जिससे लड़कियों की तस्करी आसान हो जाती हैं। ज्यादातर माँ बाप आर्थिक तंगी से जूझने के कारण भी बच्चों को इन दलालो के हाथ में बेच देते हैं। साथ ही लड़कियों की तस्करी को रोकने में कई बार प्रसाशन भी इसलिए विफल होते हैं क्योकि लड़की की तस्करी में बड़े बड़े नेता भी शामिल होते है।अतः राज्य से बड़ी संख्या में हो रहे मानव तस्करी को रोकने के लिए विभिन्न संगठनों को आगे आना होगा और गरीबों के उत्थान एवं शिक्षित करने का सफल प्रयास करना होगा। तभी लड़कियों की तस्करी को रोका जा सकता है।

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झारखण्ड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से सुमन्त कुमार ने झारखंड मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि जल के बिना हम जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते।आज बहुत सारे ऐसे गाँव हैं , जहां के लोगों को शुद्ध पेयजल नसीब नहीं होता।सरकार की तरफ से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने की दिशा में कई कल्याणकारी योजनायें चलायी जा रही है।लेकिन इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों के स्थानीय जन प्रतिनिधि रूचि नहीं दिखा रहे है।और इसका खामियाजा आम ग्रामीण जनता को भुगतना पड़ रहा है।वे कहते हैं कि इसके लिए सभी को आगे आना होगा।एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब सात फीसदी बिमारियों की मूल वजह जल प्रदूषण है।साथ ही उन्होंने पानी की ख़राब गुणवत्ता से निपटने के लिए कहा कि पानी को शुद्ध करने का सबसे पुराना तरीका है पानी को उबालना, और दुनियाभर के लाखो लोग इस तरीके को अपनाते भी है। पानी को पूरी तरह से स्वच्छ और कीटाणु रहित बनाने के लिए कम-से-कम पानी को बीस मिनट तक उबालना चाहिए।और उबाल कर पानी को साफ़ कंटेनर में रखना चाहिए। कंटेनर का मुँह संकरा हो ताकि उसमे किसी प्रकार की गंदगी ना जाने पाए

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नावाडीह बोकारो से सुमंत कुमार मोबाइल वाणी के माधयम से कहते है, की शुरुवाती दौर से ही बच्चों को प्राथमिक शिक्षा ओर सुदृढ शिक्षा वयवश्था से न जोड़ा जाये, तो आगे चल कर बच्चे देश में बेरोजगारी को उत्पन करते है। इसलिए बच्चो के अभिभावकों को प्रार्थमिक शिक्षा को लेकर हमेशा सचेत रहना चाहिए

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झारखंड राज्य के बोकारो जिला के नावाडीह प्रखंड से महावीर महतो मोबाइल वाणी के माध्यम से बताते हैं, कि भारत के इतिहास में 1 अप्रैल 2010 एक ऐतिहासिक दिन था। इसी दिन बच्चों के लिए नि:शुल्क शिक्षा और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम लागू किया गया था। शिक्षा के अधिकार को वैसा ही वैधानिक स्तर प्रदान किया है, जैसा की भारतीय संविधान के अनुछेद 21-(क) में उपलब्ध है।इस अधिनियम के तहत छः से चौदाह वर्ष के बीच के उम्र वाले प्रत्येक बच्चों को प्रथम से आठवीं वर्ग तक की मुफ्त प्रारंभिक शिक्षा उसके घर के आस-पास के स्थित स्कूलों में दिया जाना है। इससे भारत का निर्माण करने के लिए बुनियादी जरूरतें प्रदान की जा सकेगी।शिक्षा के क्षेत्र में प्रत्येक बच्चा चाहें वो गरीब हो या अमीर वो एक जैसा ही सपना देख सकेंगे और उन्हें प्रारंभिक शिक्षा उपलब्ध हो पाएगी। पूर्व प्रधान मंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने वर्ष 2010 से 2020 को नवाचार का दशक घोषित किया था। इस प्रयाजनार्थ पूर्वरुपिये सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में दूरगामी सुधार की घोषणा की थी । जो सत्ता में लौटने के बाद प्रथम 18 माह में किए जाएँगे तथा उत्कृष्टता विस्तार समग्रह के सिद्धांत पर बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए संस्थान स्थापित करने की बात भी । लेकिन वर्तमान में अबतक बुनियादी प्रारंभिक शिक्षा मध्य विद्यालयों में छात्र-छात्राओं के लिए समुचित आर्थिक शिक्षा व्यवस्था सुचारु रूप से करने में नाकाम रही है। आज कई विद्यालयों में पानी,भवन,बेंच,भोजन एवं जरुरत के अनुसार शिक्षकों की भरपाई नहीं हो पाई है। जिससे छात्र-छात्राओं को पठन-पाठन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

झारखण्ड के बोकारो जिले से सुमंत कुमार बता रहे है कि टुसु पर्व झारखण्ड की संस्कीरति त्यौहारों में से एक है। यह त्यौहार ज्यादातर बुंडू ,तमाड़ और झारखण्ड के रायडीह क्षेत्र में देखा जाता है। टुसु पर्व पौष माह के अंतिम दिनों के फसल कटाई के समय देखा जाता है।