हमारी सूखती नदियां, घटता जल स्तर, खत्म होते जंगल और इसी वजह से बदलता मौसम शायद ही कभी चुनाव का मुद्दा बनता है। शायद ही हमारे नागरिकों को इससे फर्क पड़ता है। सोच कर देखिए कि अगर आपके गांव, कस्बे या शहर के नक्शे में से वहां बहने वाली नदी, तालाब, पेड़ हटा दिये जाएं तो वहां क्या बचेगा। क्या वह मरुस्थल नहीं हो जाएगा... जहां जीवन नहीं होता। अगर ऐसा है तो क्यों नहीं नागरिक कभी नदियों-जंगलों को बचाने की कवायद को चुनावी मुद्दा नहीं बनाते। ऐसे मुद्दे राजनीति का मुद्दा नहीं बनते क्योंकि हम नागरिक इनके प्रति गंभीर नहीं हैं, जी हां, यह नागरिकों का ही धर्म है क्योंकि हमारे इसी समाज से निकले नेता हमारी बात करते हैं।

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मेरा गांव मेरी पहचान कार्यक्रम पर डॉ प्रकाश इंडियन टाटा सर के साथ खास मुलाकात

मॉडल बनाए और पर्यावरण स्वच्छता का दिया संदेश

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छात्रों ने जंगल में की ट्रैकिंग, वन्य जीवों का संरक्षण और पर्यावरण को समझा

*मेरा गांव - मेरी पहचान* कड़ी संख्या– 6(ग्राम रामाकोना )