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प्रधानमंत्री ने बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर 6600 करोड़ की योजनाओं का शिलान्यास उद्घाटन व लोकार्पण किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने सिक्का व डाक टिकट भी जारी किया। विस्तार पूर्वक जानकारी के लिए क्लिक करें ऑडियो पर और सुनें पूरी खबर।

बिहार के नवादा जिले के एक गांव में रहने वाली फगुनिया या फिर उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले के किसी गांव में रहने वाली रूपवती के बारे में अंदाजा लगाइये, जिसके पास खुद के बारे में कोई निर्णय लेने की खास वज़ह नहीं देखती हैं। घर से बाहर से आने-जाने, काम काज, संपत्ति निर्माण करने या फिर राजनीतिक फैसले जैसे कि वोट डालने जैसे छोटे बड़े निर्णय भी वह अक्सर पति या पिता से पूछकर लेती हो? फगुनिया और रूपवती के लिए जरूरी क्या है? क्या कोई समाज महज दो-ढाई महिलाओं के उदाहरण देकर उनको कब तक बहलाता रहेगा? क्या यही दो-ढ़ाई महिलाएं फगुनिया और रूपवती जैसी दूसरी करोड़ों महिलाओं के बारे में भी कुछ सोचती हैं? जवाब इनके गुण और दोष के आधार पर तय किये जाते हैं।दोस्तों इस मसले पर आफ क्या सोचते हैं अपनी राय रिकॉर्ड करें .

भूमि सुधार कानूनों में संशोधन करके महिलाओं के भूमि अधिकार को सुनिश्चित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, कानूनों में यह प्रावधान किया जा सकता है कि महिलाओं को पैतृक संपत्ति में समान अधिकार होगा और विवाह के बाद भूमि का अधिकार हस्तांतरित नहीं होगा। सभी जमीनों का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए ताकि महिलाएं अपने भूमि अधिकारों का दावा कर सकें। तब तक दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- आपके हिसाब से महिलाओं को भूमि का अधिकार देकर घर परिवार और समाज में किस तरह के बदलाव लाए जा सकते हैं? *----- साथ ही आप इस मुद्दे पर क्या सोचते है ? और आप किस तरह अपने परिवार में इसे लागू करने के बारे में सोच रहे है ?

कुछ महीने पहले की बात है, सरकार ने महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए कानून बनाया है, जिससे उन्हें राजनीति और नौकरियों में आरक्षण मिलेगा, सवाल उठता है कि क्या कानून बना देने भर से महिलाओं को उनका हक अधिकार, बेहतर स्वास्थय, शिक्षा सेवाएं मिलने लगेंगी क्या? *----- शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आर्थिक अवसरों तक महिलाओं की पहुंच में सुधार के लिए क्या कदम उठाए जा सकते हैं *----- महिलाओं को जागरूक नागरिक बनाने में शिक्षा की क्या भूमिका है? *----- महिलाओं को कानूनी साक्षरता और उनके अधिकारों के बारे में जागरूक कैसे किया जा सकता है"

बिहार राज्य के जमुई जिला के बरहट प्रखंड से मोबाइल वाणी के संवाददाता आशुतोष पाण्डेय ने सामाजिक कार्यकर्ता नुनेश्वर यादव से बातचीत की। जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि शिक्षा के आभाव ने महिलाओं को उनके अधिकारों से वंचित कर रखा है। पहले लोग लड़कियों को शिक्षा नहीं देते थे। लेकिन आज के समय में समाज लड़कियों की शिक्षा पर ध्यान दे रहा है। और लड़कियों को शिक्षित कर सशक्त बनाया जा रहा है। महिलाओं को जब तक शिक्षा नहीं दिया जायेगा तब तक वे अपने अधिकारों के लिए आवाज़ नहीं उठा पाएंगी। साथ ही उन्होंने बताया कि संपत्ति में महिलाओं को बराबर का अधिकार मिले, इसके लिए सरकार कोई कुछ कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 2021 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया भर में आर्थिक समानता में महिलाओं की संख्या 58 फीसदी है। लेकिन पुरुषों के बराबर आने में उन्हें अभी सदियां लग जाएंगी। 156 देशों में हुए इस अध्ययन में महिला आर्थिक असमानता में भारत का स्थान 151 है। यानी महिलाओं को आर्थिक आजादी और अचल संपत्ति का हक देने के मामले में एक तरह से हम दुनिया में सबसे नीचे आते हैं। दोस्तों आप हमें बताइए कि *----- पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के जीवन का बड़ा समय इन अधिकारों को हासिल करने में जाता है, अगर यह उन्हें सहजता से मिल जाए तो उनका जीवन किस तरह आसान हो सकता है? *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों तक पहुंच में सुधार के लिए कौन- कौन से संसाधन और सहायता की आवश्यकता हैं?

