जलवायु की पुकार कार्यक्रम के अंतर्गत इस अंतिम प्रोमों में हम जानेंगे कि हमने जलवायु से सम्बंधित अनेक बातें की हैं और जानकारियों पर विचार भी किया है

मध्य प्रदेश राज्य के छिंदवाड़ा जिला से हमारे एक संवाददाता दिनकर पातुलकर ने मोबाइल वाणी के माध्यम से पवन श्रीवास्तव जी से बातचीत किया। उन्होंने बताया कि कैसे छिंदवाड़ा जिला का नाम रखा गया, उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा में बहुत ज्यादा छिंद के पेड़ पाए जाते थे इस कारण से छिंदवाड़ा नाम पड़ा, साथ ही उन्होंने कहा की आदिवासी समाज में इसका बहुत महत्वा है और इस पेड़ को पूजा जाता है और इसके इस्तेमाल पूजा सामग्री के रूप में भी किया जाता है

जलवायु की पुकार [ एक नए सफर का अंत ] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे की कैसे दुनिया भर में तापमान तेजी से बढ़ रहा है जिसके कारण लोगों के जीवन पर प्रभाव पड़ रहा है ।

मध्यप्रदेश राज्य के छिन्दवाड़ा जिला से योगेश कुमार मोबाइल वाणी के माध्यम से अनूप सिंह से साक्षात्कार लिया। जिसमे अनूप सिंह ने बताया कि मनुष्य की लालची मन के कारण पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। प्रदूषण मानवीय कारणों से हो रहा है। वह अपनी जरूरतों को पूरा करने में लगे है। इसलिए आम जनता को ही जागरूक होकर पर्यावरण संरक्षित करना होगा।

जलवायु की पुकार [श्रोताओं की सरगम] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे अलग अलग लोगों के योगदान के बारे में की कैसे पर्यावरण के समस्याओं का समाधान निकाला जा सके।

जलवायु की पुकार [क्लाइमेट वॉयसेस हैंडबुक] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे बच्चो को पर्यावरण के बारे में शिक्षा देना, प्लास्टिक कचरा का सही निपटान करना और बच्चो को प्लास्टिक के हानिकारक प्रभाव के बारे में सीखना क्यों जरुरी है?

मध्यप्रदेश राज्य के छिंदवाड़ा जिला से संवाददाता दिनकर पातुलकर मोबाइल वाणी के माध्यम से श्रीमती करुणा रघुवंशी से जलवायु की पुकार अभियान के तहत साक्षात्कार किया। जिसमे श्रीमती करुणा रघुवंशी ने यह बताया कि जलवायु होने वाले बदलाव में उपाय नहीं वरन कारन को ढूँढना है। उन्होंने बताया कि जलवायु में बदलाव ये जो 20 सालों में हुआ है, वह एक हजार सालों में नहीं हुआ था। उन्होंने यह भी कहा कि पुरे विश्व में जलवायु के बदलाव में हम किसी एक चीजों को लेकर दोष नहीं दे सकते हैं, बल्कि हमें इसके पीछे होने वाले कारन को ढूंढ कर सही करना है। उन्होंने यह भी कहा कि मौसम बदलाव में सबसे पहला कारण यह है कि पुरे विश्व में जंगल को बर्बाद करने का हाथ भी मनुष्यों का है, दूसरा कारन इधर उधर कचड़े को फेंकना जैसे प्लास्टिक, बोतल इत्यादि। क्योकि अगर हमारा वातावरण अगर सही न रहे तो प्रकृति भी हमें उसी तरह का व्यव्हार करेगी जिस तरह से हम प्रकृति के साथ कर रहे है। उन्होंने बताया कि हमें अगर जलवायु परिवर्तन को रोकना है, तो हमें जंगल को काटना बंद करना होगा और नदियों में होने वाले खनन को रोकना होगा। जिससे की हम अपने जलवायु परिवर्तन को रोक सकते हैं। साथ ही फैक्ट्रियों से होने वाले गंदगियों से भी छुटकारा दिलवाना है

मध्य प्रदेश राज्य के चीनद्वारा जिला से हमारे एक संवाददाता दिनकर पातुलकर ने मोबाइल वाणी के माध्यम से अरुण ठाकरे जी से बातचीत किया। जल-वायु के संकट से बचने के लिए अरुण ठाकरे जी ने सभी से वृक्षारोपण करने की मांग की है क्योंकि जल-वायु का एक सबसे बड़ा कारण जंगलों की कटाई है , इसलिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करके उन पौधों की जरूरतों का ध्यान रखने और कम से काम 3 साल उनके बढ़ने तक उनका ख्याल रखने की बात कहि है। इसके अलावा उन्होंने पेड़ों को तने से नहीं काटने की सलाह दी है और अगर काटना पड़े तो बस उसके डालियों की छटाई करे ताकि पेड़ फिर से उन्हें ऊगा सके। अरुण ठाकरे जी ने यह भी बताया कि कैसे उन्होंने अपने जीवन में 5 लाख विरक्षारोपण और 5 लाख पौधे दान करने का संकल्प लिया है जिसमे उन्होंने लगभग 4 लाख से अधिक पौधे उन्होंने 32 साल में लोगों को बाटा दिया है और इस कार्य से है लोग वृक्षारोपण को लेकर काफी प्रेरित हुए है

जलवायु की पुकार [छोटे कदम, बड़ा परिवर्तन ] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे  बिजली बचाना,कचरा का सही निपटान करना और पानी का कम उपयोग करना हमारे पर्यावरण के लिए क्यों जरुरी है ?

जलवायु की पुकार [ हरियाली का अनोखा मिशन ] कार्यक्रम के अंतर्गत हम जानेंगे  पेड़-पौधे लगाना पर्यावरण के लिए क्यों जरुरी है ?