पानी में आर्सेनिक, लोह तत्व और दूसरे घातक पदार्थों की मात्रा महिलाओं के स्वास्थ्य पर सबसे बुरा असर कर रही है और फिर यही असर गर्भपात, समय से पहले बच्चे का जन्म या फिर कुपोषण के रूप में सामने आ रहा है. साथियों, हमें बताएं कि आपके परिवार में अगर कोई गर्भवति महिला या नवजात शिशु या फिर छोटे बच्चे हैं तो उन्हें पीने का पानी देने से पहले किस प्रकार साफ करते हैं? अगर डॉक्टर कहते हैं कि बच्चों और महिलाओं को पीने का साफ पानी दें, तो आप उसकी व्यवस्था कैसे कर रहे हैं? क्या आंगनबाडी केन्द्र, एएनएम और आशा कार्यकर्ता आपको साफ पानी का महत्व बताती हैं? और ये भी बताएं कि आप अपने घर में किस माध्यम से पानी लाते हैं यानि बोरवेल, चापाकल या कुएं और तालाबों से?
बिहार राज्य के देवखण्ड से सोनी कुमारी मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे हैं उनके गांव में पानी की व्यवस्था है लेकिन आयरन भरा हुआ पानी आता है जिसके कारण उन्हें परेशानी होती है
मध्यप्रदेश राज्य के जबलपुर जिला से अनुलाल महोगिया ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि सभी को कोशिश करनी चाहिए कि पानी की जितनी आवश्यकता हो उतना ही खर्च करें। साथ ही पानी को दूषित होने से बचाएं। क्योकि जब से जलवायु परिवर्तन हुआ है तब से पानी की समस्या उत्पन्न होने लगी है
बिहार राज्य के मुंगेर जिला के हवेली खड़कपुर से गोरेलाल मंडल ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बताया कि जल को संरक्षित करना बहुत जरूरी है। जल संरक्षण करने से मनुष्य को दिक्कत नहीं होगा। जिनके पास जितनी जमीन हो उसमे तटबन्ध बनाकर जल संरक्षण करने की कोशिस करनी चाहिए
उत्तर प्रदेश राज्य के जिला उन्नाओ से रामकरण मोबाइल वाणी के माध्यम से बता रहे है कि हमें हमें वर्षा जल का संरक्षण करना चाहिए। वर्षा के पानी का उपयोग हम कपड़ो की धुलाई कर सकते है। अगर अधिक मात्रा में हमें जल संरक्षण कारण हो तो हमें बड़ा सा हौदा बना सकते है और इसका इस्तेमाल भविष्य के लिए कर सकते है
दोस्तों, हमारे आपके बीच ऐसी महिलाओं के बहुत से उदाहरण हैं, पर उन पर गौर नहीं किया जाता. अगर आपने गौर किया है तो हमें जरूर बताएं. साथ ही वे महिलाएं आगे आएं जो घंटों पानी भरने और ढोने का काम करती हैं. उनका अपना अनुभव कैसा है? वे अपने जीवन के बारे में क्या सोचती हैं? क्या इस काम के कारण उनका जीवन नरक बन रहा है? क्या वे परिवार में पानी की आपूर्ति के चक्कर में अपना आत्मसम्मान खो रही हैं? क्या कभी ऐसा कोई वाक्या हुआ जहां पानी के बदले उनसे बदसलूकी की गई हो, रास्ते में किसी तरह की दुर्घटना हुई हो या फिर किसी तरह के अपशब्द अपमान सहना पडा?
दोस्तों, हमारे आपके बीच ऐसी महिलाओं के बहुत से उदाहरण हैं, पर उन पर गौर नहीं किया जाता. अगर आपने गौर किया है तो हमें जरूर बताएं. साथ ही वे महिलाएं आगे आएं जो घंटों पानी भरने और ढोने का काम करती हैं. उनका अपना अनुभव कैसा है? वे अपने जीवन के बारे में क्या सोचती हैं? क्या इस काम के कारण उनका जीवन नरक बन रहा है? क्या वे परिवार में पानी की आपूर्ति के चक्कर में अपना आत्मसम्मान खो रही हैं? क्या कभी ऐसा कोई वाक्या हुआ जहां पानी के बदले उनसे बदसलूकी की गई हो, रास्ते में किसी तरह की दुर्घटना हुई हो या फिर किसी तरह के अपशब्द अपमान सहना पडा?
दोस्तों, हमारे आपके बीच ऐसी महिलाओं के बहुत से उदाहरण हैं, पर उन पर गौर नहीं किया जाता. अगर आपने गौर किया है तो हमें जरूर बताएं. साथ ही वे महिलाएं आगे आएं जो घंटों पानी भरने और ढोने का काम करती हैं. उनका अपना अनुभव कैसा है? वे अपने जीवन के बारे में क्या सोचती हैं? क्या इस काम के कारण उनका जीवन नरक बन रहा है? क्या वे परिवार में पानी की आपूर्ति के चक्कर में अपना आत्मसम्मान खो रही हैं? क्या कभी ऐसा कोई वाक्या हुआ जहां पानी के बदले उनसे बदसलूकी की गई हो, रास्ते में किसी तरह की दुर्घटना हुई हो या फिर किसी तरह के अपशब्द अपमान सहना पडा?
वेस्ट बंगाल के जिला कोलकाता से अभिषेक , मोबाइल वाणी के माध्यम से यह बताना चाहते है कि उनको मोबाइल वाणी पर पानी टंकी से सम्बंधित कार्यक्रम सुनकर अच्छा लगा
बिहार राज्य के मुंगेर जिला के हवेली प्रखंड से गोरेलाल मंडल ने मोबाईल वाणी के माध्यम से बताया कि भारत में मुग़ल और अंग्रेजों के आने से पहले गांव में जल संचयन के लिए सामूहिक प्रयास किया जाता था। ग्रामीण बड़े - बड़े तटबंध तैयार करते थे। बाद में सरकार मदद करती थी। धीरे - धीरे यह प्रयास लुप्त होता गया और हम सरकार पर निर्भर होते चले गए। आपदा प्रबंधन के लिए जापान में पहले से ही तैयारी कर ली जाती है। भारत आपदा प्रबंधन के मामले में अभी बहुत पीछे है