बिहार राज्य के जमुई ज़िला के बरहट प्रखंड के नूमर से आशुतोष पाण्डेय की बातचीत मोबाइल वाणी के माध्यम से शिक्षक सह सामाजिक कार्यकर्ता सुनील कुमार यादव से हुई , जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि महिलाओं को शिक्षित कर महिलाओं को विकसित किया जा सकता है।महिलाऐं शिक्षित हो कर बहुत कुछ कर सकती है। महिला को सही मार्गदर्शन की ज़रुरत है ,उन्हें उपेक्षित नहीं करना है।महिला शिक्षित होगी तब ही वो समाज में खड़ी रह सकती है और अपने अधिकारों को समझ सकती है, सरकार भी योजनाओं के माध्यम से महिलाओं को विकसित करने के लिए प्रयासरत है। महिला समझ के माध्यम से विकास कर सकती है ,इसके लिए शिक्षा ज़रूरी है। महिलाओं के नाम से भूमि होने से लाभ बहुत मिलता है पर सब पुरुष महिलाओं पर भरोसा नहीं करते है और नकारात्मक विचार रखते है। समाज में शिक्षा को लेकर जागरूकता ज़रूरी है ,भेदभाव ख़त्म करना होगा। अभी के समय में फैशन का दौर बढ़ा है ,इसका दुष्प्रभाव समाज में पड़ रहा है। संस्कृति सभ्यता में बदलाव हुआ है। महिलाओं का पोशाक में सभ्यता ज़रूरी है। परिवार और समाज सजग रहेगा तो सभ्यता में सुधार होगा

बिहार सरकार ने हाल में राज्य के 45 हजार गांवो की जमीन का सर्वे का निरिक्षण कराने का फैसला किया है। सर्वे कराये जाने को लेकर सरकार का कहना है कि इससे वह राज्य के 50 साल पुराने जमीन के रिकॉर्ड को अपडेट करना चाहती है। क्योंकि इन पचास सालों में जमीन के मालिकाना हक पर काफी बदलाव हुए हैं। सरकार की तरफ से कहा जा रहा है कि इस सर्वे में जमीन से जुड़ी 170 से ज्यादा प्रकार की जानकारियां इकट्ठी की जाएंगी। इसके अलावा 'इस सर्वे का एक उद्देश्य जमीन विवादों को कम करना भी है। पुराने रिकॉर्ड की वजह से कई बार विवाद होते हैं। नए सर्वे से यह समस्या दूर होगी।' सर्वे के दौरान लोगों को अपने जमीन के कागजात दिखाने होंगे। *----- दोस्तों इस मसले पर आपकी क्या राय है, क्या आपको भी लगता है कि शिक्षा के अभाव और कानून के उल्झे हुए दांव-पेचों ने महिलाओं को उनके हक और अधिकार से वंचित कर रखा है? *----- महिलाओं को भूमि अधिकार के बदले अर्थव्यवस्था में एक बड़ा बदलाव लाया जा सकता है। इसके बदले में महिलाएं को किस तरह के सशक्तिकरण और स्वतंत्रता की उम्मीद की जा सकती है। *----- महिलाओं के लिए भूमि अधिकारों को मजबूत करने के लिए क्या किया जा सकता है?

बिहार राज्य के जमुई ज़िला के धोबहघट ग्राम से नागमणि शाह ,मोबाइल वाणी के माध्यम से बिट्टू सिंह से बातचीत कर रहे है। ये कहते है कि सारे कर्मचारी के बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़े ,इससे साड़ी असमानता दूर हो जाएगी। अफसरों के बच्चे निजी स्कूल में पढ़ते है ,इसीलिए सरकारी स्कूल की स्थिति सही नहीं है। शिक्षा में सुधार हुआ है लेकिन पूरी हद तक नहीं है। जिनके पास शिक्षा नहीं है ,उन्हें वंशावली का ज्ञान नहीं है। इस कारण जमीनी अधिकार से वंचित रह जाते है।