हमारे देश में सभी को शिक्षा का अधिकार है लेकिन लड़कियों को इसके लिए कहीं अधिक संघर्ष करना पड़ता है। कई बार घर के काम के बोझ के साथ स्कूल के बस्ते का बोझ उठाना पड़ता है तो कभी लोगों की गंदी नज़रों से बच-बचा के स्कूल का सफर तय करना पड़ता है। जैसे-तैसे स्कूल पहुंचने के बाद भी यौन शोषण और भावनात्मक शोषण की अलग चुनौती है जो रोज़ाना उनके धैर्य और हिम्मत की परीक्षा लेती है। ऐसे में लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल बनाने की जिम्मेदारी शासन-प्रशासन के साथ साथ समाज की भी है। तब तक आप हमें बताइए कि * -----लड़कियों के स्कुल छोड़ने के या पढ़ाई पूरी ना कर पाने के आपको और क्या कारण नज़र आते है ? * -----आपके हिसाब से हमें सामाजिक रूप से क्या क्या बदलाव करने की ज़रूरत है , जिससे लड़कियों की शिक्षा अधूरी न रह पाए।

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दिल्ली एनसीआर श्रमिक वाणी के माध्यम से रीना परवीन बता रही हैं अक्षरधाम मंदिर से लेकर सहारनपुर एक्सप्रेसवे बन रहा है यह पिलर शास्त्री पार्क फ्लाईओवर के पास का है यहां पर 5 से 6 मजदूर देखे जा सकते हैं पिलर 80 फीट ऊंचा है पिलर पर काम करने वाले मजदूर बिना हेलमेट के काम कर रहे हैं और उनके पास सेफ्टी बेल्ट भी नहीं है और रोज कोई ना कोई मजदूरों के साथ हादसा होता रहता है जिसको लेकर गंभीर चोट भी लग जाती है खजूरी चौक के पास पिछले महीने सरिया गिरने से एक कार ड्राइवर की सर पर गंभीर चोट लग गई थी और भी कई ऐसे मजदूर हैं जो ऊपर गिरने से किसी का हाथ टूट जाता है या कोई मर जाता है मगर हाईवे अथॉरिटी इस और ध्यान नहीं दे रही है

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टनल से मजदूरों को बाहर निकालने में लगे 17 दिनों में हर बार की तरह इस बार भी नेताओं से लेकर मीडिया का भारी जमावड़ा आखिरी दिन तक लगा रहा, जो हर संभव तरीके से वहां की पल पल की जानकारी साझा कर रहे था। इन 17 दिनों में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव हो गए, क्रिकेट विश्वकप का आयोजन हो गया,