बिहार राज्य के मुंगेर जिले से अमन सक्सेना जी ने मुंगेर की आवाज के माध्यम से एक मजदुर विकाश कुमार जी से बातचीत की। बातचीत के दौरान विकाश कुमार जी ने बताया की वो काम करने के लिए हैदराबाद में रहते हैं। वहां पे उनको शुरुआती दिनों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। साथ ही विकाश कुमार जी का कहना है कि जहां पर वो काम करते थे वहां के स्थानीय लोगों के साथ भेदभाव किया जाता था। स्थानीय लोगों की अपेक्षा उनको काम वेतन दिया जाता था। विकाश कुमार जी का कहना है की यदि उनको अपने शहर में ही काम मिले तो वे बाहर काम करने नहीं जायेंगे। अमन सक्सेना जी के पूछे जाने पर विकाश कुमार जी ने बताया उनको बीमा नहीं करवाया है लेकिन उसके बारे में जानकारी है।

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सुजीत कुमार पाठक

बिहार राज्य के मुंगेर जिले से अमर सक्सेना ने मोबाइल वाणी के माध्यम से बाहर से आए मजदुर शुभाष पासवान से साक्षात्कार किया जिसमें शुभाष जी बताते हैं की वो तारापुर के रहने वाले हैं और वो मजदूरी के लिए सिकंदरा पुर गए थे।जहाँ वे होटल में काम करते थे।जिसमे प्रतिदिन 300 रूपए की कमाई हो जाती थी।उन पैसों का बचत वो बैंक में करते थे। शुभाष जी का कहना है की वहाँ उनको पहले दिनों में भाषा समझ नहीं आती थी पर बाद में वो सीख गए। साथ ही वे बताते हैं की उनके मालिक बिलकुल भी अच्छे नहीं थे। अगर उनके काम में कोई गलती हो जाती थी तो हमेशा उनको गाली देते थे और पुलिस की बात आती थी तो पुलिस वाले भी मालिक की ही बात सुनते थे।साथ ही ये भी बताते हैं की इनको बिहार में काम न मिलने की वजह से ये सिकंदरापुर रोजगार के लिए गए थे.इसलिए इनका कहना है की यदि बिहार में कोई कंपनी खुल जाए तो ये रोजगार के लिए बाहर नहीं जाएंगे।

बिहार राज्य के मुंगेर जिले के सुजीत कुमार पाठक ने मोबाइल वाणी के माध्यम से कुछ भूमिहीन श्रमिकों से साक्षात्कार किया। जिसमें से भेवारी के कैलू कुमार ने बताया की वो राजस्थान,रेवाड़ी में काम करते है और छठ के मौके पर घर आए हुए हैं। इनका कहना है की वहाँ के रहने वाले प्रवासी मजदूरों के अपेक्षा इनको पुरे 12 घंटे काम कराये जाते हैं और भत्ता दो या ढाई महीने बाद ही दी जाती है।सुजीत कुमार पाठक जी ने जब पूछा की अपने इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई तो कैलू जी ने कहा की वो अपने घर से इतने दूर वहाँ काम करने के लिए गए है न की लड़ाई करने।यदि वो वहाँ इसके लिए किसी भी तरह का आवाज उठाना चाहेंगे तो इससे वहां मारपीट भी हो सकती है और वहाँ की माहौल खराब हो सकती है क्योंकि वो वहाँ के लोकल नहीं है।साथ ही इनका ये भी कहना है की सरकार द्वारा चलाए जा रहे श्रमिक रोजगार योजना की जानकारी नहीं है तथा वो चाहते हैं की यदि उनको वहां से कम पैसे में भी यहाँ काम मिल जाएगा तो वो यहीं काम करना पसंद करेंगे क्योंकि वहाँ उनसे पुरे 12 घंटे काम कराए जाते हैं।

बिहार राज्य के मुंगेर जिले से हवेली खड़गपुर के लक्ष्मण कुमार सिंह ने मोबाइल वाणी के माध्यम से राजस्थान से आए हुए श्रमिकों से साक्षात्कार किया जिसमें राजीव ठाकुर ने बताया की वो पहले राजस्थान में रहकर वहाँ सैलून में काम करते थे।जहाँ से 13 तारीक को वो अपने ग्राम में आए है उनका कहना है की राजस्थान में उनको बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उनसे बिहारी होने के कारन बहुत भेदभाव की जाती है यदि वो बाजार जाते हैं या फिर रास्ते में चलते हैं तो वहां के रहने वाले लोकल व्यक्ति उनसे उनके मोबाइल, पैसे और उनके सामान सभी छिन लेते हैं। इससे उनको काफी परेशानियों की सामना करना पड़ता है।